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मानव जीवन के चरण 2

मानव जीवन के चरण 2

पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन

लेखकः आयतुल्लाह अनसारीयान

 

इसके पूर्व लेख मे हमने मानव जीवन के चरण मे पहला चरण ख़ाक (धूल) का विस्तार किया था तथा इस लेख मे दूसरे चरण पानी का उल्लेख कर रहे है।

दूसरा चरणः पानी

 

ईश्वर का कथन हैः

هُوَ الَّذى خَلَقَ مِنَ المآءِ بَشَراً 

 

होवल्लज़ि ख़लक़ा मिनल माऐ बशारा[1]  

और वही वह है जिसने मनुष्य को पानी से बनाया है।

भूमि विशेषज्ञो मनुष्य को सोखतह के समान बताते है जिसमे पानी भरा हुआ है 70 किलोग्राम भार वाले व्यक्ति की रचना 50 लीटर पानी की मात्रा से होती है और सदैव यही अनुपात रहता है।

और यदि किसी व्यक्ति का 20 प्रतिशत पानी समाप्त हो जाए तो फ़िर उसका स्वास्थ ख़तरे मे पड़ जाता है मानव शरीर के जीवकोष cellule (कोशिका) मे उपस्थित पानी के भीतर काफ़ी मात्रा मे पोटेशियम potassium  होती है जिसमे नमक नही होता इसके विरूद्ध बाहरी पानी के कणो मे पोटेशियम potassium  नही होती बलकि एक मात्रा मे नमक होता है, बाहरी पानी का यह संश्र्लेषण समुद्र जल के समान होती है क्योकि करोड़ो वर्ष पूर्व किसी जानदार प्राणी का जीवन समुद्र से आरम्भ हुआ था तथा जिस समय समुद्रि जीव ने धरती की ओर रूख़ किया और समुद्र के भीतर की वस्तुओ को अपने साथ लाए क्योकि उनके लिए बिना उसके ख़ुशकी मे जीवन व्यतीत करना सम्भव नही था।

हाँ ! यह पवित्र क़ुरआन का आश्चर्यचकित चमत्कार है कि इस सूखे तथा गर्म रेगिस्तान मे वैज्ञानिक उपकरणो के बिना अज्ञानी लोगो मे घोषणा की है। वही (ईश्वर) है जिसने इंसान को पानी से पैदा किया है   



[1] सुरए फ़ुरक़ान 25, छंद 54

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