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Saturday 4th of May 2024
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करबला में प्रवेश

2 मुहर्रमुल हराम सन 61 हिजरी दिन गुरूवार को इमाम हुसैन (अ) ने करबला मे प्रवेश किया नूरुलीन पेज 46 हैवातुल हैवान भाग 1 पेज 51 मतालिब सउल पेज 250,रशादे मुफ़ीद, दमअतुस्साकेबा पेज 321.

वाइज़े काशेफ़ी और अल्लामारबली का बयान है कि जैसे ही इमाम हुसैन (अ) ने ज़मीन करबला पर क़दम रखा ज़मीन करबला ज़र्द (पीली) हो गई और एक ऐसा ग़ुबार उठा जिसके कारण आपके चेहरये मुबारक पर संकट प्रकट हुआ, यह देखकर असहाब डर गए और उम्मे कुलसूम रोने लगीं (कशफ़ुल ग़ुम्माह पेज 69 रोज़ातुश्शोहदा पेज 301).

मखज़नुल बुका के लेखक लिखते हैं कि करबला मे प्रवेश के तुरन्त बाद उम्मे कुलसूम ने इमाम हुसैन (अ) से पूछा, भाई जान यह कैसी ज़मीन है कि इस जगह हमारे ह्रदय दहल रहे हैं इमाम हुसैन (अ) ने उत्तर दिया यह वही स्थान है जहां बाबाजान ने सिफ़्फ़ीन की यात्रा मे सपना देखा था यानी यह वह जगह है जहाँ हमारा रक्त (ख़ून) बहेगा, किताब माईन मे है कि उसी दिन एक सहाबी ने बैरी के पेड़ से मिसवाक के लिए डाली काटी तो इससे ताज़ा खून पारित हो गया।

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