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कुमैल को अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) की वसीयत 7

कुमैल को अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) की वसीयत 7

पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन

लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान

 

हे कुमैल, यदि तुम अपने भाई से प्यार नही करते, तो तुम उसके भाई नही हो, विश्वासयोग्य वह व्यक्ति है जो हम निर्दोषो (आइम्मए मासूमीन अ.स.) की आज्ञा का पालन करे तथा हमारे कथन कहे; जो व्यक्ति हमारे कथनो का उल्लंघन करे वह हम से अलग हो गया और जो हम से अलग हो गया वह हम से नही जुड़ सकता (उस स्थिति मे) वह नर्क मे है।

हे कुमैल, प्रत्येक उदास दिल अपने दिल के दर्द को बयान करता है, यदि कोई अपना दर्द दिल तुम से कहे तो उसे गुप्त रखो, कहीं ऐसा न हो कि तुम उसके दर्द को दूसरे से कहो, ध्यान रहे कि प्रकटीकरण ऐसा पाप है जिसका कोई पश्चताप नही है और ऐसा पाप जिसकी कोई पश्चताप नही उसका अंत नरक है।

हे कुमैल, हज़रत मुहम्मद (स.अ.व.अ.व.) की संतान के रहस्य को प्रकट करना मुआवज़े देने एंव क्षमा करने के योग्य नही है और यह किसी भी व्यक्ति से सहन नही किया जाएगा तथा पैग़म्बर की संतान के रहस्य को विश्वासी व्यक्ति के अतिरिक्त किसी से ना कहो।        

जारी

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