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Friday 27th of December 2024
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दुनिया के 3 करोड़ के सबसे बड़े और भव्य जुलूस का पश्चिमी मीडिया द्वारा बाईकॉट।

इराक़ में इमाम हुसैन अ. के चेहलुम के अवसर पर दुनिया के सबसे बड़े और भव्य जुलूस के समाचार के महत्व के बावजूद हमें देखने को मिल रहा है कि पश्चिमी मीडिया चेहलुम से सम्बंधित समाचार को सेंसर कर रहा है और उसकी कोशिश है कि चेहलुम के समाचार को महत्व न देकर इस विशाल जनसमूह की अनदेखी की जाए और उसके महत्व को कम किया जाए। फार्स न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनु
दुनिया के 3 करोड़ के सबसे बड़े और भव्य जुलूस का पश्चिमी मीडिया द्वारा बाईकॉट।

इराक़ में इमाम हुसैन अ. के चेहलुम के अवसर पर दुनिया के सबसे बड़े और भव्य जुलूस के समाचार के महत्व के बावजूद हमें देखने को मिल रहा है कि पश्चिमी मीडिया चेहलुम से सम्बंधित समाचार को सेंसर कर रहा है और उसकी कोशिश है कि चेहलुम के समाचार को महत्व न देकर इस विशाल जनसमूह की अनदेखी की जाए और उसके महत्व को कम किया जाए।
फार्स न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार वैसे तो ज़ाएरीन हमेशा ही इमाम हुसैन अ. के चेहलुम के अवसर पर करबला की ज़ियारत के लिए जाते रहे हैं लेकिन जब से अत्यचारी तानाशाह सद्दाम का पतन हुआ है, ज़ाएरीन की संख्या लाखों से बढ़कर करोड़ों में पहुंच चुकी है। इस साल के कुछ आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इराक़ और विभिन्न देशों से आने वाले ज़ाएरीन की संख्या लगभग 3 करोड़ है जबकि इराक़ के परिवहनमंत्री की रिपोर्ट के अनुसार ज़ाएरीन की संख्या 2 करोड़ 80 लाख है। जबकि पिछले साल भी लगभग 2 करोड़ 70 लाख ज़ाएरीन ने इस शानदार जुलूस में हिस्सा लिया था औऱ इस साल पिछला रिकॉर्ड भी टूट गया और 80 लाख ज़ाएरीन की बढ़ोत्तरी के साथ कुल संख्या 3 करोड पहुंच गई जिसका कोई अनुमान भी नहीं लगा रहा था। लेकिन इस शानदार और महान जनसमूह के बावजूद पश्चिमी मीडिया ने इसे सेंसर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इस हवाले से वाट्स ऐप ग्रुप्स पर घूम रहा यह मैसेज अगर आपकी निगाहों से नहीं गुज़रा है तो इसे ज़रूर पढ़िए।
करबला में इमाम हुसैन अ. के चेहलुम के अवसर पर
ज़ाएरीन क्या बहुत कम थे?
नहीं ढाई करोड़ से तीन करोड़ के बीच थे।
अच्छा इसका मतलब है कि जगह बहुत बड़ी थी?
नहें सभी 80 किलोमीटर की सीमा में थे।
अच्छा मौसम बहुत अच्छा रहा होगा?
दिन में गर्मी, रात में ठंड और कभी कभी बारिश
अच्छा इसका मतलब उनके पास सभी तरह की सुविधाएं थीं?
अधिकतर लोगों के पास केवल एक स्टूडेंट बैग र कुछ के पास तो वह भी नहीं था।
अच्छा इसका मतलब है कि सब कमांडो ट्रेंड थे?
3 महीने के बच्चे से 90 साल तक की बूढ़ी औरतें, विकलांग, अंधे और ऐसे बूढ़े भी थे जो पहली बार अपने गांव से निकले थे।
अच्छा क्या उन्हें बहुत आरामदायक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध किया गया था?
नहीं उनमें से ज्यादातर पैदल थे।
अच्छा तो कितने लोग मरे?
अल्लाह का शुक्र है कि कोई नहीं मरा।
अच्छा तो फिर कितने लोग रास्ते में बीमार हुए?
अल्लाह का शुक्र है कि कोई नहीं।
अच्छा बताओ कितने लोग कुचल गए या दब गए?
अल्लाह का शुक्र है कि कोई नहीं।
कितने लोगों में झगड़ा हुआ और आपस में मारम मारी हुई? क्या एक दूसरे की ज़बान समझते थे?
120 देशों से आए हुए थे लेकिन एक साथ बहुत दयालुता और एक दूसरे के दोस्त और हमदम थे।
अच्छा तो इसका मतलब एक बहुत ही शांतिपूर्ण देश में जमा हुए थे?
दुनिया के सबसे अशांत देशों में से एक देश जो पिछले कई वर्षों से जंग लड़ रहा है और जिससे इस देश का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर तबाह हो चुका है।
अच्छा इसका मतलब है कि उनका कोई दुश्मन नहीं था या अगर था तो उनसे बहुत दूर था?
300 किलोमीटर की दूरी पर ऐसे दुश्मन हैं जो उनके गले काटने को जन्नत में जाने का टिकट समझते है
अच्छा तो उनका दुश्मन बहुत कमजोर होगा?
दुश्मन ऐसे हैं कि जिन्हें अब तक 2 देशों की सेनाएं और 15 देशों के लड़ाकू विमान हरा नहीं सके हैं और वह ख़ूंखार आतंकवादी हैं।

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