पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
इस उज्जवल शब्द और दिव्य फ़ैज़ के ख़ज़ाने का जपन, हर समय तथा प्रत्येक कार्य के प्रारम्भ मे अच्छा और लोकप्रिय है; जैसे ही वक्ता उसके अर्थ को ध्यानपूर्वक और स्वच्छ इरादे के साथ ईश्वर से उपाश्रय के कसद से अपने भीतर के मैलेपन और अनुचित मेलमिलाप और अपारदर्शित विस्थापन से सफ़ाई तथा समस्याओ को हल करने के लिए इस नाम का जपन करता है, तो इसके प्रभावो के लाभ का हक़दार होता है।
अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद (सललल्लाहो अलैहेवा आलेहि वसल्लम) से रिवायत हैः जो व्यक्ति दस बार (बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम) का जपन करेगा, तो ईश्वर प्रत्येक अक्षर के लिए उस व्यक्ति के नामाए आमाल मे चार हज़ार अच्छाईयाँ लिखता है और चार हज़ार बुराईया समाप्त करता है और चार हज़ार दर्जो को बढ़ाता है।[1]
दूसरी रिवायत मे इस विषय के साथ आया हैः
जो व्यक्ति भोजन करते समय बिस्मिल्लाह कहे तो शैतान उसके भोजन मे सम्मिलित नही होता यदि भोजन करने मे व्यस्थ हो जाए और बिस्मिल्लाह कहना भूल जाए तो शैतान उसके भोजन मे सम्मिलित हो जाता है।[2]-[3]
जारी
[1] مَن قَرَأَ بِسمِ أللہِ الرَّحمٰنِ الرَّحِیمِ کَتَبَ أللہُ لَہُ بِکُلِّ حَرف أربَعَۃَ ألَافِ حَسَنَۃ وَ مَحَا عَنہُ أربَعَۃَ ألَافِ سَیِّئّۃ وَ رَفَعَ لَہُ أربَعَۃَ ألَافِ دَرَجَۃ
(मन क़राआ बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीमे कतबल्लाहो लहु बेकुल्ले हरफ़िन अरबअता आलाफ़े हसानतिन वमहा अन्हो अरबअता आलाफ़े सय्येअतिन वरफ़आ लहू अरबअता आलाफ़े दराजतिन) जामेउल अख़बार, पेज 42, अध्याय 22 मुस्तदरकुल वसाएल, भाग 4, पेज 388, अध्याय 45, हदीस 4955 बिहारुल अनवार, भाग 89, पेज 258, अध्याय 29, हदीस 53
[2] سُئِلَ النَّبِی ﷺ: ھَل یَأکُلُ ألشَیطَانُ مَعَ الإِنسَانِ؟ فَقَالَ: نَعَم، کُلُّ مَائِدۃ لَم یُذکَر بِسمِ أللہِ عَلَیھَا یَاکُلُ ألشَیطَانُ مَعَھُم وَ یَرفَعُ أللہُ البَرکَۃَ عَنھَا
(सोएलन्नबि सललल्लाहो अलैहे वाआलेही वसल्लमः हल याकोलुश्शैतानो माअल इनसाने? फ़क़ालाः नाअम, कुल्लो माएदतिन लम युज़कर बिस्मिल्लाहे अलैहा याकोलुश्शैतानो माआहुम वयरफ़ाअल्लाहुल बरकता अनहा) जामेउल अख़बार, पेज 42, अध्याय 22; बिहारुल अनवार, भाग 89, पेज 258, अध्याय 29, हदीस 53
[3] बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम से समबंधित वर्णन तथा हक़ीक़तो का स्पष्टीकरण क़ाफ़ी, मआनीउल अख़बार, तोहीदे सदूक़, वसाएलुश्शिआ, बैहरुल हक़ाइक, मफ़ातिहुल ग़ैब, फ़ातेहतुल किताब का वर्णन कि जो फ़ैज काशानी के बाद के विद्वान द्धारा लिखी गई है इन पुस्तको मे अध्ययन कर सकते है।