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इमाम अली रज़ा अ. का संक्षिप्त जीवन परिचय।

हलेबैत न्यूज़ एजेंसी अबना: अबुल हसन अली इब्ने मूसर्रेज़ा अलैहिस्सलाम जो इमाम रेज़ा अलैहिस्सलाम के नाम से मशहूर हैं, इसना अशरी शियों के आठवें इमाम हैं। आपके वालिद इमाम मूसा काज़िम अ. शियों के सातवें इमाम हैं। आपका जन्म, मदीने में हुआ मगर अब्बासी ख़लीफा मामून अब्बासी आपको मजबूर करके मदीने से ख़ुरासान ले आया और उसने आपको अपनी विलायते अहदी (उत्तराधिकार)
इमाम अली रज़ा अ. का संक्षिप्त जीवन परिचय।

हलेबैत न्यूज़ एजेंसी अबना: अबुल हसन अली इब्ने मूसर्रेज़ा अलैहिस्सलाम जो इमाम रेज़ा अलैहिस्सलाम के नाम से मशहूर हैं, इसना अशरी शियों के आठवें इमाम हैं। आपके वालिद इमाम मूसा काज़िम अ. शियों के सातवें इमाम हैं।
आपका जन्म, मदीने में हुआ मगर अब्बासी ख़लीफा मामून अब्बासी आपको मजबूर करके मदीने से ख़ुरासान ले आया और उसने आपको अपनी विलायते अहदी (उत्तराधिकार) स्वीकार करने के लिए मजबूर किया। इमाम अ. ने मदीने से खुरासान जाते हुए नैशापूर में एक मशहूर हदीस बयान फ़रमाई जिसे हदीसे सिलसिलतुज़् ज़हब के नाम से याद किया जाता है। मामून ने आपको कम दिखाने की खातिर विभिन्न धर्मों और मज़हबों के उल्मा व बुद्धिजीवियों के साथ मुनाज़रा व बहस कराई लेकिन उसे पता नहीं था आपका इल्म अल्लाह का दिया हुआ है और इसीलिए आपने तमाम बहसों में आसानी के साथ दूसरे मज़हबों के उल्मा को धूल चटा दी और उन्होंने आपकी बड़ाई को स्वीकार कर लिया। आपकी इमामत की अवधि 20 साल थी और आप तूस (मशहद) में मामून के हाथों शहीद किए गए।
इमाम अली रेज़ा अ. मदीने में सन 148 हिजरी में पैदा हुए और सन 203 हिजरी में मामून अब्बासी के हाथों शहीद हुए। आपके वालिद इमाम मूसा काज़िम अ. शियों के सातवें इमाम हैं, आपकी माँ का नाम ताहिरा था और जब उन्होंने इमाम रेज़ा अ. को जन्म दिया था तो इमाम मूसा काज़िम अ. ने उन्हें ताहिरा का नाम दिया।
आपकी उपाधि “अबुल हसन” है। कुछ रिवायतों के अनुसार आपके उपनाम “रेज़ा”, “साबिर”, “रज़ी” और “वफ़ी” हैं हालांकि आपकी मशहूर उपाधि “रेज़ा” है।
आपकी एक ज़ौजा का नाम सबीका था और कहा गया है कि उनका सम्बंध उम्मुल मोमेनीन मारिया क़िबतिया के परिवार से था।
कुछ अन्य किताबों में सबीका के अलावा इमाम अ की एक बीवी और भी थीं, दास्तान इस तरह है:
मामून अब्बासी ने इमाम रज़ा अ को सुझाव दिया कि उसकी बेटी उम्मे हबीब से निकाह कर लें और इमाम अ. ने भी यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
तबरी ने इस घटना को सन 202 हिजरी की घटनाओं के संदर्भ में बयान किया है। कहा गया है कि इस काम से मामून का लक्ष्य यह था कि इमाम रेज़ा अ. से ज़्यादा से ज़्यादा क़रीब हो सके और आपके घर में घुस कर आपकी ख़ुफिया पालीसियों पर नज़र रख सकें। याफ़ेई के अनुसार मामून की बेटी का नाम “उम्मे हबीबा था जिसकी शादी उसने इमाम रज़ा अ से की। सिव्ती ने भी इमाम रज़ा अ से मामून की बेटी की शादी की ओर इशारा किया है लेकिन उसका नाम बयान नहीं किया है।
इमाम रेज़ा अ. की औलाद की संख्या के बारे में कुछ इतिहासकारों ने लिखा है कि आपकी औलाद की संख्या 6 है: 5 बेटे “मोहम्मद क़ानेअ, हसन, जाफ़र, इब्राहीम, हुसैन और एक बेटी।


source : abna24
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