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Thursday 26th of December 2024
Kalam and Beliefs
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हस्त मैथुन जवानी के लिऐ खतरा

हस्त मैथुन जवानी के लिऐ खतरा
आम तौर से यह बात समझी जाती है कि जवानी में केवल लड़के ही हस्त मैथुन (मुश्त ज़नी) जैसा खतरनाक काम करते हैं जब कि यह गलत है क्योंकि इस बात का सुबूत मौजूद है कि हस्त मैथुन ...

सिफ़ाते जमाल व जलाल

सिफ़ाते जमाल व जलाल
हमारा अक़ीदह है कि अल्लाह की ज़ाते पाक हर ऐब व नक़्स से पाक व मुनज़्ज़ह और तमाम कमालात से आरास्ता,बल्कि कमाले मुतलक़ व मुतलक़े कमाल है दूसरे अलफ़ाज़ में यह कहा जा सकता है कि ...

तफ़सीर का इल्म और मुफ़स्सेरीन के तबक़ात

तफ़सीर का इल्म और मुफ़स्सेरीन के तबक़ात
पैग़म्बरे अकरम (स) की वफ़ात के बाद कुछ सहाबा जैसे ऊबई बिन काब, अब्दुल्लाह बिन मसऊद, जाबिर बिन अब्दुल्लाह अंसारी, अबू सईद ख़िदरी, अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर, अनस बिन मालिक, अबू ...

मस्ला-ए-तवस्सुल

 मस्ला-ए-तवस्सुल
हमारा अक़ीदह है कि मस्ला- ए- तवस्सुल भी मस्ला-ए- शफ़ाअत की तरह है। मस्ला-ए –तवस्सुल मानवी व माद्दी मुश्किल में घिरे इँसानों को यह हक़ देता है कि वह अल्लाह के वलीयों से तवस्सुल ...

इमाम अली अ.स. एकता के महान प्रतीक

इमाम अली अ.स. एकता के महान प्रतीक
 इमाम अली अ.स. ने यह जानते हुए कि पैग़म्बर स.अ. की वफ़ात के बाद ख़िलाफ़त, इमामत और रहबरी मेरा हक़ है और मुझ से मेरे इस हक़ के छीनने वाले ज़ुल्म कर रहे हैं (शरहे नहजुल-बलाग़ा, ...

आलमे बरज़ख

आलमे बरज़ख
हमारा अक़ीदह है कि इस दुनिया और आख़ेरत के बीच एक और जहान है जिसे “बरज़ख़” कहते हैं।मरने के बाद हर इँसान की रूह क़ियामत तक इसी आलमे बरज़ख़ में रहती है।“व मिन वराइहिम ...

दीन क्या है?

दीन क्या है?
दीन अरबी शब्द है जिस का मतलब आज्ञापालन, परोतोषिक आदि बताया गया है लेकिन दीन या दीन की परिभाषा होती है इस सृष्टि के रचयता और उसके आदेशों पर विश्वास व उस के प्रति आस्था रखना इस ...

धार्मिक प्रवचनों को केवल कहानियों की तरह न सुने

धार्मिक प्रवचनों को केवल कहानियों की तरह न सुने
इंसान को जीवन में यदि कुछ पाना है तो उसके लिए मेहनत अवश्य करनी होती है लेकिन इन्सान की इच्छा हमेशा यही रही है की उसे कम या बिना मेहनत के सबकुछ मिल जाए |अपनी कम मेहनत और अधिक ...

सूरा बक़रा का संक्षिप्त परिचय

सूरा बक़रा का संक्षिप्त परिचय
  इस सूरे में 286 आयते हैं और पवित्र क़ुरआन के तीस भागों में से दो से ज़्यादा भाग इसी सूरे से विशेष हैं। पवित्र क़ुरआन के उतरने वाले सूरों के क्रमांक की दृष्टि यह 86वें नंबर पर ...

ज़िक्रे ख़ुदा

ज़िक्रे ख़ुदा
ऐ अज़ीज़म ! इस राह को तै करने के लिए पहले सबसे पहले लुत्फ़े ख़ुदा को हासिल करने की कोशिश करो और कुरआने करीम के वह पुर माअना अज़कार जो आइम्माए मासूमीन अलैहिम अस्सलाम ने बयान ...

शरमिन्दगी की रिवायत

शरमिन्दगी की रिवायत
खलीफाऐ अव्वल अबुबकर बिन अबुक़हाफा एक रिवायत की बिना पर अपनी उम्र के आखरी लमहो मे तीन कामो के करने, तीन कामो के न करने, और पैग़म्बर से तीन सवालो के न पूछने से शरमिंदगी का ...

दुआ-ऐ-मशलूल

दुआ-ऐ-मशलूल
सैय्यद इब्ने तावूस ने अपनी किताब मह्जूले-दावत में हज़रत इमाम हुसैन (अ:स) से रिवायत की है के आप फरमाते हैं की एक शब् मै अपने पदरे बुज़ुर्गवार आली मश्दार हज़रत अली इब्ने अबी ...

इस्लाम और इँसान की सरिश्त

इस्लाम और इँसान की सरिश्त
हमारा अक़ीदह है कि अल्लाह, उसकी वहदानियत और अंबिया की तालीमात के उसूल पर ईमान का मफ़हूम अज़ लिहाज़े फ़ितरत इजमाली तौर पर हर इँसान के अन्दर पाया जाता हैं। बस पैग़म्बरों ने ...

सिरात व मिज़ान

सिरात व मिज़ान
हम क़ियामत में “सिरात”व “मिज़ान” के वुजूद के क़ाइल हैं। सिरात वह पुल है जो जहन्नम के ऊपर बनाया गया है और सब लोग उस के ऊपर से उबूर करें गे। हाँ जन्नत का रास्ता जहन्नम के ऊपर से ...

अँबिया अल्लाह के फ़रमाँ बरदार बन्दे हैं

अँबिया अल्लाह के फ़रमाँ बरदार बन्दे हैं
हमारा अक़ीदह है कि पैग़म्बरों और रसूलों का का सब से बड़ा इफ़्तेख़ार यह था कि वह अल्लाह के मुती व फ़रमाँ बरदार बन्दे रहे। इसी वजह से हम हर रोज़ अपनी नमाज़ों में पैग़म्बरे ...

तौहीद, तमाम इस्लामी तालीमात की रूहे है

तौहीद, तमाम इस्लामी तालीमात की रूहे है
हमारा अक़ीदह है कि अल्लाह की माअरफ़त के मसाइल में मुहिमतरीन मस्ला माअरफ़ते तौहीद है। तौहीद दर वाक़ेअ उसूले दीन में से एक अस्ल ही नही बल्कि तमाम अक़ाइदे इस्लामी की रूह है। ...

ज़ाते ख़ुदा की हक़ीक़त सबसे पौशीदा है

ज़ाते ख़ुदा की हक़ीक़त सबसे पौशीदा है
हमारा अक़ीदह है कि इसके बावुजूद कि यह दुनिया अल्लाह के वुजूद के आसार से भरी हुई है फ़िर भी उसकी ज़ात की हक़ीक़त किसी पर रौशन नही है और न ही कोई उसकी ज़ात की हक़ीक़त को समझ ...

अल्लामा इक़बाल की ख़ुदी

अल्लामा इक़बाल की ख़ुदी
अल्लामा इक़बाद उन शायरों और विचारकों में शामिल हैं जिनकी ख्याति भौगोलिक सीमाओं में नहीं समा सकी और उन्होंने क्षेत्र के स्तर से ऊपर उठकर अपनी पहचान बनाई। अल्लामा इक़बाल ...

सब से बड़ा मोजिज़ा

सब से बड़ा मोजिज़ा
हमारा अक़ीदा है कि क़ुरआने करीम पैग़म्बरे इस्लाम (स.) का सब से बड़ा मोजज़ा है और यह फ़क़त फ़साहत व बलाग़त, शीरीन बयान और मअनी के रसा होने के एतबार से ही नही बल्कि और ...

इस्लाम धर्म की खूबी

इस्लाम धर्म की खूबी
इन्हीं विशेषताओं और अच्छार्इयों में से निम्नलिखित बातें हैंइस्लाम के नुसूस इस तत्व को बयान करने में स्पष्ट हैं कि अल्लाह के निकट धर्म केवल एक है और अल्लाह तआला ने नूह ...