2 मई वर्ष 1911 को भारतीय उपमहाद्वीप के प्रसिद्ध विद्वान रू सैयद अली बिलगिरामी का स्वर्गवास हुआ। वह 10 नवम्बर वर्ष 1851 को पटना में जन्मे थे। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री पास की और फिर सिविल सर्विस की परिक्षा प्राप्त की। बाद में वे यूरोप चले गये। जहां उन्होंने भू, खनिज, रसायन, प्रकृति आदि की शिक्षा प्राप्त की। वे कई भाषाओं में निपुण थे जिनमें अरबी, फ़ारसी, अंग्रेज़ी, जर्मनी, फ़्रांसीसी, संस्कृति, बंगाली, तेलगू, मराठी, गुजराती और हिंदी शामिल हैं। कहा जाता है कि भारत में इतने ज्ञान और इतनी भाषा में निपुण कोई भी नहीं गुज़रा है। वर्ष 1893 में उन्हें भारत सरकार की ओर से शमसुल ओलमा की उपाधि प्रदान की गयी। उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तकों में बाबर नामा, इल्मुल लेसान, तिलस्म अज़ाए इन्सानी, नूजुमुल फ़ुरक़ान और मग़ारातुल वरा का नाम लिया जा सकता है।
2 मई वर्ष 2011 को कुख्यात चरमपंथी ओसामा बिन लादेन मारा गया। 10 मार्च वर्ष 1957 ईसवी को सऊदी अरब में उसका जन्म हुआ। उसके पिता का नाम मोहम्मद बिन लादेन था। वह मुहम्मद बिन लादेन के 52 बच्चों में से 17वां था। मोहम्मद बिन लादेन सऊदी अरब का अरबपति बिल्डर था जिसकी कंपनी ने देश की लगभग 80 प्रतिशत सड़कों का निर्माण किया था। जब ओसामा के पिता की 1968 में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हुई तब वो युवावस्था में ही करोड़पति बन गया। सऊदी अरब के शाह अब्दुल्लाह अज़ीज़ विश्वविद्यालय में सिविल इंज़ीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान वह कट्टरपंथी इस्लामी शिक्षकों और छात्रों के संपर्क में आया। पाकिस्तान के एब्टाबाद नगर में हुए अमरीकी सेना के अभियान में 2 मई 2011 को उसे मार डाला गया। ओसामा बिन लादेन की मौत के 12 घंटे के बाद अमरीका के विमान वाहक पोत यूएसएस कार्ल विन्सन पर शव को एक सफ़ेद चादर में लपेट कर एक बड़े थैले में रखा गया और फिर अरब सागर में फेंकर दिया गया। अमरीकी अधिकारी के अनुसार, सऊदी अरब ने शव लेने से इनकार कर दिया था। अमरीका का दावा है कि ओसामा बिन लादेन के अलक़ायदा संगठन ने ही 11 सितम्बर वर्ष 2001 को अमरीका के न्यूयार्क नगर के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आक्रमण किया था। ज्ञात रहे कि अमरीका ने सोवियत संघ के विरुद्ध युद्ध करने के लिए अलक़ायदा का गठन किया था ताकि अलक़ायदा के तथाकथित मुजाहिद सोवियत संघ के विरुद्ध युद्ध करके सोवियत सेना को अफ़ग़ानिस्तान से निकाल दें।
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12 उर्दीबहिश्त सन 1358 हिजरी शम्सी को ईरान के प्रसिद्ध विद्वान और दर्शनशास्त्री मुर्तज़ा मुतह्हरी को आतंकवादी गुट फ़ुरक़ान ने शहीद कर दिया। इस प्रसिद्ध विद्वान का वर्ष 1299 हिजरी शम्सी में ईरान के पूर्वोत्तरी नगर फ़रीमान में एक धार्मिक परिवार में जन्म हुआ। 12 वर्ष की अल्पायु में वह पवित्र नगर मशहद के धार्मिक शिक्षा केन्द्र गये और उन्होंने आरंभिक शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद वह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए पवित्र नगर क़ुम गये। उन्होंने क़ुम में इमाम ख़ुमैनी, आयतुल्लाह बुरूजर्दी और अल्लामा तबातबाई से ज्ञान प्राप्त किया। क़ुम में शिक्षा प्राप्ति के दौरान वे राजनैतिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहे और इस्लामी क्रांति के अग्रिम नेताओं में थे। उन्होंने तेइस वर्षों तक तेहरान के इस्लामी शिक्षा व ईश्वरीय पहचान संकाय में पढ़ाया। उनकी पुस्तकें और भाषण इस्लाम की प्रवृत्ति को अधिक स्पष्ट करने वाले थे।
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13 रजब 23 वर्ष हिजरत पूर्व को पैग़म्बरे इस्लाम के चचेरे भाई दामाद और उत्तराधिकारी हज़रत अली अ का मक्का नगर में काबे में जन्म हुआ। उन्की मॉं का नाम फ़ातेमा बिन्ते असद और पिता का नाम अबु तालिब था। उनके पालन पोषण और शिक्षा दीक्षा का दायित्व पैगम्बरे इस्लाम ने संभाला। उनकी पत्नी हज़रत फ़ातेमा ज़हरा पैग़म्बरे इस्लाम की पुत्री थीं। हज़रत अली ने इस्लाम धर्म की सुरक्षा के लिए कठिन परिश्रम किये। वे बहुत वीर थे किंतु उनके सीने में कोमल और दयालु हृदय था। इसी कारण वे समाज के कमज़ोर लोगों की सहायता और अत्याचारियों से संघर्ष करते। उन्होंने न्याय पर आधारित आदर्श शासन व्यवस्था का उदाहरण पेश किया। वे ईश्वर के महान उपासक थे। बहुत ही साहसी व्यक्ति होने के बावजूद जब वे ईश्वर के समक्ष उपासना के लिए खड़े होते उनका चेहरा ईश्वरीय भय से पीला पड़ जाता था। वे महाज्ञानी थे। उनके स्वर्णिम कथनों का संकलन मौजुद है। 19 रमज़ान सन 40 हिजरी क़मरी को एक पथम्रष्ट व्यक्ति ने उन्हे नमाज़ पढ़ते समय घायल कर दिया जिसके दो दिन बाद वे शहीद हो गये।
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source : irib.ir