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वा ख़ज़ाआलहा कुल्लो शैइन वज़ल्ला लहा कुल्लो शैइन 6

वा ख़ज़ाआलहा कुल्लो शैइन वज़ल्ला लहा कुल्लो शैइन  6

पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन

लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारीयान

 

इसीवंश सैय्यदुश्शोहदा इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने शत्रुओ से युद्ध मे (हय्हात मिन्नज़्ज़िल्ला) का नारा लगा कर कहाः

مَوت فِی عِزّ خَیر مِن حَیات فِی ذُلّ

 

मौतुन फ़ी इज़्ज़िन ख़ैरुन मिन हयातिन फ़ी ज़ुल्लिन[1]

इज़्ज़त की मौत अपमान के जीवन से बेहतर है।

सच्चा सेवक अज़ीज़ है तथा यह इज़्ज़त उसको ईश्वर ने प्रदान की है और उसको अपनी एंव अपने दूतो की इज़्ज़त की पंक्ति मे गणना की है।

 

وَ لِلَّهِ الْعِزَّةُ وَ لِرَسُولِهِ وَ لِلْمُؤْمِنِين

 

वालिल्लाहिलइज़्ज़तो वलेरसूलेहि वलिलमोमेनीना[2]

इज़्ज़त और अधिकार केवल अल्लाह उसके दूत एंव मोमेनीन के लिए है।

परन्तु इस इज़्ज़त का ईश्वर की इज़्ज़त के सामने अपमानित होना सम्भव है क्योकि भगवान के दरबार का अपमानित व्यक्ति ही सबसे अज़ीज़ होता है।

 

जारी



[1] अलमनाक़िब, भाग 4, पेज 68 फस्ल फी मकारिमे अख़लाकेह; बिहारुल अनवार, भाग 44, पेज 191, अध्याय 26, हदीस 4

[2] सुरए मुनाफ़ेक़ून 63, छंद 8

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