लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान
किताब का नाम: शरहे दुआ ए कुमैल
इस्लामी किताबे मे इसी प्रकार के सुंदर और सार्थक पाठ (टेक्सट) देखने को मिलते है। क़ुरआन के छंदो सहित इस प्रकार के टेक्सट परमेश्वर की ओर से बडी ख़बर है कि सेबक (बन्दे) उसकी कृपा और एहसान की आशा करें, अपनी आवश्यकताओ (हाजतो) को प्राप्त करने के लिए उसकी ओर हाथ फैलाए और यह जानले कि लक्ष्य तक पहुँचने का मार्ग प्राथना है और बहुत कम ऐसा होता है कि कोई महत्वपूर्ण आवश्यकता बिना प्रार्थना के पूरी हो जाए। इसीलिये इस्लामी रिवायात और विशेष रूप से वह रिवायात जो पवित्र अहलेबैत (अलैहेमुस्सलाम) {{ईश्वरदूत हज़रत मुहम्मद के परिबार वाले}} से आई है उन्होने प्रार्थना के लिए विशेष एवम मूल्यवान स्थान बताया है।
पवित्र एवम भव्य पैगंबर (ईश्वरदूत) की कथा (रिवायत) मे आया है:
اِنَّ الدُعَاءَ ھُوَ العِبَادَۃ इन्नद्दोआआ होवल इबादता[1]
निश्चित रूप से प्रार्थना पूजा (इबादत) है
ओर दूसरे स्थान पर उन्ही से आया है:
الدُّعَاءُ مُخُّ العِبَادَۃ अद्दुआओ मुख़्ख़ुल इबादाते[2]
प्रार्थना पूजा (इबादत) का मस्तिष्क है।
इमाम बाक़िर का कथन है:
أَفضَلُ العِبَادَۃِ الدُعَاءُ अफ़ज़लुल इबादते अद्दोआओ[3]
सर्वश्रेष्ठ पूजा (इबादत) प्रार्थना है।