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Thursday 25th of April 2024
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इमाम हुसैन अ. की अज़ादारी

क्या इमाम हुसैन (अ) की अज़ादारी और मुहर्रम की पाक यादगारें मुसलमानों में मतभेद और लड़ाई झगड़े का मुद्दा बन सकती हैं? वह कौन सा मुसलमान है हुसैन (अ) जिसके ईमान का हिस्सा नहीं है?
इमाम हुसैन अ. की अज़ादारी

 क्या इमाम हुसैन (अ) की अज़ादारी और मुहर्रम की पाक यादगारें मुसलमानों में मतभेद और लड़ाई झगड़े का मुद्दा बन सकती हैं? वह कौन सा मुसलमान है हुसैन (अ) जिसके ईमान का हिस्सा नहीं है?

विलायत पोर्टलः क्या इमाम हुसैन (अ) की अज़ादारी और मुहर्रम की पाक यादगारें मुसलमानों में मतभेद और लड़ाई झगड़े का मुद्दा  बन सकती हैं? वह कौन सा मुसलमान है हुसैन (अ) जिसके ईमान का हिस्सा नहीं है? रसूले इस्लाम (स.) का वह कौन सा कल्मा पढ़ने वाला है जिसकी रगों में इमाम हुसैन (अ) का इश्क़ खून की तरह न दौड़ता हो, वह कौन सी मुसलमान आँख है जो रसूले इस्लाम (स.) के अहलेबैत अ. की प्यास और उनकी शहादत की याद में भीग कर फ़ुरात न बन जाना चाहती हो, हुसैन (अ) की याद और अज़ादारी, इश्क़ और मुहब्बत की भावना बढ़ाने और भाई चारे के बढ़ावे का कारण बनती है और दर्द और इश्क़ के मतवाले आपस में लड़ाई झगड़ा नहीं बल्कि भाईचारे और बराबरी के आधार पर गठबंधन और एकता की ज़िंदगी की बुनियाद रखते हैं, जो हुसैनी समाज में रहते हैं और जिनका दीन इस्लाम है, जो हुसैन (अ) और हुसैन के बच्चों के खून का कृतज्ञ है, वह हुसैन (अ) की याद और अज़ादारी में आयोजित सभा, मजलिस व मातम और मुहर्रम के महीने में जुलूस के विरोधी कैसे हो सकते हैं? विरोध वह करेगा जिसे मुसलमान होने से इंकार हो, हुसैन (अ) की मुहब्बत और हुसैन (अ) की महानता का इंकार करने वाला हो, हुसैन (अ) के बलिदान और शहादत का इंकार करने वाला हो. जब सभी मुसलमान हुसैन (अ) के सिपाही, हुसैन (अ) का शोक मनाने वाले, हुसैन (अ) के अज़ादार और यज़ीद और यज़ीदियत से नफ़रत करते हैं, इमाम हुसैन (अ) से बढ़कर इस्लामी एकता की ओर बुलाने वाला भला कौन हो सकता है? कहीं हुसैन (अ) के बारे में मुसलमानों के बीच मतभेद पैदा करने वाले वही तो नहीं है जो इस्लाम और कुरान और हुसैन (अ) के विरोधी थे? जिन्होंने इस्लाम और हुसैन (अ) के खिलाफ फ़ौजी कार्यवाही की थी? जिन्होंने इस्लाम और कुरआन का खून बहाया था? मगर हुसैन (अ) के अज़ादारो! कुछ प्रतिशत सही, पर यह भी तो संभव है कि कुछ लोग हुसैन (अ) और अज़ादारी की सही पहचान न रखते हों, इसलिए पहचान रखने वालों का कर्तव्य है कि लोगों के बीच हुसैन (अ) और हुसैनियत का सही परिचय कराएँ क्योंकि जोश के अनुसार: इंसान को बेदार तो हो लेने दो हर क़ौम पुकारेगी हमारे हैं हुसैन अ. (4)


source : wilayat.in
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