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हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम का जीवन परिचय
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नाम व अलक़ाब (उपाधियाँ) इमामे सज्जाद अलैहिस्सलाम का नाम अली व आपकी मुख्य उपाधि सज्जाद हैं। माता पिता




खाना खाने से पहले और बाद में हाथ धोना।
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माम जाफ़र सादिक़ फ़रमाते हैं: जो कोई भी खाना खाने से पहले और बाद में हाथ धोता है तो खाने के शूरू और बाद में उसके लिए बरकत होती है और जब तक जीवित रहता है समृद्ध जीवन बिताता है और शारीरिक बीमारियों से दूर रहता है।


हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा
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मक्का नगर पर चांदनी बिखरी थी और पूरे नगर पर मौन छाया था किंतु एसा लग रहा था जैसे महान ईश्वरीय दूत हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैही व आलेही व सल्लम के लिए समय की गति भिन्न थी। उन्हें एक चांद सी पुत्री की प्रतीक्षा थी जिसकी सूचना उन्हें उनके ईश्वर ने दी थी। प्रतीक्षा की घड़ियां धीरे धीरे समाप्त हो रही थीं। पैग़म्बरे इस्लाम की पत्नी हज़रत खदीजा अकेले ही अपनी पुत्री की प्रती




पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. की वफ़ात
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अहलेबैत न्यूज़ एजेंसी अबना: इलाही पैग़म्बरों ने दीन के पौधे की सिंचाई की क्योंकि उन्हें इंसानी समाजों में भलाई फैलाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। उनका उद्देश्य समाज में तौहीद को फैलाना, अद्ल व न्याय की स्थापना और अंधविश्वास व जेहालत से लोगों को दूर कर कमाल (परिपूर्णतः) की ओर मार्गदर्शन करना था। इलाही पैग़म्






इमाम जाफ़र सादिक़ फ़रमाते हैं:
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जो कोई भी खाना खाने से पहले और बाद में हाथ धोता है तो खाने के शूरू और बाद में


मुहब्बते अहले बैत के बारे में अहले सुन्नत का नज़रिया
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अब्दुल क़ाहिर बग़दादी जो पाँचवीं सदी में अहले सुन्नत के एक बुज़ुर्ग आलिम थे उन्हों ने अहले बैत अलैहिमुस्सलाम से मुहब्बत के बारे में अहले सुन्नत के नज़रिये को इस तरह ब्यान किया हैः अहले सुन्नत हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम और हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और पैग़म्बर सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के मशहूर फर्ज़न्द जैसे हसन बिन हसन, अब्दुल्लाह बिन हसन, हज़रत ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम, हज़रत मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्स




जनाबे ज़हरा(स)की सवानेहे हयात
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अल्लाह तबारक व तआला ने तमाम आलमें इंसानियत के रुश्द व हिदायत के लिये इस्लाम में कई ऐसी हस्तियों को पैदा किया जिन्होने अपने आदात व अतवार, ज़ोहद व तक़वा, पाकीज़गी व इंकेसारी, जुरअतमंदी, इबादत, रियाज़त, सख़ावत और फ़साहत व बलाग़त से दुनिया ए इस्लाम पर अपने गहरे नक्श छोड़े हैं, उन में बिन्ते रसूल (स), ज़ौज ए अली और मादरे गिरामी शब्बर व शब्बीर अलैहिमुस सलाम भी उन ख़ुसूसियात की हामिल हैं, जिन पर दुनिया ए इस्लाम को फ़ख़्र है हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) की इबादतों पर हक़्क़ानीयत को नाज़ है, उन की पाकीज़गी पर












हज़रत मासूमा
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सर्वसमर्थ व महान ईश्वर से निकट होने का एक मार्ग पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेहि व सल्लम और उनके पवित्र परिजनों से प्रेम है। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेहि व सल्लम अपने पवित्र परिजनों का सदैव सम्मान करते थे और लोगों से कहते थे कि वे उनके पवित्र परिजनों से प्रेम करें। पैग़म्बरे इस्लाम ने पवित्र क़ुरआन के बाद अपने पवित्र परिजनों का परिचय इस्लामी समुदाय व राष्ट्र के लिए अपनी सबसे बड़ी धरोहर व यादगार के रूप में किया है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्ला



