पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
इसके पूर्व लेख मे हमने इस बात का स्पष्टीकरण करने का प्रयत्न किया था कि विस्मिल्लाह के पठन करने वालो को इस बात से अवगत कराया जाता हैः कि मै देखने वाला हूँ, मै तेरे सभी (अर्थात गुप्त एवं प्रकट) कार्यो को देख रहा हूँ, मै सुनने वाला हूँ परिणाम स्वरूव तेरी सभी प्रकार की प्रार्थनाओ को सुन रहा हूँ, मै गणना करने वाला हूँ अंतः मै तेरे श्वसन की गणना करता हूँ, मेरे अंतर्ज्ञान की छाया मे अपने कार्यो मे पाखंड तथा दिखावे से बचो ताकि तुझे हमेशा के लिए इनामी पोशाक पहनाऊ, मेरे समीअ होने की छाया मे बेकार की बाते करने से बचो, ताकि तुझे अनुग्रह शांति प्रदान करुँ, और मेरे गणक होने के छाया मे एक सेकंण्ड भी लापरवाही ना कर, ताकि उसके बदले मे तुझे मुलाक़ात का अवसर प्रदान करूँ। इस लेख मे आप इस बात का अध्ययन करेंगे कि एक रहस्यवादी व्यक्ति जब भगवान को प्राप्त कर लेता है तो उसका जीवन कैसा होता है।
प्रमी रहस्यवादी और आकर्षक साधक एंव प्रेमी के प्रेम की आग मे जलने वाले कहते हैः जिस व्यक्ति ने बिस्मिल्लाह के रहस्यमय, मलाकूती तथा उत्कृष्ट (अरशी) अर्थ तथा अवधारणाओ से लाभ उठाया वह अपने मित्र की बलाओ पर धैर्य रखे, तथा स्वयं को सीधे मार्ग पर लगाये, ताकि मीम के प्रकाशीय स्थान के दर्शन तक पहुँच सके।
ईरानी कवि हुमा शीराज़ी ने जो कविता कही उसका सारांश यह है किः जिस समय से हमे तेरी मोहब्बत प्राप्त हुई है हमने लोक एवं परलोक को त्याग दिया है तथा जब से हमे अपने जीविन के व्यतीत करने हेतु तेरा सुंदर मकान प्राप्त हुआ है तो हमे काबे, दैर तथा चर्च की आवश्यकता नही रही, जब हमारी मस्ती इतनी अधिक हो गई तो फिर हमारे लिए जाम का महत्तव नही है हम उन शराबीयो मे से है जो जाम से नही बलकि समुद्र से शराब पीते है, प्रत्येक रात्रि मे शराब पीने की लत मे गिरफ़्तारी मेरे लिए हसने योग्य है, जब से मैने पीरे मुग़ान के सामने अपने शीर्ष को रखा है उसी समय से मैने पैरो से अफसरो को रौंध डाला है, हे हुमा दीवाने को किसी शहर मे कोई स्थान नही मिला इसी कारण मैने जंगल मे अपना तम्बू लगाया है।[1]
[1] ईरानी कवि हुमा शीराज़ी की कविता मे एक रहस्यमय व्यक्ति की हालत को बताया गया है कि जब उसे भगवान मिल जाता है तो फ़िर उसे लोक एवं प्रलोक की परवाह नही करता है।