ईरान की इस्लामी क्रान्ति दुनिया की अन्य क्रान्तियों की तरह समान दिखने के साथ साथ अपनी अलग विशेषता रखती है। अगर इसकी मानकों की समीक्षा करें तो देश के भीतर और विदेश में इसके सांस्कृतिक, राजनैतिक व आर्थिक प्रक्रियाओं पर प्रभाव को समझा जा सकता है।
ईरान की इस्लामी क्रान्ति की एक ऐसी विशेषता जिस पर कम ध्यान दिया गया है वह कला के विषय में ईरान के इतिहास के आधारों का इस्लाम की आध्यात्मिक शिक्षाओं से संयोग और इस्लामी क्रान्ति की कला नामक धारणा पेश की और उसे इस्लामी क्रान्ति के संदेश को फैलाने के लिए इस्तेमाल किया।
आज की दुनिया में जब तक कोई अभियान या विचार कला के रूप में नहीं आता उस वक़्त तक अमर नहीं होता और नही अपेक्षाकृत विस्तृत हो पाता है। वास्तव में कला हर राष्ट्र की संस्कृति को पेश करने का सबसे स्पष्ट प्रदर्शनी है और यह संदेश को पहचनवाने व पहुंचाने का सबसे प्रभावी माध्यम भी है। इस्लामी क्रान्ति भी इससे अपवाद न थी और न है। जिन दिनों वह सफलता की ओर बढ़ रही थी उस समय और क्रान्ति की सफलता के बाद के साल में उसका कला और कलाकारों के विचारों से मज़बूत संबंध था। यही मज़बूत संबंध इस्लामी क्रान्ति की कला के वजूद में आने का कारण बना।
इस्लामी क्रान्ति की कला, कला की विशेष शैली है जो इस्लामी क्रान्ति के पहले दशक में इस्लामी मूल्यों व विचारों तथा ईरान के राजनैतिक, सामाजिक व सांस्कृतिक विषयवस्तुओं से प्रेरणा लेकर वजूद में आयी। इस्लामी क्रान्ति की कला का सबसे अहम काम यह है कि इस कला ने ईरानी कला के तत्वों और आधुनिक कला के ख़ास पहलू के ज़रिए इस्लामी क्रान्ति के अर्थ को तस्वीर के रूप में बयान किया। ईरान की इस्लामी क्रान्ति को 37 साल हो रहे हैं। यह काल कला सहित सभी सांस्कृतिक आयामों की दृष्टि से समृद्ध दौर है। इस्लामी क्रान्ति के दौर के कलाकार तकनीकी कौशल और आध्यात्मिक पहचान के ज़रिए इस्लामी क्रान्ति के बहुत से मूल्यों व शौर्य घटनाओं को कला के ज़रिए पेश कर सके।
इस्लामी क्रान्ति की कला के मुख्य तत्वों की दो आयाम से समीक्षा करनी चाहिए। एक विषयवस्तु के आयाम से और दूसरे सौन्दर्य शास्त्र की नज़र से।
धर्म, कला को रूप देने वाले महत्वपूर्ण तत्वों में है और कला मानव ज्ञान को सबसे प्रभावी ढंग से पेश करने वाली चति है। इसी प्रकार कला धार्मिक प्रतीकों व अर्थों को पेश करने की सबसे सुंदर प्रदर्शनी है। ईरानी कला के मूल घटकों में से एक आध्यात्मिक आयाम है जो पूरे इतिहास में विभिन्न रूपों में प्रकट रहा है। ईरानी कला का यह घटक इस्लामी क्रान्ति के वजूद में आने से बहुत पहले मौजूद था किन्तु इसका रंग फीका पड़ गया था, इस्लामी क्रान्ति व इस्लामी विचारधारा के ज़रिए दोबारा कलाकारों में लौट आया और यह आयाम समय के किसी भी कालखंड की तुलना में अधिक विकसित हुआ।
इस्लामी कला की विगत की परंपराओं ने अपनी सभी विशेषताओं के साथ तस्वीरी आदर्श के रूप में ख़ुद को पेश किया। चूंकि इस्लामी विचार इंसान के लिए पवित्र समाज का गठन चाहता है इसलिए इस्लामी क्रान्ति भी इसी के आधार पर विकसित हुयी। यह कला एक ओर परालौकिक अर्थ को पेश करती थी तो दूसरी ओर चाहती थी कि ज़मीन पर दैनिक जीवन के मामले इंसान के विकास व उन्नति का आधार बनें। इसी कारण इन दोनों कार्यक्षेत्र को वास्तविकता प्रदान करने के लिए सौदंर्यबोधात्मक रूप वजूद में आया।
कला और इस्लामी क्रान्ति में संबंध पर लिखने वाले अहमद शाकिरी कहते हैं, “इस संदर्भ में कई कारण हैं। इनमें से एक कारण वह संबंध है जो क्रान्ति के बाक़ी रहने और उसके बारे में कलाकारों की प्रतिक्रिया के बीच होता है। दूसरा कारण यह है कि क्रान्ति ख़ुद कला या कला के साधन को वजूद देती है। अलबत्ता यह सिर्फ़ क्रान्तियों की विशेषता नहीं है बल्कि इतिहास के अध्ययन से पता चलता है कि मानव समाज में होने वाली जंगों ने भी कला के विशेष स्वरूप को जन्म दिया कि जिनका कला के विदित व निहित रूप में हुए बदलाव पर प्रभाव पड़ा है।”
अहमद शाकिरी ईरान में कला के विकास पर इस्लामी क्रान्ति के प्रभाव के बारे में कहते हैं, “इतिहास व क़ानून की नज़र से कला के ऐसे नमूनों का उल्लेख का अर्थ यह है कि कला का इस्लामी क्रान्ति से संबंध और उस पर इसका प्रभाव पड़ा है। इसी प्रकार वैचारिक व वैचारिक विषयवस्तु की दृष्टि से इस्लामी क्रान्ति के बाद कला, गहरे अर्थ व विषवस्तु से संपन्न रही है।”
इस्लामी क्रान्ति के बाद जब कलाओं की समीक्षा और तुलना करते हैं तो हम यह देखते हैं कि बहुत से अवसर पर पारंपरिक आदर्श व तत्व इस दौर की कला रचनाओं में विद्यमान हैं। दूसरी ओर इस दौर के कलाकारों ने अपनी कला विशेषताओं को बाक़ी रखते हुए आधुनिक कला पर चयनात्मक रूप में ध्यान दिया है। इन कलाकृतियों को देखने से पता चलता है कि इनके निर्माताओं ने न तो सीमा से अधिक अपनी परंपरा पर और न ही अंधाधुंध तरीक़े से आधुनिक कला का अनुसरण किया है। बल्कि अपनी कलात्मक धरोहर की पहचान के साथ पश्चिम की कला के उस पहलु को चुना है जो उनकी कला व संस्कृति के लिए नुक़सानदेह नहीं हैं। इसके साथ ही अपनी पुरानी परंपरा में सुधार की कोशिश की है।
इस्लामी क्रा्नति के कलाकारों ने इस शैली के ज़रिए अपनी रचनाओं में नया अनुभव आज़माया और समकालीन कलाओं में अपने लिए विशेष स्थान हासिल किया। मिसाल के तौर पर इस्लामी क्रान्ति के बाद के पोस्टरों व चित्रों में निगारगरी... के तत्व को देखने से इस बात की पुष्टि होती है। इनमें से ज़्यादातर पोस्टरों में सर्व के पेड़, प्रकाश का प्रभामंडल, या सुंदर चित्र ये सबके के सब ईरानी कला के तत्व हैं जो अपने प्रतीकात्मक अर्थ के साथ साथ समकालीन अर्थ को भी पेश कर रहे हैं। यद्यपि शुरु में कुछ कलाकार, ईरानी कला के तत्वों को आधुनिक दौर की शैलियों के साथ इस्तेमाल में हिचकिचाहट का शिकार थे किन्तु धीरे-धीरे दर्शकों की ओर से स्वागत होने से यह शैली आम
हुयी और विकसित हो गयी।
सभी क्षेत्रों की ईरानी कलाकृतियों की समीक्षा से पता चलता है कि इन मानदंडों का कहीं प्रबल तो कहीं कमज़ोर तरीक़े से आज भी पालन किया जा रहा है और यह कलात्मक परंपरा अभी तक जारी है। विभिन्न कलाकृतियों को देखने से पता चलता है कि अभी भी आध्यात्मिक मूल्य व प्रतीकात्मकता को उच्च स्थान हासिल है और क्रान्ति के कालाकार आध्यात्मिक कोमलता के साथ क्रान्ति से पहले पश्चिम से प्रभावित कला को ईरानी व इस्लामी पहचान की ओर मोड़ने में सफल रहे। इस्लामी क्रान्ति के बाद बहुत से कलाकारों ने अपनी रचनाओं को सुंदर रूप में पेश करने में रूचि दिखाई ताकि दुनिया वालों का ध्यान ईरानी संस्कृति की ओर मोड़ें। इन कलाकारों की सुंदर रचनाओं में जैसे क़ालीन है कि जिसे सभी जाति के लोग पसंद करते हैं। कलाकारों का यह मानना है कि अगर उनके मूल्य व प्रतीकात्मक अर्थ का, दर्शक के लिए को अर्थ न हो तब भी उसे सुंदर माध्यम से पेश करने करने से वह बाक़ी रहते हैं। इस आधार पर इस्लामी क्रान्ति के आध्यात्मिक अर्थ के लिए देखने से विशेष संकेतों के इस्तेमाल व प्रतीकात्मक उल्लेख के अलावा इस तरह की कलाकृतियों का सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें ईरानी कला के एस्थेटिक तत्वों को आधुनिक रूप में पेश किया गया है। कला के क्षेत्र में इसके सुदंर नमूने के तोर पर ईरानी कलाकारों की फ़िल्मों को पेश कर सकते हैं कि जो पूरी दुनिया में लोकप्रिय हैं और इस्लामी क्रान्ति के संदेश को दुनियावालों तक सफलतापूर्वक पहुंचा सकी हैं।
source : irib