पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारीयान
हमने इस के पहले लेख मे इस बात का वर्णन किया कि यदि ध्यानपूर्वक एक मशीन का निर्माण किया जाए तो भी वह मशीन मनुष्य के दिमाग़ी कार्यो को करने मे असर्मथ है तथा उस लेख के अंत मे शिशु के आहार की बात का उल्लेख किया तथा इस नए लेख मे आप को इस बात का अध्ययन करेंगे कि जब से महिला गर्भवति होती है उस समय से ले कर शिशु के जन्म तक दूध कैसे बनता है।
विचित्र बात यह है कि स्तन का अगला भाग शिशु के मुह के अनुसार होता है और उसमे महीन महीन छिद्र होते है जब शिशु दूध पीना आरम्भ करता है तो यह छिद्र खुल जाते है, और तत्पश्चात स्वयं बंद हो जाते है ताकि बच्चे का दूध बरबाद न होने पाए।
जिस समय से महिला गर्भवति होती है उसी समय से दूध बनाने वाली प्रणाली अपना कार्य आरम्भ कर देती है और जितना बच्चा विकास करता है उसी के अनुसार यह प्रणाली भी अपने कार्यशीलता मे वृद्धि कर देती है और जन्म के समय तक बच्चे की इच्छानुसार दूध तैयार हो जाता है।
जन्म के पश्चात शिशु जितना बड़ा होता जाता है और उसका पाचक सिस्टम शक्ति शाली होता रहता है उसी प्रकार दूध के विटामन मे भी वृद्धि होती रहती है।
यह विचित्र एंव आश्चर्यजनक हक़ीक़ते तथा परिवर्तन सभी मनुष्य के विकास के लिए है, और सब अनंत दया ईश्वर की कृपा का परिणाम है?!!
इसीलिए मनुष्य को इन आश्चर्यजनक बातो पर ध्यान को केंद्रित करना चाहिए ताकि उनको देख कर ईश्वर के शुक्र तथा उसकी आज्ञाकारिता मे अधिक से अधिक प्रयत्न करें जिसके परिणाम स्वरूप ईश्वर की दया एंव कृपा और भौतिक एंव आध्यात्मिक नेमतो मे वृद्धि हो सके और इन सब चीज़ो को प्राप्त करने के लिए इसके सामने हाथ फ़ैलाते हुए कहेः
اَللَّهُمَّ إِنِّى أَسْأَلُكَ بِرَحْمَتِكَ الَّتِى وَسِعَتْ كُلَّ شَىْء
अल्लाहुम्मा इन्नी असअलोका बेरहमतेकल्लति वसेअत कुल्ला शैए