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Friday 26th of April 2024
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8 शव्वाल, जन्नतुल बक़ी और वहाबियत के अत्याचार।

8 शव्वाल, जन्नतुल बक़ी और वहाबियत के अत्याचार।

8 शव्वाल इतिहास का ऐसा दर्दनाक दिन है जो हर बार अहले बैत अ.स. और उन के घराने से मोहब्बत रखने वाले के दिल को ज़ख़्मी कर देता है, और ऐसा होना स्वभाविक है क्योंकि अहले बैत अ.स और उनके घराने से संबंध रखने वालों की क़ब्रों को तोड़ दिया गया। आज ही के दिन 1343 हिजरी में इमामों और आप से संबंधित कुछ लोगों की क़ब्रों को वहाबियों द्वारा ढ़हा दिया गया। और इन क़ब्रों को ढ़हाने का कारण वहाबियों के गुमराह अक़ाएद हैं जिनको हमारे बहुत सारे उलेमा ने अपनी किताबों में रद किया है, वहाबियों ने इमामों की क़ब्रों के साथ साथ और भी बहुत सी क़ब्रों को ढ़हाया है जो इस प्रकार हैं। 
1. हज़रत ज़हरा स.अ. की क़ब्र (कुछ लेखकों के अनुसार) 
2. पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. द्वारा सैय्यदुश् शोहदा की उपाधि पाने वाले हज़रत हमज़ा की क़ब्र 
3. अमीरुल मोमेनीन इमाम अली अ.स. की माँ की क़ब्र 
4. कर्बला के अलमदार हज़रत अब्बास की माँ का क़ब्र 
5. पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. के बेटे इब्राहीम की क़ब्र 
6. इमाम जाफ़र सादिक़ अ.स. के बेटे इस्माईल की क़ब्र 
7. पैग़म्बर की दाई हलीमा सादिया की क़ब्र 
8. पैग़म्बर के समय के शोहदा की क़ब्रें 
वहाबियों ने पवित्र शहर मक्का में भी हज़रत अबदुल मुत्तलिब, हज़रत अबू तालिब, हज़रत ख़दीजा, हज़रत ज़हरा स.अ. और भी कई सारी क़ब्रों के गुंबदों को ढ़हाया, और ख़ेज़रान नामक पैग़म्बर के एकांत में इबादत करने के स्थान को मिट्टी में मिला दिया। जद्दा शहर में हज़रत हव्वा की क़ब्र को भी इन्हीं वहाबियों ने ढ़हाया, और फिर मदीने में पैग़म्बर की पवित्र क़ब्र को तोप का निशाना बनाया लेकिन मुसलमानों के आक्रोश को देख कर वह ऐसा नही कर पाए। 
इन वहाबियों ने जन्नतुल बक़ी के साथ साथ और भी बहुत सी क़ीमती चीज़ों को नष्ट कर दिया। वहाबियों ने हज़रत हमज़ा की क़ब्र के साथ साथ ओहद में दीन के काम आ जाने वाले शहीदों की क़ब्रों को भी मिट्टी में मिला दिया, और पैग़मबर के वालिद और वालिदा की क़ब्रों को भी ढ़हा दिया।  वहाबियों की यह करतूत आज भी जारी है कभी सामरा में इमाम तक़ी अ.स. और इमाम नक़ी की क़ब्र को निशाना बनाया तो कभी पैग़म्बर के मशहूर सहाबी हुज्र बिन अदी की क़ब्र, और पिछले तीन चार वर्षों में भी आप सीरिया में इनके नापाक इरादों को देख सकते हैं लेकिन करोड़ों दुरूद और सलाम हो इस्लाम के  जाँबाज़ सिपाहियों ने उनके हर इरादे को नाकाम कर दिया।

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