पुस्तकः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान
इसके पूर्व लेख मे हमने प्रश्न का वर्णन किया था कि जब प्रत्येक सेकंण्ड मे विषयली कार्बन की मात्रा बढ़ती ही जाती है तो फ़िर यह कहाँ जाता है? यदि वायु मे आक्सीजन तथा कार्बन होता है तो कार्बन की मात्रा अधिक होनी चाहिए थी क्योकि आक्सीजन की तुलना मे कार्बन की मात्रा अधिक होती जा रही है, तो यह मानव और पशु किस प्रकार जीवित है यह मर क्यो नही जाते? इस लेख मे आपको इसी प्रश्न के उत्तर का अध्ययन करने को मिलेगा।
इस प्रश्न का उत्तर यह है किः
ईश्वर की दया एंव कृपा से यह कठिनाई सरल हो गई है और अत्यधिक सरलता से ईश्वर ने इसका प्रबंध करके इन्हे मरने से बचा लिया है।
परमेश्वर ने इस संसार मे बहुत से प्राणीयो को पैदा किया है जिनकी संख्या कोई नही जानता, उसने ऐसी बहुत सी चीज़े पैदा की है जिनकी श्वसन क्रिया जानदार प्राणीयो के विपरीत है।
वह सांस लेते समय वायु मे मौजूद कार्बन अंदर लेती है तथा आक्सीजन बाहर छोड़ती है, जिसके कारण वायु स्वच्छ रहती है, और इस प्राचीन सेवक का नाम वनस्पति एंव घास है।
पेड़ पौधे (वनस्पति) अपनी पत्तियो द्वारा कार्बन प्राप्त करते है और अपने तनो मे इस कार्बन को सुरक्षित कर लेते है तथा इसके बदले मे आक्सीजन बाहर छोड़ते है, इसी कारण अधिकांश पेड़ पौधो मे कार्बन पाया जाता है।
पवित्र क़ुरआन के छंदो तथा मुत्ताक़ीन के इमाम हज़रत अली अलैहिस्सलाम के उज्जवल कथन और कुमैल की प्रार्थना के प्रकाश मे ईश्वर की दया एंव कृपा पेड़ पौधो के प्रत्येक पत्ति मे सम्मिलित है जिसके कारण मानव मौत के ख़तरे से सुरक्षित है, इसीलिए मनुष्य इन सभी चीज़ो के दृष्टिगत वनस्पति के प्रत्येक पत्ति, डाली, तना, कलि तथा फ़ूलो मे ईश्वर की कृपा को अपनी आँख से देख सकता है तथा इन चीज़ो के स्पष्ट होने के पश्चात भी किसी को ईश्वर की दया एंव कृपा दिखाई ना दे वह बीमार है और जो व्यक्ति इस ओर ध्यान ना दे उसे अज्ञानता और ग़फ़लत के कैंसर से पीड़ित है।
ईश्वर द्वारा प्रदान की हुई बुद्धि के माध्यम से मनुष्य सब्ज़ी, अनाज तथा फलो से आनंद तथा अपना स्वास्थ प्राप्त करता है तथा उन्ही से अपनी भूख मिटाता है, यह सभी वस्तुऐ शरीर के महान कारख़ाने के लिए आवश्यक चीज़ो मे परिवर्तित हो जाती है जैसे रंग, हड्डी, त्वचा, नस, रक्त, बाल, नाख़ून, शक्ति एंव गर्मी इत्यादि।