Ahlul-Bayt as the Earth Angels
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हज़रत अली का जीवन परिचय
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आप का जन्म रजब मास की 13वी तारीख को हिजरत से 23वर्ष पूर्व मक्का शहर के विश्व विख्यात व अतिपवित्र स्थान काबे मे हुआ था। आप अपने माता पिता के चौथे पुत्र थे।








इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्लाम
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पैग़म्बर और ईश्वरीय मार्गदर्शक, सर्वसमर्थ व महान ईश्वर की असीम कृपा के प्रतीक और विश्व में उसकी दया एवं मार्गदर्शन के स्रोत हैं। वे इतिहास के अंधेरे में प्रज्वलित दीप की भांति चमके और उन्होंने वातावरण को प्रकाशमयी किया ताकि मनुष्य अज्ञानता के अंधेरे से निकल कर सच्चाई का मार्ग देख सके। अभी भी इन ईश्वरीय दूतों के मार्गदर्शन का प्रकाश सच्चाई की खोज में रहने वाले हृदयों को उज्जवल बनाए हुए है।




शार्गिदे इमाम अली रूशैद हजरी
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इराक मे दफ्न बुज़ुर्ग शख्सीयात मे से एक जनाबे रूशैद हजरी है कि जो इमाम अली अलैहिस्सलाम के असहाबे खास मे से थे और ईमान और अमल के बड़े दरजे पर फाएज थे शायद इसी लिऐ परवरदिगारे आलम ने इराक मे मौजूद असहाबे इमाम मे आपको एक अज़ीम हैसीयत अता की है।










हज़रत फ़ातेमा मासूमा(अ)की शहादत
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वे एक ऐसी महान हस्ती थीं जिन्होंने इतिहास के एक कालखंड में अपने ऐतिहासिक पलायन से मुसलमानों के लिए एक बहुत बड़े गौरव का मार्ग प्रशस्त किया। ये हस्ती इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की सुपुत्री और हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की वफ़ादार बहन हज़रत फ़ातेमा मासूमा (अ) हैं। इमाम रज़ा के बाद, इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की संतान में हज़रत मासूमा (अ) का स्थान सबसे उच्च है। इस चयनित महिला की महानता के लिए इतना कहना ही पर्याप्त है कि वे सदैव ही इमामों और इस्लाम धर्म के नेताओं के आ






तिलावत,तदब्बुर ,अमल
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क़ुरआने करीम की तिलावत अफ़ज़ल तरीन इबादतों में से एक है और बहुत कम इबादते ऐसी हैं जो इसके पाये को पहुँचती हैं। क्यों कि यह इल्हाम बख़्श तिलावत क़ुरआने करीम में ग़ौर व फ़िक्र का सबब बनती है और ग़ौर व फ़िक्र नेक आमाल का सरचश्मा है। क़ुरआने करीम पैग़म्बरे इस्लाम को मुख़डातब क़रार देते हुए फ़रमाता है कि “क़ुम अललैला इल्ला क़लीला*निस्फ़हु अव उनक़ुस मिनहु क़लीला* अव ज़िद अलैहि व रत्तिल अल क़ुरआना तरतीला....” यानी रात को उठो मगर ज़रा कम ,आधी रात या इस से भी कुछ कम,या कुछ ज़्यादा क





