एक नमाज़े जमाअत घर में पढ़ी जाने .......से बेहतर है।
रसूले इस्लाम स.अ ने फ़रमायाः
صَلاةُ الرَّجُلِ فِي جَمَاعَةٍ خَيْرٌ مِنْ صَلاتِهِ فِي بَيْتِهِ أرْبَعِينَ سَنَةً.
एक नमाज़े जमाअत घर में पढ़ी जाने वाली 40 साल की फ़ुरादा नमाज़ से बेहतर है।
(मुस्तदरकुल वसाएल ज 6 पेज 446)