रमज़ान के मुबारक महीने में हमारा भोजन पहले के मुक़ाबले ज़्यादा चेंज नहीं होना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि ख़ाना सादा हो. इसी तरह इफ़तार का सिस्टम इस तरह सेट किया जाना चाहिए कि नैचुरल वज़्न पर कोई ज्यादा असर न पड़े। दिन में लंबी मुद्दत की भूख के बाद ऐसे खाने प्रयोग करें जो देर हज़म हों। देर हजम खाने कम से कम 8 घंटे हाज़मा सिस्टम में बाकी रहते हैं. हालांकि जल्दी हज़्म होने वाले खाने केवल 3 या 4 घंटे पेट में टिक सकते हैं और इंसान बहुत जल्दी भूख महसूस करने लगता है। देर हजम खाने जैसे अनाजः जौ, गेहूँ, बीन्स, दालें, चावल कि जिन्हें "कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट" कहते हैं।
भोजन को बललते रहना चाहिए. यानी हर तरह के भोजन का उपयोग किया जाए जैसे फल, सब्जियां, गोश्त, मुर्गी, मछली, रोटी, दूध और अन्य दूध से बनी चीजें। तली हुई चीजें बहुत कम इस्तेमाल की जाएं. इसलिए कि हजम न होने, पेट में जलन पैदा होने और वज़न में बढ़ोतरी का कारण बनती हैं। किन चीजों से बचें? 1: तली हुई और चर्बी दार खानों से 2: ज़्यादा मीठी चीजों से 3: सहर के समय ज़्यादा खाना खाने से 4: सहर के समय ज़्यादा चाय पीने से, ज़्यादा चाय पेशाब का कारण बनती है और अधिक पेशाब बदन से नमक को खत्म कर देता है। 5: सिगरेट यदि सिगरेट एक बार छोड़ना आपके लिए सख्त है तो रमज़ान शुरू होने से एक दो सप्ताह पहले इस काम का अभ्यास करें। किन खानों का इस्तेमाल करें? 1: सहर के समय कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट वाली चीज़ें का उपयोग फ़ायदेमंद है क्योंकि यह देर हज़म होती है. 2: हलीम जो प्रोटीन रखने वाला एक बेहतरीन खाना और देर से हज़म होता है सहर के समय इसका इस्तेमाल करना लाभदायक है। 3: ख़ुरमा कि जिसमें शुगर, कारबोहाईड्रेट, पोटेशियम और मैग्नीशम होता है, सहर में इसका इस्तेमाल करना फ़ायदेमंद है। 4: बादाम और केला भी काफी हद तक उपयोगी हैं। 5: ज़्यादा पानी या लिक्वेड का इफ़्तार से सहर तक दूरी के साथ इस्तेमाल, दिन में बदन की जरूरत को पूरा कर देता है।
source : abna