अबनाः ग़ैबते कुबरा के ज़माने में उम्मत का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य इमामे ज़माना अलैहिस्सलाम की पहचान हासिल करना है और यह इतना महत्वपूर्ण है कि पैग़म्बर स. ने फ़रमायाःمن مات ...
हज़रत इमाम अली (अ) फ़रमाते हैःاَفْضَلُ عِبٰادَةِ الْمُوْمِنِ اِنْتِظٰارُ فَرَجِ اللّٰہमोमिन की सबसे बड़ी इबादत यह है कि वह अल्लाह की तरफ़ से (दुख और कठिनाईयों) से नजात के इन्तेज़ार में ...
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का परिचयनाम व अलक़ाबहज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का नाम हज़रत पैगम्बर(स.) के नाम पर है। तथा आपकी मुख्य़ उपाधियाँ महदी मऊद, इमामे अस्र, ...
अल्लामा तबरिसी बहवाला-ए-मुहम्मद बिन याक़ूब कुलैनी लिखते है कि इस्हाक़ बिन याक़ूब ने बज़रिये मुहम्मद बिन उस्मान अमरी हज़रत इमाम महदी (अ0) की ख़िदमत में एक ख़त इरसाल ...
इस्लामी रिवायतों की बिना पर क़ुरआने मजीद की बे शुमार आयतें अहले बैत अलैहिम अस्सलाम के फ़ज़ाइल व मनाक़िब के गिर्द घूम रही हैं और इन्हीं मासूम हस्तियों के किरदार के ...
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के वुजूद, ग़ैबत, तूले उम्र और आपके ज़हूर के बाद तमाम अदयान के एक हो जाने से मुताअल्लिक़ 94 आयतें क़ुरआने मजीद में मौजूद हैं। जिनमें से अकसर को ...
मुनासिब मालूम होता है कि उन सुफ़रा के अस्मा भी दर्ज कर दिये जायें जो नव्वाबे ख़ास के ज़रिये और सिफ़ारिश से इमाम के हुक्म से मुमालिके महरूसा मख़सूसा में इमाम अलैहिस्सलाम का ...
मासूम इमामों की हदीसों और रिवायतों में ज़हूर का इन्तेज़ार करने वालों की बहुत सी ज़िम्मेदारियों का वर्णन हुआ हैं। हम यहाँ पर उन में से कुछ महत्वपूर्ण निम्न लिखित ...
अल्लामा अरबी लिखते हैं कि ज़मानए नियाबत में बाद हुसैन बिन रौह अबुल क़ासिम, क़ौलाया हज के इरादे से बग़दाद गये और वह मक्के मोअज़्जमा पहुँच कर हज करने का फ़ैसला किये हुए थे। ...
हज़रत ईसा अ. का आसमान से उतरना जहाँ पश्चिमियों और दुनिया भर के ईसाईयों को इस्लाम से क़रीब करेगा और मुसलमानों व ईसाईयों में सुलह और समझौते का कारण बनेगा वहीं इमाम महदी अ.ज. ...
दज्जाल दजल लफ़्ज़ से बना है और दजल के मअना फ़रेब हैं। उसका असली नाम साइफ़ बाप का नाम आइद और माँ का नाम कातेहा उर्फ़ क़तामा है। वह पैग़म्बरे इस्लाम (स.) के ज़माने में तीहा नामी ...
इमाम महदी अज. और उनके ज़ुहूर का विश्वास और अक़ीदा केवल शियों का अक़ीदा नहीं है बल्कि अहले सुन्नत भी इसे मानते हैं। अंतर यह है कि अधिकतर सुन्नी कहते हैं कि अभी उनका जन्म नहीं ...
इंसानी समाज, सैंकड़ों साल से अल्लाह की हुज्जत के ज़हूर के फ़ायदों से वंचित है और इस्लामी समाज उस आसमानी व मासूम इमाम के पास जाने में असमर्थ है। इस स्थिति से यह सवाल यह उठता ...
आज १५ शाबान का शुभ अवसर है। सन २५५ हिजरी क़मरी में १५ शाबान को हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की फूफी जनाब हकीमा उनके घर आयीं ताकि अपने परिजनों से भेंट करें। जनाब हकीमा जब ...
हमारे समाज में बहुत सी ईदें आती हैं जैसे ईद उल फि़त्र, ईदे क़ुरबान, ईदे मुबाहिला और ईदे ज़हरा वग़ैरह, यह सारी ईदें किसी वाकेए की तरफ़ इशारा करती हैं।ईद उल फि़त्रः पहली ...
एक बार फिर १५ शाबान की शुभ बेला आ पहुंची है और मुक्ति दाता की प्रतीक्षा ने दिलों को व्याकुल कर दिया है। आज के दिन उस महान व्यक्ति का जन्म हुआ है जो ईश्वरीय दूतों के पावन ...
?अक्सर उलमा -ए- इस्लाम इमाम महदी अलैहिस्सलाम के वजूद को तसलीम करते हैं। इसमें शिया और सुन्नी का कोई सवाल नहीं। हर फ़िर्क़े के उलमा मानते हैं कि आप पैदा हो चुके हैं, और मौजूद ...
मजलिसे उल्माए हिन्द में आयोजित संगोष्ठी में उल्मा ने जवानों को खिताब किया और कहा कि शिया व सुन्नी मतभेद साम्राज्यवाद की योजना है। लखनऊ 26 मईः मजलिसे उल्माए हिन्द द्वारा ...