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Thursday 28th of November 2024
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ईश्वर के दरबार मे उपस्थिति

ईश्वर के दरबार मे उपस्थिति

पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन

लेखकः आयतुल्ला अनसारियान

 

रास्ते मे एक हकीम जा रहा था उसने देखा कि कुच्छ लोग एक युवा को उसके पापो तथा भ्रष्टाचार के कारण उस क्षेत्र से बाहर निकाल रहे है, और एक महिला उसके पीछे पीछे अत्यधिक रोती हुई चली जा रही है, मैने प्रश्न किया कि यह महिला कौन है? लोगो ने उत्तर दिया कि यह इस की मा है, मुझे उस पर दया आई इसीलिए मैने उन लोगो से उसके बारे मे शिफ़ारिश की और कहा कि इस बार क्षमा कर दो, यदि उसने दूबारा येही काम किया तो फिर इसको शहर से निकाल देना।

वह हकीम कहता हैः कि एक लम्बे समय पश्चात उसी गांव से ग़ुज़र रहा था तो उसने देखा कि एक द्वार के पीछे से रोने की आवाज़ आ रही है, मैने हृदय मे विचार किया कि शायद उस युवा को पापो के कारण शहर से निकाल दिया है उसकी मा उसकी जुदाई मे रो रही है मैने आगे जाकर उसके द्वार को खटखटाया उसकी मा ने द्वार खोला तो मैने उस व्यक्ति के हालात की जांच पड़ताल की तो मा बोली, उसकी तो मृत्यु हो गई है परन्तु उसकी मृत्यु कैसे हुई है, जब उसका अंतिम समय था तो उसने कहाः हे माता पड़ौसीयो को मेरी मृत्यु की ख़बर ना करना, मैने उन्हे बहुत कष्ट दिए है, और उन लोगो ने भी मेरे पापो के कारम मुझे दोषी ठहराया है, मै नही चाहता कि वह मेरे अंतिम संसकार के क्रियाक्रम मे सम्मिलित हो, इस लिए स्वयं ही मेरा अंतिम संसकार करना, और एक अंगूठी जिस पर बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम लिखा था निकाल कर देते हुए कहा कि इसको मैने कुच्छ दिनो पहले खरीदा है इसको भी मेरे साथ दफ़्न कर देना और क़ब्र के निकट ईश्वर से मेरी शफ़ाअत करना ताकि ईश्वर मेरे पापो को क्षमा कर दे।

मैने उसकी वसीयत पूरी की और जिस समय उसकी क़ब्र से लौट रही था तो मुझे एक आवाज़ सुनाई दी।

हे माता ! आत्मविश्वास के साथ घर चली जाओ मै दयालु ईश्वर के पास पहुँच गया हूँ।[1]          



[1] तफ़सीरे रूहुल बयान, भाग 1, पेज 337

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