Hindi
Thursday 28th of November 2024
0
نفر 0

वाबेइज़्ज़तेकल्लति लायक़ूमो लहा शैइन 2

वाबेइज़्ज़तेकल्लति लायक़ूमो लहा शैइन 2

पुस्तक का नामः कुमैल की प्रार्थना का वर्णन

लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारीयान

 

وَ لِلَّهِ الْعِزَّةُ وَ لِرَسُولِهِ وَ لِلْمُؤْمِنِين

 

वालिल्लाहिल इज़्ज़तो वा लेरसूलेहि वा लिलमोमेनीना[1]

इज़्ज़त और सम्मान केवल ईश्वर उसके दूत (रसूल) और विश्वासीयो (मोमेनीन) के लिए है।

प्रथम छंद, इज़्ज़त और सम्मान ईश्वर से विशिष्ट होने तथा उसतक ना पहुंचने का उल्लेख नही करता, बल्कि इज़्ज़्त और सम्मान के हक़ीक़ी मालिक ईश्वर के होने का वर्णन करता है कि वह ज़ाति रूप से अज़ीज़ है तथा जो कोई भी उसकी छाया मे इज़्ज़त और सम्मान पाता है वह उसके माध्यम से अज़ीज़ है ना कि ज़ाति रूप से।

इसीवंश उसने अपने दूत (पैग़म्बर) से कहाः 

 

قُلِ اللَّهُمَّ مَالِكَ الْمُلْكِ تُؤْتىِ الْمُلْكَ مَن تَشَاءُ وَ تَنزِعُ الْمُلْكَ مِمَّن تَشَاءُ وَ تُعِزُّ مَن تَشَاءُ وَ تُذِلُّ مَن تَشَاءُ  بِيَدِكَ الْخَيرُ  إِنَّكَ عَلىَ كلُ ِّ شىَ ْءٍ قَدِير

 

क़ोलिल्लाहुम्मा मालेकल मुल्के तूतिल मुल्का मन तशाओ वा तनज़ेउल मुल्का मिम्मनतशाओ वा तोइज़्ज़ो मनतशाओ वा तोज़िल्लो मनतशाओ बेयदेकल ख़ैरो इन्नका अलाकुल्ले शैइन क़दीर[2]

कह दीजिएः हे प्रभु तू ही सब प्राणीयो का मालिक है, जिसे चाहता है उसे अधिकार दे देता है, जिस से चाहता है अधिकार ले लेता है, जिसे चाहता है इज़्ज़त व सम्मान देता है, जिस से चाहता है उस से इज़्ज़त व सम्मान ले कर अपमानित करता है, सारा ख़ैर तेरे ही हाथ मे है, निसंदेह तू प्रत्येक कार्य पर क्षमता रखता है।

इन बातो को ध्यान मे रखते हुए इज़्ज़्त व सम्मान और अधिकार वह चीज़ है जिसका सामना करने की किसी वस्तु मे शक्ति एंव क्षमता नही है। (वाबेइज़्ज़तेकल्लति लायक़ूमो लहा शैइन)

यह कि हक़ीक़ी इज़्ज़त ईश्वर के लिए है तथा उसी से है, इज़्ज़त एंव सम्मान तक पहुंचने का अकेला मार्ग एंव रास्ता उसकी आज्ञाकारिता ही है।

 

जारी



[1] सुरए मुनाफ़ेक़ून 63, छंद 8

[2] सुरए आले इमरान 3, छंद 26

 

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

शरमिन्दगी की रिवायत
तरकीबे नमाज़
तरकीबे नमाज़
दुआए तवस्सुल
क्यों मारी गयी हज़रत अली पर तलवार
वहाबियों और सुन्नियों में ...
नमाज.की अज़मत
नक़ली खलीफा 3
दुआ ऐ सहर
क़ुरआन

 
user comment