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कुमैल की प्रार्थना की प्रमाणकता 1

पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन

लेखकः आयतुल्लाह अनसारीयान

 

कुमैल की प्रार्थना की प्रसिद्धि के कारण अधिकांश प्रार्थनाई पुस्तको मे इसकी सनद का उल्लेख करना उचित एवं आवश्यक नही समझा गया तथा इसकी अखंडता फ़साहत व बलाग़त (अर्थात बयानबाज़ी) प्रार्थना की सिनखियत अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) की प्रार्थनाओ के अन्वेषक है जो अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) के मनशाआत से है। 

विद्वान शूसतरी ने क़ामूसुर्रेजाल नामी (पुरूषो के शब्दकोश) मे कहा हैः

कुमैल की प्रार्थना उन मान्नीय प्रार्थनाऔ मे से है जिसका शिया तथा सुन्नी दोनो समप्रदायो ने उल्लेख किया है।[१]

कुमैल की प्रार्थना के कुच्छ दस्तावेजात निम्नलिखित हैः

1. शेख़ तूसी ने मिस्बाहुल मुतहज्जिद नामी पुस्तक मे कुमैल की प्रार्थना के समबंध मे कहाः

 

رُوِیَ أَنَّ کُمَیلَ بن زِیاد النَّخَعِی رَأیَ أَمِیرُألمُؤمِنِینَ علیہ السلام سَاجِداً یَدعُوا بِھَذَا الدُعَاء فِی لَیلَۃِ النِّصفِ مِن شَعبَان: أَللھُمَّ إِنِّی أَسألُکَ بِرَحمَتِکَ أَلَّتِی وَسِعَت کُلَّ شَیئ

रोवेया अन्ना कुमैलब्ना ज़ियादिन्नख़ई राआ अमीरुल मोमेनीना अलैहिस्सलाम साजेदन यदऊ बेहाज़द्दुआ फ़ी लैलतिन्निसफ़े मिन शाबानिनः अल्लाहुम्मा इन्नी असअलोका बेरहमतेकल्लती वसेअत कुल्ला शैइन[२]

रिवायत मे आया है कि कुमैल पुत्र ज़ियाद नख़ई ने अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम को 14 शाबान की आधी रात को सजदे की हालत मे इस दुआ को पढ़ते हुए देखा।

 

जारी



[१] क़ामूसुर्रेजाल (पुरूषो का शब्दकोश), भाग 8, पेज 603

[२] मिस्बाहुल मुताहज्जिद, पेज 844

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