
नमाज़ एक ऐसी इबादत है जिसकी बहुत सी क़िस्में पाई जाती हैं
अगरचे जिहाद ,हज ग़ुस्ल और वज़ु की कई क़िस्मे हैं,मगर नमाज़ एक ऐसी इबादत है जिसकी बहुत सी क़िस्में हैँ। अगर हम एक मामूली सी नज़र अल्लामा मुहद्दिस शेख़ अब्बास क़ुम्मी की किताब मफ़ातीहुल जिनान के हाशिये पर डालें तो वहां पर नमाज़ की इतनी क़िसमें ज़िक्र की गयीं है कि अगर उन सब को एक जगह जमा किये जाये तो एक किताब और वजूद मे आ सकती है। हर इमाम की तरफ़ एक नमाज़ मनसूब है जो दूसरो इमामो की नमाज़ से जुदा है। मसलन इमामे ज़मान की नमाज़ अलग है और इमाम अली अलैहिमस्सलाम की नमाज़ अलग है।