पुस्तक का नामः पश्चताप दया का आलंगन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
मानव इन कारको के प्रभाव से बौद्धिक त्रुटि, हृदय के विचलन, अनैतिकता तथा व्यवहारिक बुराईयो मे घिर जाता है, इस प्रकार का संग्रह उपचार योग्य बीमारी के अलावा कुच्छ नही है। दिव्य पुस्तक क़ुरआन के अनुसार इस प्रकार के रोगो से बचाव, दर्द की दवा तथा उपचार निर्धारित है।
يَا أيُّهَا النَّاسُ قَدْ جَاءَتْكُم مَوْعِظَةٌ مِن رَبِّكُمْ وَشِفَاءٌ لِمَا فِي الصُّدُورِ وَهُدىً وَرَحْمَةٌ لِلْمُؤْمِنِينَ
या अय्योहन्नासो क़द जाआकुम मोएज़तुम मिर्रब्बेकुम व शेफ़ाउन लेमा फ़िस्सोदूरे व होदव वरहमतुन लिलमोमेनीना[1]
हे लोगो! तुम्हारे परमेश्वर की ओर से तुम्हे उपदेश आया है, और इन उपदेश के भीतर रोगो का उपचार तथा विशवास रखने वालो के लिए मार्गदर्शन है।
पवित्र क़ुरआन के दृष्टि कोण से यह रोग ईश्वर की क्षमा और दया के योग्य हो।
إِلاَّ الَّذِينَ تَابُوا مِنْ بَعْدِ ذلِكَ وَأَصْلَحُوا فَإِنَّ اللّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ
इल्लल लज़ीना ताबू मिन बादे ज़ालेका वअसलहू फ़इन्नल्लाहा ग़फ़ुरुर्रहीम[2]
परन्तु जिन लोगो ने पापो के पश्चात पश्चाताप किया तथा अपने ज़ाहिर और भीतर को सुधार लिया और हक़ को स्वीकारने योग्य मानव मे परिवर्तित हो गये, निसंदेह ईश्वर क्षमा एवं दया करने वाला है।