Hindi
Saturday 30th of September 2023
0
نفر 0

इमाम महदी अलैहिस्सलाम।

इमाम महदी अलैहिस्सलाम।

अबनाः मोहम्मद इब्ने हसन जो इमाम महदी के नाम से प्रसिद्ध हैं  शियों के बारहवें इमाम हैं। शिया स्रोतों के अनुसार इमामे ज़माना को जन्म को ख़ुफ़िया रखा गया और इमाम हसन अस्करी के कुछ खास सहाबियों के अलावा किसी को आपका दीदार नसीब नहीं हुआ। मुसलमानों के विश्वास के अनुसार इमाम महदी ही अंतिम मुक्तिदाता हैं जो लंबी उम्र के मालिक हैं और जिनकी जिंदगी का एक लंबी अवधि ग़ैबत में गुज़रेगी और आप अनंतता अल्लाह के इरादे से ज़ुहुर करेंगे अर्थात लोगों के सामने प्रकट होंगे और न्याय की हुकूमत स्थापित करके दुनिया पर हुकूमत करेंगे।
कुछ शिया इमाम हसन अस्करी अ. की शहादत के बाद शक और संदेह में पड़ गए थे लेकिन इमामे जमाना की तौक़ीआत (संदेश) जो आमतौर पर अहलेबैत के शियों के नाम लिखी जाती थी और विशेष प्रतिनिधियों द्वारा लोगों तक पहुंचती थीं, शिया संप्रदाय के सिद्धांतों के मज़बूत होने का कारण बनीं। इमामे जमाना, इमाम हसन अस्करी की शहादत के बाद ग़ैबते सुग़रा के दौर से गुजर रहे थे और इस दौरान 4 विशेष प्रतिनिधि आपके साथ शियों का संपर्क बनाए हुए थे लेकिन 329 हिजरी में जब ग़ैबते कुबरा शरू हुई तो प्रत्यक्ष रूप से आपके शियों का आपके साथ संपर्क भी कट गया।
शिया मुफ़स्सिर (भाष्यकार) मासूम इमामों से बयान होने वाली हदीसों के आधार पर कुरान की कुछ आयतों को इमामे ज़माना से सम्बंधित जानते हैं। रसूले इस्लाम और मासूम इमामों से बहुत ज्यादा हदीसें इमामे जमाना, आपकी ग़ैबत और आपकी हुकूमत के बारे में बयान हुई हैं और बहुत सारी किताबों में इन हदीसों को जमा किया गया है। हदीस की किताबों के अलावा भी बहुत सी दूसरी किताबों में भी इमामे ज़माना से सम्बंधित विषयों को बयान किया गया है।
शिया विश्वास के अनुसार इमामे ज़माना के पिता शियों के ग्यारहवें इमाम हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम हैं लेकिन सुन्नियों ने कुछ हदीसों के हवाले से इमामे ज़माना के पिता का नाम अब्दुल्लाह बयान किया है जिसे शिया उल्मा ने स्वीकार नहीं किया है। इमामे ज़माना की मां का नाम नरजिस ख़ातून है।
इमामे ज़माना 255 हिजरी में 15 शाबान को भोर में पैदा हुए इमामे ज़माना के जन्म के सिलसिले में मशहूर हदीस वही है जो इमाम अस्करी की फुफी जनाब हकीमा खातून ने बयान की है। शेख सदूक हकीमा खातून के हवाले से लिखते हैं इमाम हसन अस्करी ने मुझ को बुलवाकर कहा फुफी जान आज हमारे यहां ठहरना क्योंकि आज की रात मेरे प्रतिनिधि का जन्म होगा तो मैंने पूछा उनकी मां कौन है इमाम ने फरमाया नरजिस खातून मैंने आश्चर्य से पूछा मैं आप पर कुर्बान जाऊं उनमें तो गर्भ की कोई निशानी मौजूद नहीं है तो आपने फ़रमाया बात वही है जो मैं आपसे कह रहा हूं। और फिर वही हुआ जिसकी सूचना इमाम हसन असकरी अ. ने दी थी।

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा
दुआ-ए-सनमी क़ुरैश
शहादत हज़रत मोहम्मद बाकिर (अ)
इमाम हुसैन (अ.स) के आंदोलन के ...
आदर्श जीवन शैली- १
हज़रत मोहसिन की शहादत
आख़री नबी हज़रत मुहम्मद स. का ...
क़ुरआने करीम की तफ़्सीर के ...
कव्वे और लकड़हारे की कहानी।
जीवन तथा ब्रह्माड़ मे पशुओ और जीव ...

 
user comment