तुर्की में प्रधानमंत्री रजब तैयब अर्दोगान की जस्टिस एंड डेवलेपमेंट पार्टी ने संसदीय चुनाव में निरंतर तीसरी बार सफलता अर्जित की है। टीकाकार जस्टिस एंड डेवलेपमेंट पार्टी की सफलता की दो आयामों से समीक्षा कर रहे हैं। पहली बात तो यह है कि यद्यपि जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी ने अपने प्रतिद्विंदिवियों को पराजित कर दिया है किंतु संसद में पहले की तुलना में उसकी सीटें कम हुई हैं जबकि तुर्की के प्रधानमंत्री रजब तैयब अर्दोग़ान इस देश के संविधान में संशोधन के लिए संसद में दो तिहाई सीटें प्राप्त करने का प्रयास कर रहे थे। इसी लिए अब इस स्थिति में वे विपक्ष से वार्ता और उन्हें कुछ विशिष्टताएं देने पर विवश होंगे। दूसरी बात यह है कि पहले की तुलना में संसद में उनकी पार्टी की सीटें कम होने से यह भी पता चलता है कि संविधान में संशोधन के उनके निर्णय का तुर्की में किसी सीमा तक विरोध है इसके अतिरिक्त चुनाव के दौरान विपक्षी दलों ने यह प्रचार किया था कि रजब तैयब अर्दोगान, सत्ता प्रेम में ग्रस्त हैं और अब परिणामों के बाद लगता है कि विपक्ष का यह प्रचार भी किसी सीमा तक काम आया है किंतु पश्चिमी शक्तियों और इस्राईल के बारे में तुर्की के प्रधानमंत्री का ठोस रूख निश्चित रूप से चुनाव में निर्णायक रहा है किंतु यह एक वास्तविकता है कि जस्टिस एंड डेवलेपमेंट पार्टी को तुर्की में अत्यन्त जटिल और पुरानी हिजाब की समस्या के समाधान के लिए भी अब विपक्षी पार्टियों के सहयोग की आवश्यकता होगी। प्रत्येक दशा में जस्टिस एंड डेवलेपमेंट पार्टी तुर्की की उन गिनी चुनी पार्टियों में है जो तीन बार निरंतर सत्ता प्राप्त करने में सफल हुई हैं जिसका मुख्य कारण कुछ टीकाकारों की दृष्टि में विदेश नीतियों में अर्दोगान सरकार की सफलता है। देश के भीतर जस्टिस एंड डेवलेपमेंट पार्टी ने तुर्की की जनता की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करके अपना जनाधार बढ़ा लिया क्योंकि तुर्की में धर्म विरोधी दलों की लंबी सत्ता अवधि में धर्म और धार्मिक आस्थाओं को किनारे लगा दिया गया था।
तुर्की में प्रधानमंत्री रजब तैयब अर्दोगान की जस्टिस एंड डेवलेपमेंट पार्टी ने संसदीय चुनाव में निरंतर तीसरी बार सफलता अर्जित की है। टीकाकार जस्टिस एंड डेवलेपमेंट पार्टी की सफलता की दो आयामों से समीक्षा कर रहे हैं। पहली बात तो यह है कि यद्यपि जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी ने अपने प्रतिद्विंदिवियों को पराजित कर दिया है किंतु संसद में पहले की तुलना में उसकी सीटें कम हुई हैं जबकि तुर्की के प्रधानमंत्री रजब तैयब अर्दोग़ान इस देश के संविधान में संशोधन के लिए संसद में दो तिहाई सीटें प्राप्त करने का प्रयास कर रहे थे।