पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
3- इसी प्रकार दूसरे शब्दो मे ज़ियाद नख़ई के पुत्र कुमैल से कहाः
हे कुमैल, लोग स्वयं यह आदेश पारित करे दिन मे अच्छे काम करने का प्रयास करे तथा रात्रियो के माध्यम से अपनी न्यायिक आवश्यकताओ को पूरा करने का प्रयत्न करे।
क़सम खाता हूँ कि आवाज़ को सुनकर, किसी के हृदय को प्रसन्न नही किया किन्तु ईश्वर इस प्रसन्नता से उस पर कृपा करेगा जैसे ही कोई बला या कठिनाई उस पर आऐगी तो ईश्वर की यह कृपा पानी के समान उसकी ओर चल पडेगी ताकि उस बला व कठिनाई को उस से दूर कर दे जिस प्रकार एक प्यासे ऊँट को जलाश्य से दूर करती है।[1]-[2]
[1] وَ قَالَ ( عليه السلام ) : لِكُمَيْلِ بْنِ زِيَادٍ النَّخَعِيِّ يَا كُمَيْلُ مُرْ أَهْلَكَ أَنْ يَرُوحُوا فِي كَسْبِ الْمَكَارِمِ وَ يُدْلِجُوا فِي حَاجَةِ مَنْ هُوَ نَائِمٌ فَوَالَّذِي وَسِعَ سَمْعُهُ الْأَصْوَاتَ مَا مِنْ أَحَدٍ أَوْدَعَ قَلْباً سُرُوراً إِلَّا وَ خَلَقَ اللَّهُ لَهُ مِنْ ذَلِكَ السُّرُورِ لُطْفاً فَإِذَا نَزَلَتْ بِهِ نَائِبَةٌ جَرَى إِلَيْهَا كَالْمَاءِ فِي انْحِدَارِهِ حَتَّى يَطْرُدَهَا عَنْهُ كَمَا تُطْرَدُ غَرِيبَةُ الْإِبِلِ
वक़ाला (अलैहिस्सलाम) लेकुमैलिब्ने ज़ियादिन नख़इऐ या कुमैलो मुर आहलका अन यरूहू फ़ी कसबिल मकारेमे व युदलेजु फ़ी हाजते मन होवा नाएमुन फ़वल्लज़ी वसआ समओहुल असवाता मा मिन अहादिन ओदआ क़लबन सोरूरन इल्ला व ख़लक़ल्लाहो लहू मिन ज़ालेकस्सोरूरे लुत्फन फ़एज़ा नज़लत बेहि नाएबतुन जरा इलैहा कलमाए फ़ी इनहेदारेहि हत्ता यतरोदहा अन्हो कमा तुतरदो ग़रीबतुल एबेले। (नहजुल बलाग़ा, ख़ुतबा 143)
यह प्रसिद्ध रिवायतो मे से है। इब्ने कसीर दमिश्क़ी ने अलबिदाया वन्निहाया भाग 9 पेज 47 मे कहा हैः
وَ قَد رُوِیَ عَن کُمَیل جَمَاعَۃ کَثِیرَۃ مِنَ التَّبِعِین وَ لَہُ الأثَرُ المَشھُورُ عَن عَلِی بن أبِی طَالِب ألَّذِی أوَّلہُ (القُلُوبُ أوعِیۃ فَخَیرُھَا أوعَاھَا) وَ ھُوَ طَوِیل قَد رَوَاہُ جَمَاعَۃ مِنَ الحُفَّاظِ الثِّقَاتِ وَ فِیہِ مَوَاعِظ وَ کَلَام حَسَن رَضِیَ اللہُ عَن قَائِلِہِ
वा क़द रोवेया अन कुमैलिन जमाआतुन कसीरतुन मिनत्ताबेईनी वलहुल असरूल मशहूरो अन अली इब्ने अबी तालेबिन अल्लज़ी अव्वलोहू (अलक़ोलूबो औएयतुन फ़ख़ैरोहा औआहा) व होवा तवीलून क़द रवाहो जमाअतुन मिनल हुफ़्फ़ाज़िस्सेक़ाते वफ़ीहे मवाएज़ुन वकलामुन हसानुन रज़ेयल्लाहो अन क़ाएलेही।
[2] विभिन्न पुस्तको से कुमैल की रिवायत को उद्धत किया गया है जिन मे
अत्तबक़ातुल कुबरा (इब्ने सअद), भाग 6, पेज 179; तबक़ाते ख़लीफ़ा, पेज 148; तारीख़े ख़लीफ़ा, पेज 288; अत्तारीख़ुल कबीर, भाग 7, पेज 443, क्रमाँक 1036; तारीख़ुस्सेक़ात, पेज 398, क्रमाँक 1423; अलमारेफत वत्तारीख, भाग 2, पेज 481; अनसाबुल अशराफ़, 4 हिजरी क़मरी भाग 1, पेज 517, 529, 534, 543, भाग 5, पेज 30, 41, 45, 54; फ़ुतुहुल बुलदान, पेज 458; अलफ़ोतुह (इबने आसम), भाग 7, पेज 141; तारीखुल याक़ूबी, भाग 2, पेज 205 – 206; तारीख़े तबरि, भाग 4, पेज 318, 323, 326, 403, 404, 446, भाग 6, पेज 350, 365; अलजरहा वत्तादील, भाग 7, पेज 174 – 175, क्रमाँक 905; अस्सेक़ात (इबने हब्बान), भाग 5, पेज 341; अनसाबुल अरब, पेज 415; मुरूजुज़्ज़हब, पेज 1749; अत्तमबिह वलइशराफ़, पेज 275; अलइरशाद फ़ी मारेफ़ते ओलामाइल बेलाद, भाग 1, पेज 221; एनुल अदब, पेज 265; सिराजुल मोलुक, पेज 110; अलख़ेसाल, भाग 1, पेज 186; अलअमाली (तूसी), भाग 1, पेज 19; रेजाल (तूसी), पेज 56, क्रमाँक 6; दीवानुल मआनी, भाग 1, पेज 146 - 147; अलजलीसुस्सालेह, भाग 3, पेज 331; शरहे नहजुल बलाग़ा, पेज 495 - 497; हिलयतुल औलिया, भाग 1, पेज 79 - 80; सिफ़तुस्सफ़ा, भाग 1, पेज 127; अलकामिल फ़ित्तारीख़, भाग 3, पेज 138, 144, 183, 205, 376, 379, भाग 4, पेज 472, 481; अलअक़दुल फ़रीद, भाग 2, पेज 212 - 213; ओयूनिल अख़बार, भाग 2, पेज 120, 355; तहज़ीबुल कमाल, भाग 3, पेज 1150; अहदुल ख़ुलफ़ाइर्राशेदीन (तारीखुल इस्लाम), पेज 383, 430; अलमुग़नि फ़ी ज़ोआफ़ा, भाग 2, पेज 533, क्रमाँक 5109; मीज़ानुल एतेदाल, भाग 3, पेज 415, क्रमाँक 6978; अलमजरूहीन लेइब्ने हब्बान, भाग 2, पेज 221; तहज़ीबुत्तहज़ीब, भाग 8, पेज 447 – 448, क्रमाँक 811; तक़रीबुत्तहज़ीब, भाग 2, पेज 136, क्रमाँक 70; ख़ुलासातुत्तहज़ीबुत्तहज़ीब, पेज 323; अलबिदाया वन्निहाया, भाग 9, पेज 46 - 47; अत्तज़केरतुल हमदुनिया, भाग 1, पेज 67; अलइसाबा, भाग 3, पेज 318, क्रमाँक 7501 की ओर संकेत किया गया है।