अहलेबैत (अ )न्यूज़ एजेंसी अबना : प्राप्त सूत्रों के अनुसार सय्यद हसन नसरुल्लाह ने शहीद हादी अल्आशिक़ और मोहम्मद हसन नासिर के ईसाले सवाब की मजलिस में इन जिहाद करने वालों के घर वालों को ताज़ियत पेश की ,और कहा कि मोहम्मद हसन नासिरुद्दीन सिर्फ 20 साल के थे कि उन्हें शहादत का दर्जा मिला। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में आप लोगों के कानों में यह आवाज भी आएगी कि हिज़्बुल्लाह ज़बरदस्ती जवानों को जंग में लड़ने के लिए भेज रही है, लेकिन इन शहीदों के माँ बाप बहनें और भाई यह सच्चाई जानते हैं। सैयद हसन नसरूल्लाह ने कहा कि ज़ायोनियों के साथ युद्ध में भी हमारे जवान जो अपने माँ बाप की इकलौती औलाद थे शहीद हुए और तकफ़ीरियों के साथ युद्ध में हमारे 10 ऐसे जवान शहीद हुए हैं जो इकलौते बेटे थे। यह जवान अपनी इच्छा से ज़ायोनियों और तकफ़ीरियों के साथ लड़ने के लिए मैदान में आए थे। यहां पर सवाल यह उठता है कि क्या वजह है कि बूढ़े, जवान, बच्चे युद्ध पर जाना चाहते हैं। आप ने शहीद अली हाजी अलमारूफ़ हाज अब्बास के बारे में बातचीत करते हुए कहा कि 2000 में लेबनान में होने वाली जंग में एक कमांडर थे, वह आतंकवादियों के साथ लड़ने के लिए हमेशा मैदान में मौजूद होते थे। हिज़बुल्लाह की हर लड़ाई में वह ज़रूर शामिल होते थे, आज कुछ क्षेत्रों के हालात सुकून में है तो यह जिहाद करने वालों की कुर्बानियों की वजह से हैं। यह शहीदों का खून है जो रंग लाया है, और हमें सफ़लता प्राप्त हुई उन्होंने आगे कहा कि जब तक दाइश बाक़ी है लड़ाई जारी रहेगी, इसलिए क्योंकि अगर यह आतंकवादी क्षेत्र में बाक़ी रह गए तो दोबारा सर उठाएंगे। क्योंकि यह कैंसर है जो लेबनान में पलटने के मंसूबे बना रहा है, लेकिन अमेरिका चाहता है कि यह आतंकवाद बाक़ी रहे, जो दाइश के साथ लड़ने के ख़िलाफ़ है। लेकिन अमेरिका को मालूम होना चाहिए कि वह उस को नहीं बचा सकता इसलिए कि यहआखिरी सांस ले रहे हैं, एवं सीरिया में अमेरिका और सऊदी अरब का मंसूबा मिट्टी में मिल गया है, जिस तरह इनकी इराक़ में हार हुई है इसी तरह सीरिया में भी उनका ताबूत उठने वाला है उन्होंने आगे कहा की अमेरिका ईरान से परमाणु शक्ति के कारण दुश्मनी नहीं कर रहा है, ईरान सऊदी अरब एवं अमेरिका के मंसूबों पर पानी फेर देता है जिससे वह जल भुन जाते हैं।