Hindi
Tuesday 7th of January 2025
0
نفر 0

हज़रत इमाम हसन असकरी अ.स. का संक्षिप्त जीवन परिचय।

आज इमाम हसन असकरी की शहादत का दिन है। 8 रबीउल अव्वल को हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम का शहादत दिवस है। उन्होंने अपनी 28 साल की ज़िन्दगी में दुश्मनों की ओर से बहुत से दुख उठाए और अब्बासी शासक ‘मोतमद’ के किराए के टट्टुओं के हाथों इराक़ के सामर्रा इलाक़े में ज़हर से आठ दिन तक दर्द सहने के बाद शहीद हो गए। पैग़म्बरे इस्लाम और उनके अहलेबैत सच्चाई व हक़
हज़रत इमाम हसन असकरी अ.स. का संक्षिप्त जीवन परिचय।

आज इमाम हसन असकरी की शहादत का दिन है। 8 रबीउल अव्वल को हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम का शहादत दिवस है। उन्होंने अपनी 28 साल की ज़िन्दगी में दुश्मनों की ओर से बहुत से दुख उठाए और अब्बासी शासक ‘मोतमद’ के किराए के टट्टुओं के हाथों इराक़ के सामर्रा इलाक़े में ज़हर से आठ दिन तक दर्द सहने के बाद शहीद हो गए।
पैग़म्बरे इस्लाम और उनके अहलेबैत सच्चाई व हक़ के नमूने हैं यही कारण हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा था कि मैं तुम्हारे बीच दो क़ीमती यादगारें छोड़े जा रहा हूं एक अल्लाह की किताब क़ुरआन और दूसरे मेरे अहलेबैत। मेरे अहलेबैत सारे इंसानों के लिए नजात की कुंजी हैं। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम का जन्म 232 हिजरी क़मरी में मदीने में हुआ। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम 22 साल के थे कि उनके पिता हज़रत इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम शहीद हुए इसलिए मुसलमानों की हिदायत व मार्गदर्शन की ज़िम्मेदारी इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम बाद इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम के कांधों पर आ गई और उन्होंने अल्लाह के हुक्म के अनुसार इंसानी समाज को सुधारने और सच्चाई के रास्ते पर लगाने में अपनी पूरी ज़िंदगी गुज़ार दी। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम को बहुत ज़्यादा रुकावटों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा तथा अब्बासी शासकों ने जहां तक उनके बस में था इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम पर अत्याचार किए। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की इमामत या आध्यात्मिक नेतृत्व के समय उनके बेटे के जन्म की भविष्यवाणी के कारण उन पर और भी सख्ती कर दी गई थी क्योंकि इस नवजात के बारे में भविष्यवाणी कर दी गई थी कि वह दुनिया से अत्याचार को ख़त्म कर देगा तथा पूरी दुनिया में न्याय का बोलबाला होगा। इस भविष्यवाणी से अब्बासी शासक बहुत डरे हुए थे क्योंकि खुद वह भी भलीभांति जानते थे कि वह अत्याचारी शासक हैं। अब्बासी सरकार ने अपने कारिंदों की संख्या बढ़ा दी जो दिन रात चकराते रहते थे और यह कोशिश करते थे कि कोई बच्चा पैदा ही न हो सके और अगर पैदा हो तो तत्काल उसे मार दिया जाए। इस कड़ी निगरानी के बावजूद हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम अल्लाह की कृपा से इस दुनिया में आए और अपने पिता की शहादत के बाद लोगों की आंखों से ओझल हो गए और आज तक वे आंखों से ओझल हैं। भविष्य में उस समय जिसका इल्म केवल अल्लाह को है, वह दोबारा प्रकट होंगे और दुनिया में नास्तिकता तथा अत्याचार को ख़त्म कर देंगे।


source : abna24
0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

ईरान के इंक़ेलाब का मक़सद, ...
तरकीबे नमाज़
हदीसे किसा
ज़ोहर की नमाज़ की दुआऐ
अमीरुल मोमिनीन अ. स.
नहजुल बलाग़ा में हज़रत अली के ...
दुआए कुमैल
दुआए कुमैल का वर्णन1
एहसान
प्रकाशमयी चेहरा “जौन हबशी”

 
user comment