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Tuesday 26th of November 2024
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यज़ीद के दरबार में इमाम सज्जाद का ख़ुत्बा

 

सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

 

इमाम हुसैन (अ) की शहादत के बाद जब यह लुटा हुआ क़ाफ़ेला एक शहर से दूसरे शहर दर ब दर भटकता हुआ कूफ़े से होता हुआ शाम (सीरिया) पहुँचा और शाम के बाज़ार में घुमाए जाने के बाद यह जब क़ाफ़िला यज़ीद मलऊन के दरबार में पहुँचा तो हुसैनी काफ़िले के सरदार इमाम सज्जाद (अ) ने यज़ीद से कहा कि जुमे के दिन उनको मस्जिद में बोलने का मौक़ा दिया जाए, यज़ीद ने ने आपको ख़ुत्बा देने की अनुमति दे दी, जब शुक्रवार का दिन आया तो यज़ीद ने अपने एक ख़रीदे हुए ख़तीब को मिम्बर पर भेजा और उसको आदेश दिया कि अली (अ) और हुसैन (अ) के बारे में जितना बुरा भला कह सकते हो कहो और शेख़ैन और यज़ीद की प्रशंसा में जो कुछ भी बोल सकते हो बोलो, ख़तीब ने आदेश का पालन किया और जो कुछ बोल सकता था बोलता है,

 

जब ख़तीब बोल चुका तो इमाम सज्जाद (अ) ने यज़ीद से कहा कि अपने वादे को पूरा करो और मुझे भी बोलने का मौक़ा दो, यज़ीद अपने वादे से मुकर गया और आपको बोलना का अवसर देने से इन्कार कर दिया।

यज़ीद के बेटे मोआविया ने अपने पिता से कहाः इस व्यक्ति का ख़ुत्बा क्या प्रभाव डाल सकता है? इसको भी बोलने दो।

यज़ीद ने कहाः तुम इस ख़ानदान की योग्यताओं के बारे में नहीं जानते हो, यह लोग फ़साहत और बोलने का फ़न ले कर पैदा होते हैं, यह इनको मीरास में मिलता है, मुझे डर है कि कहीं इसके बोलने और ख़ुत्बा देने के बाद शहर में बलाव न मच जाए जिसके बाद हुकूमत की चूलें हिल जाएं। (1)

 

इसीलिये यज़ीद ने आपको बोलने का मौक़ा देने से इन्कार कर दिया, लेकिन वहा उपस्थित लोगों ने यज़ीद से कहा कि इमाम सज्जाद (अ) को मिम्बर पर जाने दे।

 

यज़ीद ने कहाः अगर यह मिम्बर पर गया तो, तब तक नहीं उतरेगा जब तक मुझे और अबू सुफ़ियान के ख़ानदान को अपमानित न कर दे!

लोगों ने कहाः यह (ज़ंजीरों में जकड़ा) जवान क्या कर सकता है?

यज़ीद ने कहाः यह उस ख़ानदान से संबंध रखता है जिसमें बचपन से ज्ञान इनके दिलों में भर दिया जाता है।

आख़िरकार जब लोगों ने बहुत कहा तो यज़ीद ने इमाम (अ) को मिम्बर पर जाने की अनुमति दे दी।

इमाम सज्जाद (अ) मिम्बर पर जाते हैं और ईश्वर की प्रशंसा करने के बाद वह ख़ुत्बा देते हैं जिसको सुनकर सभी रोने लगते हैं आप फ़रमाते हैं:

ايها الناس! اعطينا ستا و فضلنا بسبع: اعطينا العلم و الحلم و السماحة والفصاحة و الشجاعة و المحبة في قلوب المؤمنين، و فضلنا بان منا النبي المختار محمدا و منا الصديق و منا الطيار و منا اسد الله و اسد رسوله و منا سبطا هذه الامة.من عرفني فقد عرفني و من لم يعرفني انبأته بحسبي و نسبي.

 

हे लोगों! ईश्वर ने हमको छः गुण दिये हैं, और हमको सात विशेषताओं से दूसरों पर प्राथमिक्ता दी है, उसने हमको ज्ञान, धैर्य, उदारता, फ़साहत, वीरता और मोमिनों के दिलों में हमारी मोहब्बत, दी है, और उनसे हमको दूसरों पर फ़ज़ीलत दी है इस कारण कि इस्लाम के महान पैग़म्बर, सिद्दीक़ (अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ)) जाफ़रे तय्यार, शेरे ख़ुदा और शेरे रसूले ख़ुदा (हमज़ा) और महान पैगम़्बर के दो बेटे इमाम हसन (अ) और हुसैन को हम में से क़रार दिया है।(2) अब जो मुझे पहचानता है पहचानता है और जो मुझे नहीं पहचानता है मैं अपने ख़ानदान और पूर्वजों के बारे में बताता हूँ ताकि वह मुझे पहचान ले।

 

ايها الناس! انا ابن مكة و منى، انا ابن زمزم و الصفا، انا ابن من حمل الركن باطراف الردا، انا ابن خير من ائتزر و ارتدى، انا ابن خير من انتعل و احتفى، انا ابن خير من طاف وسعى، انا ابن خير من حج ولبى، انا ابن خير من حمل على البراق في الهواء، انا ابن من اسري به من المسجد الحرام الى المسجد الاقصى، انا ابن من بلغ به جبرئيل الى سدرة المنتهى، انا ابن من دنا فتدلى فكان قاب قوسين او ادنى، انا ابن من صلى بملائكة السماء، انا ابن من اوحى اليه الجليل ما اوحى، انا ابن محمد المصطفى، انا ابن علي المرتضى، انا ابن من ضرب خراطيم الخلق حتى قالوا: لا اله الا الله.

 

हे लोगों! मैं मक्का और मिना का बेटा हूँ, मैं सफ़ा और ज़मज़म का बेटा हूँ, मैं उसका बेटा हूँ जिसने हजरे असवद को अपनी चादर में उठाया और उसके स्थान पर स्थापित किया, मैं बेहतरीन तवाफ़ और सई करने वालों का बेटा हूँ, मैं बेहतीन हज और बेहतरीन तलबिया कहने वाले का बेटा हूँ, मैं उसका बेटा हूँ जो (मेराज के दिन) बुराक़ पर सवार हुआ, मैं उस पैग़म्बर का बेटा हूँ जो एक रात्रि में मस्जिदुल हराम से मस्जिदुल अक़्सा गया, मैं उसका बेटा हूँ जिसको जिब्रईल सिदरतुल मुंतहा ले कर गये, और ईश्वर के सबसे क़रीबी स्थान तक पहुँचा, मैं उसका बेटा हूँ जिसने फ़रिश्तों के साथ आसमान में नमाज़ पढ़ी, मैं उस पैग़म्बर का बेटा हूँ जिस पर महान ईश्वर ने वही (आकाशवाणी) की, मैं मोहम्मद मुस्तफ़ा (स) और अली मुर्तज़ा (अ) का बेटा हूँ, मैं उसका बेटा हूँ जिसने दिगज्जों की नाक ज़मीन पर रगड़ दी यहां तक कि उन्होनें लाइलाहा इल्लललाह कहा (कलमा पढ़ा)

 انا ابن من ضرب بين يدي رسول الله بسيفين و طعن برمحين و هاجر الهجرتين و بايع البيعتين و قاتل ببدر و حنين و لم يكفر بالله طرفة عين، انا ابن صالح المؤمنين و وارث النبيين و قامع الملحدين و يعسوب المسلمين و نور المجاهدين و زين العابدين و تاج البكائين و اصبر الصابرين و افضل القائمين من آل ياسين رسول رب العالمين، انا ابن المؤيد بجبرئيل، المنصور بميكائيل.

 

मैं उसका बेटा हूँ जो पैग़म्बर के सामने दो तलवारों और दो भालों से लड़ा, और जिसने दो बार हिजरत (प्रवास) और दो बार बैअत की, और बद्र और हुनैन में काफ़िरों से लड़ा, और पलक झपकने भर भी कुफ़्र नहीं किया, मैं सबसे नेक मोमिनो और नबियों के वारिस और मुशरिकों का सर्वनाश करने वाले और मुसलमानों के अमीर और जिहाद करने वालों के प्रकाश और अराधना करने वालो की ज़ीनत और रोने वालों के गर्व का बेटा हूँ, मैं धैर्य रखने वालों में सबसे अधिक धैर्य रखने वाले और पैग़म्बर के अहलेबैत में नमाज़ पढ़ने वालों में से सबसे महान नमाज़ पढ़ने वाले का बेटा हूँ, मैं उसका बेटा हूँ जिसका जिब्रईल ने सत्यापन और मीकाईल ने सहायता की,

 

 انا ابن المحامي عن حرم المسلمين و قاتل المارقين و الناكثين و القاسطين و المجاهد اعداءه الناصبين، و افخر من مشى من قريش اجمعين، و اول من اجاب و استجاب لله و لرسوله من المؤمنين، و اول السابقين، و قاصم المعتدين و مبيد المشركين، و سهم من مرامى الله على المنافقين، و لسان حكمة العابدين و ناصر دين الله و ولى امر الله و بستان حكمة الله و عيبة علمه، سمح، سخي، بهى، بهلول، زكي، ابطحي، رضي، مقدام، همام، صابر، صوام، مهذب، قوام، قاطع الاصلاب و مفرق الاحزاب، اربطهم عناناو اثبتهم جنانا، و امضاهم عزيمة و اشدهم شكيمة، اسد باسل، يطحنهم في الحروب اذا ازدلفت الاسنة و قربت الاعنة طحن الرحى، و يذرؤهم فيها ذرو الريح الهشيم، ليث الحجاز و كبش العراق، مكي مدني خيفي عقبي بدري احدي شجري مهاجري . من العرب سيدها، و من الوغى ليثها، وارث المشعرين و ابو السبطين: الحسن و الحسين، ذاك جدي علي بن ابى طالب.

 

मैं उसका बेटा हूँ जिसने मुसमलानों के सम्मान का समर्थन किया और जो मारेक़ीन नाकेसीन और क़ासेतीन से लड़ा, और शत्रुओं से युद्ध किया, मैं क़ुरैश के सबसे बेहतरीन का बेटा हूँ, मैं मोमिनीन में से उस पहले का बेटा हूँ जिसने ईश्वर के संदेश और पैग़म्बर के निमंत्रण को स्वीकार किया (यानी जो सबसे पहले ईमान लाया), मैं सबसे पहले ईमान लाने वाले और अत्याचारियों की कमर तोड़ने वाले और मुशरिकों का सर्वनाश करने वाले का बेटा हूँ, मैं उसका बेटा हूँ जो मुनाफ़िक़ों के लिये ईश्वर के तीरों में से एक तीर जैसा और ईश्वर की हिकमत भरी ज़बान और ईश्वर के धर्म की सहायता करने वाला और उसके आदेशों का प्रतिनिधि था, और ईश्वरीय हिकमत का बाग़ और ईश्वरीय ज्ञान रखने वाला था।

 

 वह महत्त्वाकांक्षी, दानशील, सुंदर चेहरे वाला, हर अच्छाई रखने वाला, सैय्यद, सम्मानीय, अबतही, ईश्वर की मर्ज़ी पर राज़ी रहने वाला, कठिनाइयों में आगे रहने वाला, साबिर, सवैद उपवास रखने वाला, हर पाप से पवित्र और बहुत नमाज़ पढ़ने वाला था। उसने शत्रुओं की नस्लों को काट दिया और काफ़िरों के गुटों को बिखेर दिया। वह मज़बूत दिल रखने वाला और शक्तिशाली, दृढ़ निश्चय, और पक्के इरादे वाला था, और बहादुर शेर की भाति कि जब युद्ध में भाले टकराते थे तो उनको एक दूसरे मे मिला देता था उनको चक्की की भाति तोड़ और नर्म कर देता और हवा की तरह उनको बिखरा देता था। वह हिजाज़ का शेर, और इराक़ का सरदार और सम्मानीय है जो मक्की, मदनी, ख़ैफ़ी और अक़बी और बदरी और अहदी और शजरी और मुहाजेरी (3) है। वह अरब का सरदार और युद्ध के मैदान का शेर और दो मशअर का वारिस (4) और दो बेटों: हसन और हुसैन का पिता है। हां वह, वही (जिसकी विशेषताएं बताई हैं) मेरा दादा अली इब्ने अबीतालिब (अ) हैं।

 

ثم قال: انا ابن فاطمة الزهراء، انا ابن سيدة النساء.

فلم يزل يقول: انا انا، حتى ضج الناس بالبكاء و النحيب، و خشي يزيد ان يكون فتنة فأمر المؤذن فقطع الكلام، فلما قال المؤذن: الله اكبر الله اكبر، قال علي: لا شي ء اكبر من الله، فلما قال المؤذن: اشهد ان لا اله الا الله، قال علي بن الحسين: شهد بها شعري و بشري و لحمي و دمي، فلما قال المؤذن: اشهد ان محمدا رسول الله، التفت من فوق المنبر الى يزيد فقال: محمد هذا جدي ام جدك يا يزيد؟ فان زعمت انه جدك فقد كذبت و كفرت و ان زعمت انه جدي فلم قتلت عترته؟

 

फिर आपने फ़रमायाः में फ़ातेमा ज़हरा (स), सारे संसार की महिलाओं की सरदार का बेटा हूँ,

आप मैं, मैं कहते रहें यहां तक की लोगों के रोने की आवाज़े बुलंद हो गईं! यज़ीद को भय हुआ की कहीं आन्दोलन न आरम्भ हो जाए और उसने मोअज़्ज़िन को आदेश दिया कि अज़ान दे ताकि इस तरह से इमाम सज्जाद (अ) को चुप करा सके! मोअज़्ज़िन ने अज़ान देना आरम्भ की, जैसे ही उसने कहाः अल्लाहो अकबर, इमाम सज्जाद (अ) ने फ़रमायाः कोई भी चीज़ ईश्वर से बड़ी नहीं है। जब मोअज़्ज़िन ने कहाः अशहदो अन ला इलाहा इल्लललाह, इमाम (अ) ने फ़रमायाः बाल, खाल और मेरे शरीर का गोश्त ईश्वर के एक होने की गवाही देता है। जब मोअज़्ज़िन ने कहाः अशहदो अन्ना मोहम्मदन रसूलुललाह, इमाम (अ) ने यज़ीद की तरफ़ देखा और फ़रमायाः बता यज़ीद की अज़ान में यह जो मोहम्मद (स) का नाम लिया गया है वह तेरे दादा हैं या मेरे? अगर यह कहता है कि तेरे दादा हैं तो तूने झूठ बोला है और काफ़िर हो गया है, और अगर वह मेरे दादा हैं तो क्यों उनको परिवार की हत्या की और उनपर तलवार चलाई?! उसके बाद मोअज़्ज़िन ने पूरी अज़ान कही और यज़ीन ने ज़ोहर की नमाज़ पढ़ाई। (5)

 

एक दूसरी रिवायत में आया है कि जब मोअज़्ज़िन ने कहा अशहदो अन्ना मोहम्मदन रसूलुललाह, इमाम सज्जाद (अ) ने अपने अम्मामे को सर से उतारा और मोअज़्ज़िन से कहाः तुझे मोहम्मद के हक़ की क़सम है कुछ देर ठहर जा, उसके बाद आपने यज़ीद की तरफ़ देखा और फ़रमायाः हे यज़ीद! यह पैग़म्बर मेरे दादा हैं या तेरे? अगर तू यह कहे कि तेरे दादा हैं तो तूने झूठ बोला है और अगर यह मेरे दादा हैं तो क्यों मेरे पिता को ज़ुल्म के साथ मार दिया और उनकी समपत्ती को लूटा और उनके परिवार वालों को बंदी बनाया?! आपने यह कहा और अपने गरेबान को फाड़ दिया और रोने लगे और कहाः ईश्वर की सौगंध अगर संसार में कोई जो जिसके दादा अल्लाह के रसूल हों, वह मैं हूँ, तो क्यों इस आदमी (यज़ीद) ने मेरे पिता की हत्या की और हमें रूमियों की भाति बंदी बनाया? फिर आपने फ़रमायाः हे यज़ीद! तूने यह अपराध किया और फिर भी कहता हैः मोहम्मद अल्लाह के रसूल हैं! और क़िबले की तरफ़ चेहरा करके खड़ा होता है?! (यानी नमाज़ पढ़ता है) लानत हो तुझ पर! क़यामत के दिन मेरे दादा और पिता उस दिन तेरे दुश्मन हैं। (जब यज़ीद ने माहौल को बिगड़ता हुआ देखा तो) आदेश दिया मोअज़्ज़िन अज़ान दे! लोगों के बीच हलचल मच गई (सबको यज़ीद की वास्तविक्ता पता चल गई थी वह जान चुके थे कि जिनको विद्रोही कह कर यज़ीन ने मारा है वह कोई और नहीं पैग़म्बर के परिवार वाले हैं) कुछ ने नमाज़ पढ़ी और कुछ बिना नमाज़ पढ़े ही चले गये। (6)

 एक दूसरी रिवायत में आया है कि इमाम सज्जाद (अ) ने फ़रमायाः

انا ابن الحسين القتيل بكربلا، انا ابن على المرتضى، انا ابن محمد المصطفى، انا ابن فاطمة الزهراء، انا ابن خديجة الكبرى، انا ابن سدرة المنتهى، انا ابن شجرة طوبى، انا ابن المرمل بالدماء، انا ابن من بكى عليه الجن في الظلماء، انا ابن من ناح عليه الطيور في الهواء (7) .

 

मैं कर्बला के शहीद हुसैन (अ) का बेटा हूँ, मैं अली मुर्तज़ा (अ) और मोहम्मद मुस्तफ़ा (स) का बेटा हूँ और मैं फ़ातेमा ज़हरा (स) का बेटा हूँ, मैं ख़दीजा कुबरा (स) का बेटा हूँ, मैं सिदरतुल मुनतहा और शजरे तूबा का बेटा हूँ, मैं उसका बेटा हूँ जो ख़ून में डूब गया, और मैं उसका बेटा हूँ जिसपर जिनों ने नौहा पढ़ा और गिरया किया, और मैं उसका बेटा हूँ जिसके ग़म में पक्षियों ने आँसू बहाएं।

 

इमाम सज्जाद (अ) के ख़ुत्बे का प्रभाव

जब इमाम सज्जाद (अ) ने यज़ीद के झूठ से पर्दा उठा देने वाला यह महान ख़ुत्बा पढ़ा तो वहां उपस्थित लोगों बेचैन हो गये उनको वास्तविक्ता का पता चल गया और उनके अंदर जागरुक्ता और बोलने की हिम्मत पैदा हो गई। यहूदियों का एक बड़ा विद्वान जो यज़ीद वहां बैठा था, ने यज़ीद से पूछाः यह जवान कौन है? !

यज़ीद ने कहाः हुसैन (अ) का बेटा अली।

यहूदीः यह हूसैन (अ) कौन है?

यज़ीदः अली इब्ने अबीतालिब (अ) का बेटा है।

यहूदीः उसकी माँ कौन है?

यज़ीदः मोहम्मद (स) की बेटी।

 

यहूदी ने कहाः सुबहान अल्लाह! यह तुम्हारे पैग़म्बर की बेटी का बेटा है जिसकी तुमने हत्या की है? तुम अल्लाह के रसलू के बेटों के लिये कितने बुरे जानशीन हो?! ईश्वर की सौगंध अगर हमारे नबी मूसा बिन इमरान ने हमारे बीच कोई औलाद छोड़ी होती, तो हम यह समझते कि उसकी इबादत की सीमा तक उसका सम्मान करें, और तुम, कल तुम्हारे नबी इस दुनिया से गये और आज तुम उनकी औलाद पर टूट पड़े और उनकी हत्या कर दी? लानत हो तुम पर!!

 

यज़ीन ने क्रोधित होकर आदेश दिया की उसकी गर्दन काट दी जाए, यहूदियों का वह विद्वान यह कहते हुए खड़ा हुआः अगर तुम मेरी हत्या करना चाहते हो तो मुझे कोई डर नहीं है! मैंने तौरैत में पढ़ा है कि जो पैगम्बर ख़ुदा की हत्या करे वह सदैव लानती रहेगा और उसका ठिकाना नर्क है। (8)

उसके बाद यज़ीद ने आदेश दिया कि इमाम हुसैन (अ) के पवित्र सर को उसके महल के द्वार पर लटकाया जाए

अब्दुल्लाह हिन्द (बिन आमिर की बेटी) यज़ीद की पत्नी ने जब यह सुना कि यज़ीद ने हुसैन का सर महल के द्वार पर लटकाया है, उसने वह पर्दा जो हरम और दरबार को अलग करता था फाड़ा और बिना पर्दे के यज़ीद की तरफ़ दौड़ी, उसने यज़ीद ने कहाः हे यज़ीद! क्या पैग़म्बर की बेटी के बेटे की का सर हमार घर के द्वार पर लटकाया गया है?! यज़ीद अपने स्थान से खड़ा हुआ और कहाः हां, हुसैन के लिया आँसू बहाओ! और पैग़म्बर की बेटी के बेटे के लिये रोओ! कि क़ुरैश को सभी लोग उस पर मारा जा रहा है! अब्दुल्लाह बिन जियाद ने उनकी हत्या करने में जल्दबाज़ी की, ईश्वर उसको मारे! (9)

 

अगरचे इतिहास गवाह है कि जब जब किसी बादशाह ने कोई ऐसा घिनौना कार्य किया है जिससे लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँची हो और लोग उसके विरुद्ध बोलने लगे हों और उसको यह भय हुआ हो कि कहीं ऐसा न हो कि एस कार्य के कारण लोग उसकी हुकूमत के विरुद्ध उठ खड़ें हो तो इन बादशाहों ने सदैव यह प्रयत्न किया है कि इस कार्य के लिये किसी दूसरे को ज़िम्मेदार ठहरा दिया जाए जैसे कि यज़ीद ने इसके लिये उबैदुल्लाह बिन ज़ियाद को ज़िम्मेदार ठहराया है, जब्कि सारी दुनिया जानती है कि इब्ने ज़ियाद ने यह कार्य यज़ीद के आदेश पर किया था।

 

*****************

(1)    नफ़सुल महमूम, पेज 450

(2)    इस ख़ुत्बे में आया है कि अहलेबैत के लिये सात फ़ज़ीलत दी गई हैं लेकिन यहां पर केवल छः बयान की गई हैं, शेख़ बहाई की एक रिवायत में आया है कि वह सातवी फ़ज़ीलत و المهدي الذي يقتل الدجال  महदी जो दज्जाल को मारेगा वह भी हमसे है, है (नफ़सुल महमूम, पेज 450)

(3)    शजरे रिसालत से बैअते शजरा मे समिलित हुए, और मक्का से मदीने प्रवास किया।

(4)    संभव है कि मशअर से तात्पर्य दो स्वर्ग हो क्योंकि मशअर उस स्थान को कहा जाता है जिसमें बहुत से वृक्ष हो, इस आधार पर तात्पर्य दो स्वर्ग के वारिसहै और आयत में आया है

"و لمن خاف مقام ربه جنتان"

और संभव है कि अशअर से तात्पर्य मुज़दलेफ़ा हो, यह वह स्थान है कि जहां हाज़ी दसवी की रात को सूरज निकलने तक वहां ठहरते हैं, और इस सूरत में मशअर से तात्पर्य मुज़दलेफ़ा और अरफ़ात है

(5)    बिहारुल अनवार जिल्द 45, पेज 137, एहतेजाजे तबरसी, दिल्द 2 पेज 132

(6)    नफ़सुल महमूम. पेज 451

(7)    नफ़सुल महमूम, पेज 451

(8)    हयातुल इमामुल हुसैन जिल्द 3, पेज 395

(9)    बिहारुल अनवार जिल्द 45, पेज 137

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