अबनाः रसूले इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलिही वसल्लम ने फ़रमायाः रमजान गुनाहों को जला देने वाला महीना है अल्लाह तआला इस महीने में अपने बंदों के गुनाहों को जला देता है और उन्हें माफ़ कर देता है इसीलिए इस महीने का नाम रमज़ान रखा गया है। इस्लामी महीनों में केवल रमज़ान वह महीना है जिसका नाम क़ुरआने करीम में आया है।
रमज़ान अरेबिक डिक्शनरी में (ارض رمضا) से है रमजा का मतलब सूरज का बहुत तेजी से रेत पर चमकना इसलिए उस जमीन को रमजा कहा जाता है जो सूरज की गर्मी से अंगारा बन चुकी हो।
अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने फरमायाः (اَفرَأَیتُم جَزَعَ اَحَرِّکُم مِنَ الشَّوکَةِ تَعبَهٗ وَ الرَّمضَاءُ تُحرِقُهٗ) क्या तुम लोगों ने उस वक्त अपनी कमजोरी और बेताबी का आभास किया है जब तुम ऐसी ज़मीन पर चल रहे थे कि जो सूरज की गर्मी से अंगारा बन चुकी थी बस क्या हाल होगा तुम्हारा उस वक्त जब तुम आग के दो शोलों के बीच होगे।
कहा जाता है रमजान, अल्लाह के नामों में से एक नाम है। रमज़ान परिभाषा में चांद के महीनों का नवा महीना है इस रमजान के बारे में कुराने करीम कहता है कि इस महीने में क़ुरआन नाज़िल किया गया है (شَهرُ رَمَضَانَ الَّذِی اُنزِلَ فِیهِ القُرآنُ)
इस महीने को रमज़ान का नाम क्यों दिया गया उसकी वजह यू बयान की गई है जो कि जब इस महीने का नाम रखा गया उस वक्त यह महीना बहुत ज़्यादा गर्मी में पड़ा था।