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इमाम महदी अलैहिस्सलाम का वुजूद, ग़ैबत, और ज़हूर क़ुरआने मजीद की रौशनी में

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के वुजूद, ग़ैबत, तूले उम्र और आपके ज़हूर के बाद तमाम अदयान के एक हो जाने से मुताअल्लिक़ 94 आयतें क़ुरआने मजीद में मौजूद हैं। जिनमें से अकसर को दोनों फ़रीक़ ने तसलीम किया है। इसी तरह बेशुमार ख़ुसूसी अहादीस भी हैं। तफ़सील के लिए मुलाहेज़ा हो ग़ायतुल मक़सूद व ग़ायतुल मराम अल्लामा हाशिम बहरानी व यानाबि उल मवद्दाता।
इमाम महदी अलैहिस्सलाम का वुजूद, ग़ैबत, और ज़हूर क़ुरआने मजीद की रौशनी में

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के वुजूद, ग़ैबत, तूले उम्र और आपके ज़हूर के बाद तमाम अदयान के एक हो जाने से मुताअल्लिक़ 94 आयतें क़ुरआने मजीद में मौजूद हैं। जिनमें से अकसर को दोनों फ़रीक़ ने तसलीम किया है। इसी तरह बेशुमार ख़ुसूसी अहादीस भी हैं। तफ़सील के लिए मुलाहेज़ा हो ग़ायतुल मक़सूद व ग़ायतुल मराम अल्लामा हाशिम बहरानी व यानाबि उल मवद्दाता।

मैं इस मक़ाम पर आपकी ग़ैबत से मुताअल्लिक़ सिर्फ़ दो तीन आयतें लिखता हूँ। الم ذلك الكتاب لاريب فيه هدي للمتقين الذين يومنون بالغيب हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम फ़रमाते है कि ईमान बिल ग़ैब से इमाम महदी अलैहिस्सलाम मुराद है। नेक बख़्त हैं वह लोग जो उनकी ग़ैबत पर सब्र करें और मुबारक बाद के क़ाबिल हैं वह समझदार लोग जो ग़ैबत में भी उनकी मुहब्बत पर क़ायम रहेंगें।

(यनाबी उल मवद्दत सफ़ा 270 तबा बम्बई)

आपके मौजूद और बाक़ी होने के मुताअल्लिक़ “ وَجَعَلَهَا كَلِمَةً بَاقِيَةً فِي عَقِبِهِ इब्रहीम की नस्ल में कलमा बाक़िया को क़रार दिया है, जो बाक़ी और ज़िन्दा रहेगा। इस कलम -ए- बाक़िया से इमाम महदी अलैहिस्सलाम का बाक़ी रहना मुराद है। वही आले मुहम्मद अलैहिमु अस्लाम में बाक़ी हैं।

(तफ़सीरे हुसैनी अल्लामा हुसैन वाइज़ काशफ़ी सफ़ा 226)

आपके ज़हूर और ग़लबे के मुताअल्लिक़ “ لِيُظْهِرَهُ عَلَى الدِّينِ كُلِّهِ ” जब इमाम महदी ब हुक्मे ख़ुदा ज़हूर फ़रमाएगें तो तमाम दीनों पर ग़लबा हासिल कर लेगें। यानी दुनिया में दीने इस्लाम के अलावा कोई और दीन न होगा।

(नूरल अबसार, सफ़ा 153 तबा मिस्र)

इमाम महदी अलैहिस्सलाम का ज़िक्र कुतुबे आसमानी में

हज़रत दाऊद की ज़बूर की आयत 4, मरमूज़ 94 में है कि आख़री ज़माने में जो इन्साफ़ का मुजस्सेमा इंसान आयेगा, उसके सर पर अब्र साया फ़िगन होगा।

किताब सफ़या -ए- ग़म्बर के फ़सल 3, आयत न. 9 में है कि आख़री जमाने में तमाम दुनिया मुवह्हिद हो जायेगी।

किताब ज़बूर मरमूज़ 120 में है, जो आख़ेरुज़्ज़मान आयेगा उस पर आफ़ताब असर अन्दाज़ न होगा।

सहीफ़ -ए- शैया पैग़म्बर के फ़सल 11, में है कि जब नूरे ख़ुदा ज़हूर करेगा तो अदलो इँसाफ़ का डँका बजेगा। शेर और बकरी एक जगह रहेंगें। चीता और बुज़गाला एक साथ चरेगें। शेर और गौसाला एक साथ रहेंगें, गोसाला और मुर्ग़ एक साथ होंगे। शेर और गाय में दोस्ती होगी। तिफ़ले शीर ख़्वार सांप के बिल में हाथ डालेगा और वह नहीं काठेगा । इसी सफहे के फ़सल 27 में है कि यह नूर ज़ाहिर होगा तो तलवार के ज़रिये तमाम दुशमनों से बदला लेगा।

सहीफ़ा -ए- तनजास हरफ़े अलिफ़ में है कि ज़हूर के बाद सारी दुनिया के बुत मिटा दिये जायेंगें। ज़ालिम और मुनाफ़िक़ ख़त्म कर दिये जायेगें। यह ज़हूर करने वाला कनीज़े ख़ुदा (नरजिस) का बेटा होगा।

तौरात के सफ़रे अम्बिया में है कि महदी अलैहिस्सलाम ज़हूर करेंगें। हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम आसमान से उतरेंगें, दज्जाल को क़त्ल करेंगें।

इँजील में है कि महदी और ईसा अलैहिस्सलाम दज्जाल और शैतान को क़त्ल करेंगें।

इसी तरह मुकम्मल वाक़िया जिसमें शहादते इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और ज़हूर महदी अलैहिस्सलाम का इशारा है इनजील किताब दानियाल बाब 12, फ़सल9, आयत 24 रोया 2, में मौजूद है।

(किताब अल वसाएल, सफ़ा, 129 तबा बम्बई, 1339 हिजरी


source : alhassanain
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