Hindi
Sunday 5th of May 2024
0
نفر 0

इस्लाम का ज़ालिमों से कोई सम्बंध नही।

इस्लाम का ज़ालिमों से कोई सम्बंध नही।

"वास्तविक इस्लाम करबला के आईने में" विषय पर गांधी भवन में लेक्चर
इस्लाम आया ही है ज़ुल्म को मिटाने के लिए, अगर कोई नमाज़ें पढ़ने वाला, कोई रोज़े रखने वाला, कोई हज करने वाला ज़ुल्म कर रहा है तो उसकी सभी इबादतें उसके ज़ुल्म की वजह से नष्ट हो जांएगी। क़ुरान साफ़ कहता है कि तुम्हारा ज़रा सा भी झुकाव अगर ज़ुल्म की तरफ़ होगा तो जहन्नम की आग से तुम्हें कोई नहीं बचा सकेगा। ये विचार आज यहां गांधी भवन में मौलाना डाक्टर कल्बे सादिक़ साहब ने व्यक्त किए।
मौलाना ने कहा कि मेरा मक़सद और मेरा पैग़ाम यह है कि हिन्दुओं को मुसलमानों से मिलाए रखा जाए और सभी मुसलमानों को इस्लाम के प्लेटफ़ार्म पर एकजुट रखा जाए। उन्होंने पाकिस्तान में इंसानियत को शर्मिंदा करने वाली घटना के हवाले से कहा कि वह कौन सा मज़हब है जो इस कुरुर, बरबर और अमानवीय कार्रवाई की परमीशन देता है? जो कुछ भी हुआ उसकी जितनी भी निंदा की जाए वह कम है। मैं सभी मुस्लिम उलमा चाहे वह सुन्नी उल्मा हों या शिया उल्मा हों, बरेलवी उल्मा हों या देवबंदी उल्मा हों, वह सब एकजुट होकर इस घटना पर कठोर बयान जारी करें। हम कुछ नही कर सकते तो कम से कम यही कर सकते हैं।
मौलाना ने कहा कि अल्लाह ने हर क़ौम में अपना रसूल भेजा और हर रसूल ने दया की शिक्षा दी और ज़ुल्म को समाप्त किया। उनके ज़माने अलग हैं, उनके इलाक़े अलग हैं लेकिन पैग़ाम एक है। वह जिसने रसूलों को भेजा जिसने किताबों को भेजा, वह कह रहा है लोगों में इंसाफ़ बना रहे। नमाज़ दीन का हिस्सा है,ज़कात दीन का हिस्सा है, रोज़ा दीन का हिस्सा है, जो इन चीज़ों का इंकार करे दे वह दीन से बाहर हो जाएगा। मगर इस्लाम के मूल स्तंभों का पालन भी किया जाए और ज़ुल्म को भी जारी रखा जाए, यह कैसे हो सकता है? जो इस्लाम के उद्देश्य और इस्लाम की आत्मा पर प्रहार करे वह मुसलमान नही हो सकता।
मौलाना ने ऐतिहास के संदर्भ में बात करते हुए कहा कि, इस्लाम में ज़ुल्म कहां से आया? जो कुछ आज हो रहा है इसकी शुरुवात मौला अली के ज़माने से ही हो गई थी। यह ज़ालिम, यह इंसानियत को लज्जित करने वाले, यह बच्चों और मासूमों की हत्या करने वाले सुन्नी, बरेलवी, देवबंदी नही बल्कि ख़्वारिज हैं, जो मौला अली की नमाज़ में बाधा डालते थे। उन्होंने कहा कि इस्लाम दो हैं एक वह जो मौला अली के पास था और दूसरा वह जो ख़्वारिज के पास था। मौला ने उनसे कहा कि, याद रखो मेरे ऊपर ज़ुल्म होगा तो मैं सहन कर लूंगा लेकिन अगर कमज़ोरों पर ज़ुल्म किया जाएगा तो सहन नही करुंगा। मौलाना ने कहा कि तालिबान वारिस हैं ख़वारिज के। मौला ने ख़्वारिज को समझाने के लिए इब्ने अब्बास को भेजा, उनको देखकर इब्ने अब्बास ने कहा यह तो नमाज़ें पढ़ने वाले हैं, रोज़ा रखने वाले हैं। मौला ने कहा कि इस्लाम और ज़ुल्म इकट्ठा नही हो सकते। तुम इनकी नमाज़ों को न देखो इनके ज़ुल्म को देखो। और यह भी कहा कि जब इनसे जंग होगी तो इस्लामी फ़ौज के दस लोग शहीद न होंगे और ख़्वारिज के दस भी न बचेंगे। और जब जंग बाद देखा गया तो इधर नौ शहीद हुए थे और उधर नौ बचे थे।
मौलाना ने आतंकवाद पर हमला करते हुए कहा कि आतंकवादियों का इस्लाम से, रसूल के चरित्र और सुन्नत से क्या सम्बंध? इस्लाम में बे गुनाहों की हत्या हराम है। मौलाना ने करबला के हवाले से साफ़ कहा कि करबला का जिहाद मजबूरी नही था बल्कि इस्लाम की इज़्ज़त व आबरु के लिए ज़रूरी था। तीन बातें सामने रखी गई थीं, बैअत, गिरफ़्तारी या क़त्ल। इमाम हुसैन ने करबला के मैदान में दुश्मन के एक हज़ार के लश्कर को भी पानी पिलाया और लश्कर के घोड़ों को भी पानी पिलाने की इजाज़त दे दी कि जिसके बाद दूध पीते बच्चे के लिए भी पानी न बचने का डर था। यह इस्लाम है कि जो इंसान ही नही बल्कि ज़मीन को भी प्यासा नही देखता।
इस्लाम की रक्षा हुसैन ने की थी कि जो दुश्मन क़त्ल के लिए आया था उसे भी प्यासा नही रखा। अपने बच्चों की प्यास की संभावना को भूल कर दुशमन के सिपाहियों की प्यास बुझाता है। अगर दरिंदों का लश्कर इस्लाम का लबादा ओढ़ ले तो दरिंदे मुसलमान नही हो जाते। मौलाना ने कहा कि यह समय वह समय है कि जब इस्लाम इतना बदनाम हुआ कि शायद कभी नही हुआ था। मौलाना ने अपील की इस्लाम की हर पार्टी हर ग्रुप हर समुदाय पूरी ताक़त के साथ इस ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाए और कहे कि इस्लाम का ज़ालिमों से कोई सम्बंध नही है। जिहाद ज़ुल्म व अत्याचार का नाम नही है। इमाम हुसैन(अ) ने करबला के मैदान में जिस इस्लाम को प्रस्तुत किया वही वास्तविक इस्लाम है। जिसपर इंसानियत को नाज़ है।


source : www.abna.ir
0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

इस्लाम में पड़ोसी अधिकार
इसहाक़ बिन याक़ूब के नाम इमामे ...
इमाम हुसैन अ. के कितने भाई कर्बला ...
एक हतोत्साहित व्यक्ति
हदीसे किसा
अफ़ग़ानिस्तान से अमरीकी सैनिकों ...
दुआए अहद
इस्लाम में औरत का मुकाम: एक झलक
हज़रत हमज़ा इब्ने इमाम काज़िम ...
पैग़मबरे अकरम (स) और आईम्मा (अ) के ...

 
user comment