
निर्देशिता बेमिस्ल वरदान (नेमत)1

- प्रकाशन तिथि: 2013-06-02 16:45:53
- दृश्यों की संख्या: 250
पुस्तकः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
जब ईश्वर की दया एंव कृपा ने यह निश्चित कर लिया कि मनुष्य को कुच्छ दिनो हेतु संसार मे भेजे, और उसे सूर्य चंद्रमा तथा धरती एंव आकाश जैसे विभिन्न वरदान प्रदान किए, ताकि उनसे लाभ उठाए और सब्ज़ी, अनाज तथा फल इत्यादि द्वारा उसकी शक्ति को पूर्ण किया और पानी, धरती एंव वायु मे जीवन व्यतीत करने वाले जानवरो (पशु- पक्षियो) द्वारा वैध मांस का प्रबंध किया, तथा उसके जीवन मे काम आने वाले विभिन्न प्रकार का सामान उपलब्ध किया ताकि वह अपनी बुद्धि, इरादे, चयन, एंव स्वतंत्रता पर भरोसा करते हुए हिदायते तशरीई का च्यन करे जिसे सिराते मुसतक़ीम (सीधा मार्ग) कहा जाता है जो सभी आसमानी पुस्तको ईश्वर दूतो (अंबियाओ) तथा आइम्मा अलैहेमुस्सलाम के नेतृत्व (की विलायत) का विशेष रूप से पवित्र क़ुरआन मे उल्लेख हुआ है। जिसकी गणना ईश्वर के अभूतपूर्व वरदानो मे होती है, ताकि वह ईश्वर के उन वरदानो के बदले मे जो ज़िम्मेदारीया और कर्तव्य उसके कांधो पर है उनको नेक नियत और सच्चाई के साथ पूरा कर सके, तत्पश्चात अपने विकास और कमाल की मज़िलो को तय करे, इस कुच्छ दिन के जीवन मे अपने परलोकी जीवन को सुधारे और स्वर्ग मे जाने के पश्चात स्वयं को ईश्वर की ख़ुशी से लाभवर्धक होने के लिए तैयार करे।
जारी