Hindi
Monday 8th of July 2024
0
نفر 0

क़ुरआने करीम के पैरोकार के लिये इस्लाह व सआदत

क़ुरआने करीम के पैरोकार के लिये इस्लाह व सआदत



यह ज़िन्दगी क्योंकि आख़िरत की खेती है लिहाज़ा इन्सान का तमाम हम्म व ग़म आख़िरत की सआदत होना चाहिये। बस इन्सान अपने आमाल व किरदार को क़ुरआने करीम और अहले बैत (अ.स.) के मआरिफ़ व उलूम के मुताबिक़ बनाए तो दुनिया व आख़िरत की इज़्ज़त सर बलन्दी हासिल कर सकता।

ईमाम (अ.स.) ख़ुत्ब ए 176 में इर्शाद फ़रमाते हैं
तर्जुमा : अल्लाह तअला से क़ुरआन के ज़रिए सवाल करो और परवरदिगार की तरफ़ उस की मुहब्बत के ज़रिए से मुतवज्जेह हो जाओ और मख़लूक़े ख़ुदा से मांगने के लिए क़ुरआन को ज़रिए क़रार न दो क्योंकि इन्सान भी अपने और ख़ुदा के माबैन क़ुरआन जैसा वास्ता नहीं रखते। यक़ीन के साथ जान लो कि क़ुरआन ऐसा शिफ़ाअत करने वाला है जिस की शिफ़ाअत क़ुबूल शुदा है यह ऐसा बोलने वाला है जिस की तस्दीक़ की जाती है। क़यामत के दिन जिस की शिफ़ाअत क़ुरआन ने की तो यह शिफ़ाअत उस के हक़ में क़ुबूल की जाएगी और क़यामत के दिन जिस की मज़म्मत क़ुरआन ने की तो मुआमिला उस के नुक़्सान में होगा।

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

हज़रते क़ासिम बिन इमाम हसन अ स
जनाब अब्बास अलैहिस्सलाम का ...
इमाम जाफ़र सादिक़ अ. का जीवन परिचय
तक़वा
नमाज.की अज़मत
दुआ फरज
मानव जीवन के चरण 2
हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम का ...
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का ...
हज़रत मासूमा

 
user comment