रसूले अकरम (स.) के देहांत के बाद जब आपकी ख़िलाफ़त और उत्तराधिकार का मुद्दा सामने आया तो जो महोदय रसूले इस्लाम (स.) के युग में आपके प्रति सबसे अधिक निष्ठावान थे और आपके शिया ...
वाज़ेह हो कि ज़िलहिज का महीना एक बाअज़मत महीना है, जब इस महीने का चांद नजर आता तो अक्सर सहाबा (रज़ी) व ताबेईन इबादात मे खास अहतेमाम करते थे क़ुराने करीम में इसके पहले दस दिनों ...
कर्बला में दस मुहर्रम को आशूरा की घटना के बाद सबसे पहले जब इंसान ने इमाम हुसैन (अ.) की क़ब्र की ज़ियारत की वह रसूले ख़ुदा के सहाबी (साथी) जाबिर इब्ने अब्दुल्लाह अन्सारी थे।
वह ...
ऐ गमो अन्दोह मे मेरी पनाहगाह या मफज़ई इन्दा कुरबती يَا مَفْزَعِي عِنْدَ كُرْبَتِيऐ मुश्किलो मे मेरी मदद करने वाले या ग़ौसी इन्दा शिद्दती وَ يَا غَوْثِي عِنْدَ ...
आज जबकि मानव समाज आध्यात्मिक पतन की ओर उनमुख है। तथा असदाचारिता, असत्यता ,छल, कपट, द्वेष, भोग विलासिता तथा अमानवियता चारों ओर व्याप्त है। इस पतन को रोकने के लिए अति आवश्यक है ...
क़ुरआने मजीद में जन्नत की जिस्मानी लज़्ज़तों की तरह बहुत सी रुहानी लज़्ज़तों का भी तज़किरा हुआ है जिन में से बाज़ यह है:1. मख़्सूस ऐहतेराम: जन्नत में दाख़िल होते ही फ़रिश्ते ...
रसूले खुदा (स) ने फरमायाः रोज़ा जहन्नम की आग के मुक़ाबले में ढाल की हैसियत रखता है।
यानि रोज़ा रखने से इंसान जहन्नम की आग से सुरक्षित हो जाता है।
रोज़ा बदन की ...
यह एक ऐसा सवाल है जो न सिर्फ मुसलमानों बल्कि गैर मुस्लिमों के ज़हन में अक्सर उभरता रहता है। यह सवाल विवादित भी बहुत ज़्यादा है। क्योंकि इसी सवाल पर इस्लाम कई फिरकों में ...
हज़रत जौन का दफ़्न किया जाना
सोमवार बीस मोहर्रम सल 61 हिजरी
आशूर के दस दिन के बाद बनी असद के कुछ लोगों ने हज़रत अबूज़र ग़फ़्फ़ारी के दास हज़रत जौन के पवित्र शरीर को देखा ...
मानव इतिहास के आरंभ से आज तक, जबकि वर्तमान समय में वैज्ञानिक तथा तकनीकी प्रगति हर क्षेत्र में दिखाई दे रही है, मनूष्य में सदा ही धर्म की ओर झुकाव देखा गया है तथा वह आध्यात्म ...
अहमद बड़ी ग़मगीन हालत में अपनी दादी के बारे में सोच रहा था। पुरानी यादों के साथ-साथ आँसुओं का एक सैलाब उसकी आँखों से जारी था। परदेस में दादी की मौत की ख़बर ने उसे हिला कर रख ...
पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारीयान
इसके पूर्व के लेख मे यह बात स्पष्ट की गई कि जब जिब्राईल ने उसके दर्शन करने की इच्छा प्रकट की तो उनसे ...
नाम आपका नामे नामी अली इब्ने हुसैन था। उपनाम आपका लक़ब अकबर था। माता पिता हज़रत अली अकबर अलैहिस्सलाम के पिता हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व आपकी माता हज़रते ...
लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान
किताब का नाम: शरहे दुआए कुमैल
मनुष्य का परमेशवर से बात करना, प्राणी के निर्माता और आदमी के बीच का रिश्ता प्रार्थना कहलाता है। महान ...
ईश्वर से दुआ है कि इस पवित्र महीने में हमारी उपासनाओं और दुआओं को स्वीकार करे और हमें भले काम करने का सामर्थ्य प्रदान करे। पवित्र रमज़ान की अपनी विशेष प्रथाएं और संस्कार ...
उस ईश्वर का बहुत अधिक आभार है जिसने हमें यह शक्ति प्रदान की कि हम पवित्र रमज़ान के ग्यारहैं दिन की विभूति समझ सकें। रमज़ान के इस पवित्र दिन हम ईश्वर से यह दुआ करते हैं कि वह ...
इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने अपनी ज़िंदगी में केवल 48 वसंत देखे लेकिन इस कम अवधि में वह बातिल व असत्य के ख़िलाफ़ लगातार संघर्ष करते रहे। इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने अपने बाप हज़रत ...
इस्लामी कैलेंडर का साल समाप्त हो रहा है और अब केवल कुछ ही दिन रह गए हैं नया साल आरम्भ होने में इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना मोहर्रम है। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत ...
इमाम सज्जाद(अ) दुआ के इस भाग में ईश्वर से विनती करते हुये कहते हैः “हे पालनहार, मोहम्मद और उनके परिजनों पर सलाम भेज तथा मुझे जीवन के सभी कामों में सन्तुलन एवं मध्यमार्ग से ...