![हस्त मैथुन जवानी के लिऐ खतरा हस्त मैथुन जवानी के लिऐ खतरा](https://erfan.ir/system/assets/imgArticle/2018/10/132071_1762311281851201028714224814718918214759154131.jpg)
आम तौर से यह बात समझी जाती है कि जवानी में केवल लड़के ही हस्त मैथुन (मुश्त ज़नी) जैसा खतरनाक काम करते हैं जब कि यह गलत है क्योंकि इस बात का सुबूत मौजूद है कि हस्त मैथुन लड़कियाँ भी करती हैं। वह एकान्त मे बैठकर अपनी उंगली या उस जैसी किसी दूसरी चीज़ को अपनी योनि (शर्म गाह) में डालकर धीरे-धीरे हरकत देंती हैं और आन्नद और मज़ा महसूस करती हैं। कभी-कभी दो जवान लड़कियाँ एक दूसरे की छाती को मुहँ में डालकर चूसती और एक दूसरे को उंगलियों से वीर्यपात (इंज़ाल) कराती हैं। ( 8) लेकिन लड़कियों और औरतों की यह हरकत बहुत बुरी और हानिकारक है। ऐसी लड़कियों की शर्मगाह में वरम (सूजन) हो जाता है , धार्मिक खून के दिनों में असंबध्दता (बेकाइदगी) पैदा हो जाती है। कभी कभी गंदे हाथों की वजह से योनि में ज़ख्म हो जाते हैं , जो मैथुन मे तकलीफ़ देते हैं। अतः चाहिए कि इस बुरे और हानिकारक काम से बचा जाए।
बहरहाल दुनियां में यह बात पूरी तरह से मानी जा चुकि है कि नब्बे प्रतिशत से अधिक नौजवान लड़के और लड़कियां हस्त मैथुन करते हैं। लेकिन नौजवान लड़कियों की संख्या कुछ कम है। इसका मुख्य कारण यह है कि लड़कों की सेक्सी शक्ति लड़कियों से अधिक हुआ करती है। वह सेक्स को भड़काने वाली तस्वीर , बात , खूबसूरत शरीर या विचार के ही द्वारा अपने लिगं (क्योंकि पुरूष में सेक्सी अंग केवल एक है जो शीघ्र ही असर को कबूल कर लेता है) में जोश और तनाव महसूस करते हैं। लड़को को यह तनाव उस समय भी महसूस होता है जब उन के लिगं पर कपड़े या किसी और चीज़ से हल्की-हल्की रगड़ लगती रहती है। जिस से उन्हें मज़ा मिलता और आन्नद महसूस होता है। कभी-कभी शुरू में लड़के खुद या किसी दोस्त के बताने पर आन्नद और मज़े को हासिल करने के लिए अपने लिंग को अपने हाथ से धीरे-धीरे सहलाते , मसलते और रगड़ते रहत हैं जिस से सख्त तनाव और जोश पैदा होता है और इस तनाव और जोश का आख़री नतीजा वीर्य का निकल जाना (वीर्यपात , इंज़ाल या अहतिलाम) हुआ करता है। जिसके बाद लिंग के साथ-साथ पूरे शरीर को थोड़ी देर के लिए सुकून और एक खास तरह का मज़ा और आन्नद महसूस होता है। और नौजवान का पूरा बदन मुख्य रूप से लिंग ढीला पड़ जाता है। इसी थोड़े समय के सुकून और हस्त मैथुन स जवान खुश होता है और धीरे-धीरे इसी को अपनी आदत बना लेता है। क्योंकि इसमें न तो दौलत की ज़रूरत होती है (मगर खून जैसी कीमती दौलत नष्ट (बर्बाद) ज़रूर होती है) और न ही किसी दूसरे लिंग की ज़रूरत होती है। इसलिए नौजवान सोचने लगता है कि शादी और सेक्सी मिलाप से पहले सेक्सी इच्छा को पूरा करने के लिए हस्त मैथुन के ज़रिए ही वीर्य को निकालना आसान और बेहतर तरीक़ा है। कभी-कभी वह यह भी सोचता है कि हराम कारी (बलात्कारी) से बेहतर हस्त मैथुन के ज़रिए सेक्सी इच्छा को पूरा करना ही ठीक है। लेकिन उसे इस बात का ख्याल नही रहता कि चौदह से बीस साल की आयु का यह वीर्य कच्चा और कम होता है। और कच्चे वीर्य को इस तरह से नष्ट करना अपनी सेहत और तनदुरूस्ती को सदैव के लिए बरबाद करना हुआ करता है। इस बुरे और हानिकारक कार्य के लिए हमेशा नर्म और नाज़ुक (कोमल) अंग को छेड़ते रहने से लिंग छोटा , पतला , कमज़ोर और टेढा हो जाता है। जो शादी या सेक्सी मिलाप के समय लज्जा का कारण बनता है।
यह सही है कि वीर्य जैसी क़ीमती चीज़ को हस्त मैथुन के ज़रिए बराबर नष्ट करते रहने से नौजवान में वह क़ुव्वत , सहत , मर्दानगी. जवांमर्दी , अक्लमंदी और जोश व ख़रोश बाक़ी नही रहता है जो वीर्य को बचाए रखने से प्राकृतिक तौर पर हासिल होता है। बराबर हस्त मैथुन करते रहने से संवेदन शक्ति (ज़कावते हिस) बढ जाती है , वीर्य पतला हो जाता है , नौजवान बहुत जल्द वीर्यपात का मरीज़ हो जाता है , निगाह खराब हो जाती है , स्मरण शक्ति कमज़ोर हो जाती है , खाना पच नही पाता , चेहरा पीला दिखाई देता है , आँखें अन्दर को धंस जाती हैं , टाँगों और कमर में दर्द रहने लगता है , बदन थका थका सा रहने लगता है , चक्कर आते हैं , ख़ौफ , घबराहट , परेशानी और लज्जा हर वक्त बनी रहती है---- संक्षिप्त यह कि नौजवान चलती फिरती लाश बनकर रह जाता है। वह इस बात पर गौर नही करता कि हस्त मैथुन से एक या दो मिनट तक महसूस होने वाले मज़े का नुकसान पूरी ज़िन्दगी सहना पडता है , मर्दानः शक्ति बर्बाद हो जाती है।
दुनिया में इस बात के सुबूत मौजूद हैं कि इस बुरे और हानिकारक कार्य मे नौजवानों के अलावा कुछ प्रौढ लोग भी पड जाते हैं।
कभी-कभी हस्त मैथुन के आसान तरीक़े को वह प्रौढ लोग अपनाते हैं जो कुछ कठीनाईयों (मुख्य रुप से आर्थिक कठीनाईयों) के कारण से शादी (धार्मिक तरीक़े पर सेक्सी मिलाप) नही कर पाते। लेकिन प्राकृतिक सेक्सी इच्छा की वजह से हस्त मैथुन जैसे बुरे और हानिकारक कार्य से संतोष प्राप्त करते रहते हैं।
इस बुरे , हानिकारक और हराम कार्य को वह विवाहित पुरूष भी अपनाते हैं जो पत्नी से दूर रहते हैं। जिनकी पत्नी बीमार रहती है या पत्नी , पति की सेक्सी आव्शकता को पूरा नही कर पाती। इसलिए पति , पत्नी को सेक्सी मिलाप के लिए बार बार परेशान करके अपनी घरेलू ज़िन्दगी को खराब करने की जगह पर हस्त मैथुन से सेक्सी संतोष हासिल करता रहता है। और नतीजे में उन तमाम बीमारीयों का मालिक बन जाता है जो इस बुरे और हानिकारक कार्य से पैदा होती हैं।
इसीलिए इस्लाम धर्म ने इस बुरे और हानिकारक कार्य (हस्त मैथुन) को हराम (अर्थात जिस के करने पर गुनाह हो) बताया है और हज़रत अली (अ.) ने इरशाद फरमाया हैः-
“ मुझे आश्चर्य है उस मनुष्य से जो मज़े से खतरनाक़ (हानिकारक) नतीजों को जानता है। वह इफ़्फ़त और पाक़ीज़गी (बुराईयों से बचने और पवित्र रहने) का रास्ता क्यों नही अपनाता। ” (10)
दूसरी जगह इरशाद फरमाते हैः
“ वह मज़ा जिससे शर्मिन्दगी (लज्जा) मिले। वह सेक्स और इच्छा जिससे दर्द में बढोतरी हो , उसमे कोई अच्छोई नही है ”।( 11)
अतः हर मनुष्य को लज्जा और खतरनाक़ नतीजों के सामने रखते हुए हस्त मैथुन जैसे बुरे , हानिकारक और हराम कार्य से तौबः करके इज़्ज़त और पाकीज़गी का रास्ता अपनाना चाहिए ताकि उसकी सहत और तन्दुरूस्ती बाक़ी रहे और यही इस्लामी शीक्षा का बुनयादी उद्देश्य है।