Hindi
Thursday 25th of April 2024
0
نفر 0

शबे क़द्र का महत्व और उसकी बरकतें।

शबे क़द्र का महत्व और उसकी बरकतें।

अबनाः इमाम मोहम्मद बाक़िर फ़रमाते हैंः शबे क़द्र वह रात है जो हर साल रमज़ानु मुबारक की आख़री तारीखों में आती है जिसमें न केवल क़ुरआन नाज़िल हुआ है बल्कि अल्लाह तआला ने इस रात के लिए फ़रमायाः इस भाग्य की रात में हर वह घटना और काम जो साल भर में होना होगा जैसे अच्छाई, बुराई और गुनाह या वह संतान जिसको पैदा होना है या वह मौत जो आएगी या वह रिज़्क़ व आहार जो मिलेगा सबके सब भाग्य में लिख दिए जाते हैं।

अल्लाह तआला ने अपने लॉजिकल सिस्टम के बेस पर दुनिया को इस तरह से बनाया है कि तमाम चीजों का एक दूसरे के बीच एक खास संबंध पाया जाता है इस सिस्टम में हर चीज अल्लाह की हिकमत के आधार पर खास अंदाजा रखती है और कोई भी चीज बिना हिसाब किताब की नहीं है बल्कि यह दुनिया सिस्टेमेटिक तौर पर बनाई गई है।
शबे क़द्र की अहमियत और उसकी बरकतों को बयान करते हुए बयान किया गया है कि डिक्शनरी में कद्र अंदाजे को कहते हैं तकदीर का मतलब भी अंदाजा लगाना और भाग्य तय करना है।
अल्लाह तआला ने कुरान में फरमाया है कि भाग्य को तय करने वाला वह स्वयं है और चूंकि इंसान को अल्लाह ने आजाद पैदा किया है इसलिए सौभाग्य और दुर्भाग्य के रास्तों का चयन भी उसके इरादे और इख्तियार पर निर्भर है इसीलिए शबे क़द्र में इंसान के साल भर के भविष्य के कामों को देखते हुए उसका भाग लिखा जाता है।
रिवायतों के अनुसार शबे क़द्र रमजान की 19 वी 21 वी और 23 वीं रात में से कोई रात है और उस रात की बहुत ज्यादा फजीलत है क्योंकि उस रात में क़ुरआन नाजिल हुआ है शब-ए-कद्र में इंसान की अच्छाई बुराई जन्म मृत्यु, गुनाह जितने भी काम और घटनाएं हैं साल भर की लिखे जाते हैं इसलिए अपने अच्छे सौभाग्य के लिए दुआ बहुत ज्यादा प्रभावी है कद्र की रात हर साल और हमेशा आती है उस रात में इबादत की फजीलत बहुत ज्यादा है इस रात को इबादत और तौबा में गुज़ारना चाहिए।

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

अरफ़ा, दुआ और इबादत का दिन
आख़री नबी हज़रत मुहम्मद स. का ...
ग़ैबत
इमाम हसन(अ)की संधि की शर्तें
बिस्मिल्लाह के प्रभाव 4
ख़ून की विजय
इस्लाम का मक़सद अल्लामा इक़बाल के ...
हज़रत अली का जन्म दिवस पुरी ...
आशूरा का रोज़ा
इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम की दुखद ...

 
user comment