मानवाधिकार संगठन ह्युमन राइट्स वाच ने कहा है कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के विरुद्ध हो रहे योजनाबद्ध सांप्रदायिक दंगों को यदि वहां की सेना चाहती तो नियंत्रित कर सकती थी किन्तु वह मूकदर्शक बनी रही यहां तक कि सेना अब भी मुसलमानों को यातनाएं दे रही है। इस संस्था का कहना है कि म्यांमार के सुरक्षाबलों ने हज़ारों रोहिंग्या मुसलमानों की हत्याएं की, उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार किया और बड़ी संख्या में मुसलमानों को गिरफ़्तार भी किया है। 56 पृष्ठों पर आधारित ये रिपोर्ट पश्चिमी म्यांमार के रखाइन प्रांत में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की दयनीय स्थिति को विश्व के सामने उजागर करने और विश्ववासियों का ध्यान उस ओर आकर्षित करने वाली पिछले 15 दिनों में ये दूसरी रिपोर्ट है। ह्यूमन राइट्स वाच ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, मुसलमानों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को रोकने हेतु अपनी गंभीरता को दर्शाने के लिए आवश्यक है कि म्यांमार सरकार संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत टोमास क्वेंटाना को जांच करने के लिए पूरी छूट दे और ज़िम्मेदार लोगों के विरुद्ध कार्रवाई करे। एचआरडबल्यु की रिपोर्ट से पहले एमनेस्टी इंटरनेश्नल ने भी अपनी रिपोर्ट में रखाइन में रोहिंग्या मुसलमानों के विरुद्ध जातीय हिंसा की बात कही थी किन्तु म्यांमार सरकार ने उस रिपोर्ट को भी निराधार और पक्षपातपूर्ण बताते हुए ख़ारिज कर दिया था। इसी बीच मियांमार के राष्ट्रपति थीन सीन ने कहा है कि इसका समाधान यही है कि रोहिंग्या मुसलमानों को या तो देश से निकाल दिया जाए या उन्हें शरणार्थी कैंपों में रखा जाए।{समाचार समाप्त.....166
मानवाधिकार संगठन ह्युमन राइट्स वाच ने कहा है कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के विरुद्ध हो रहे योजनाबद्ध सांप्रदायिक दंगों को यदि वहां की सेना चाहती तो नियंत्रित कर सकती थी किन्तु वह मूकदर्शक बनी रही यहां तक कि सेना अब भी मुसलमानों को यातनाएं दे रही है..........