पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
हे कुमैल, ईश्वर और उसके ओलिया को स्वीकार करने के उपरान्त बेहतरीन कार्य जो परमात्मा के सेवक कर सकते है वह शुचिता तथा धैर्य है।
हे कुमैल, अपनी ग़रीबी, होब्सन को लोगो के सामने प्रकट न करो तथा धैर्य रखो और परमात्मा की संतुष्टता एंव उसके सम्मान हेतु उनका आवरण करो।
हे कुमैल, अपने भाई को रहस्य से सुचित करने से भयभीत न हो, परन्तु ऐसा भाई जो कठिनाई तथा वित्तीय घाटे मे तुम्हारा संरक्षक हो, पीछे न हटे, यदि उससे कुच्छ पूछो तो धोखा न करे और तुम्हे अकेला न छोड़े ताकि यह समझे के तुम समस्याओ से झूझ रहे हो यदि तुम्हे कोई समस्या है तो उसका समाधान करे।
हे कुमैल एक विश्वासी व्यक्ति दूसरे विश्वासी व्यक्ति का दर्पण है, अर्थात उसकी त्रुटियो को उससे बताता है ग़रीबी तथा रोग के समय उसकी सहायता करता है।
हे कुमैल, सभी विश्वासी व्यक्ति एक दूसरे के भाई है और कोई भी वस्तु एक भाई के समीप दुसरे भाई से अधिक महत्व नही रखती।
जारी