पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन
लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारीयान
ख़ज़र समुद्र की सतह दूसरे समुद्रो की अपेक्षा मे 27.6 मीटर नीचे है तथा इस से भी नीचे होती चली जाएगी, ख़ज़र सागर दूसरे समुद्रो से मिला हुआ नही है, इसवंश सार्वजनकि महासागरो के ज्वार भाटे के अधीन भी नही है। ख़ज़र सागर चूंकि छोटा है इसीलिए चंद्रमा के गुरुत्वबल से लाभांकित नही हो सकता इस कारण इसमे ज्वार भाटा नही आना चाहिए तथा इसके पानी को गंदा होना चाहिए इसकी मच्छलियो को मर जाना चाहिए तथा इसके चारो तटो को गंदगी से परिपूर्ण हो जाना चाहिए, पशु नही होने चाहिए, परन्तु ऐसा क्यो नही है?
इस ख़ज़र सागर को पैदा करने वाला जानता है कि इस कमी की किस प्रकार क्षतिपूर्ति की जाए, उसने “सरेनोक”, “ख़ज़री” तथा “मियानवा” नामक हवाओ को चलाया ताकि अपनी शक्ति द्वारा पानी को ऊपर नीचे करें यहा तक कि जो नदिया उसमे गिरती है उनके पानी को ऊपर नीचे करें।
जारी