सहीफ़ए सज्जादिया जिसे, उख़्तुल क़ुरआन यानी क़ुरआने मजीद की बहन कहा जाता है इमाम ज़ैनुल आबेदीन अ. की वह दुआएं हैं जो आपने अपनी पूरी ज़िन्दगी ख़ास तौर से कर्बला के बाद पैंतीस ...
1- माविया को इस शर्त पर सत्ता हस्तान्त्रित की जाती है कि वह अल्लाह की किताब (कुरऑन ) पैगम्बर व उनके नेक उत्तराधिकारियों की शैली के अनुसार कार्य करेगा।2- माविया के बाद सत्ता ...
समय के महत्व
उद्देश्य के निर्धारण और योजना के बाद, लक्ष्य तक पहुंचने के लिए योजना बनाना और गंभीरता के साथ प्रयास करते रहना भी अति आवश्यक है किंतु एक अन्य महत्वपूर्ण विषय, ...
अज़ीज़ो ! किसी भी वुजूद के ज़िंदा होने की सब से आसान और साफ़ निशानी उसका नमुव्व व रुश्द करना है। जब भी उसका नमुव्व रुक जाये समझलो कि उसकी मौत का ज़माना क़रीब आ गया है। और जब भी ...
हज़रत अली अकबर (अ) की जीवनी के बारे में इतिहासकारों के बीच मतभेद पाया जाता है जैसे कुछ इतिहासकारों ने कर्बला के युद्ध के समय आपकी आयु 20 साल से कम तो कुछ ने 25, 27, या 29 साल बताई है, ...
शाबान का पवित्र महीना वह महीना है जो इस्लामी इतिहास की महान हस्तियों के जन्म दिनों से सुशोभित है। आज ही के दिन अर्थात शाबान महीने की पांच तारीख को पैग़म्बरे इस्लाम के ...
अल्लाह पाक व पाकीज़ा है सारी तारीफ़ उसी अल्लाह के लिए है अल्लाह के अतिरिक्त कोई माबूद (जिसकी इबादत की जाए) नहीं है अल्लाह सबसे बड़ा है और उसके अतिरिक्त किसी के पास कोई ताक़त ...
हमारा अक़ीदह है कि शोहदा-ए- इस्लाम मख़सूसन शोहदा-ए-कर्बला के लिए अज़ादारी बरपा करना, इस्लाम की बक़ा के लिए उनकी जाफ़िशानी व उनकी याद को ज़िन्दा रखने का ज़रिया है। इसी वजह से ...
पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारीयान
इसके पूर्व के लेख मे ईश्वर की दया के विचित्र जलवे का विस्तार करते हुए कहा था कि यदि कोई 50 वर्ष का व्यक्ति ...
ईरान की इस्लामी क्रान्ति दुनिया की अन्य क्रान्तियों की तरह समान दिखने के साथ साथ अपनी अलग विशेषता रखती है। अगर इसकी मानकों की समीक्षा करें तो देश के भीतर और विदेश में इसके ...
इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की बहुत उपाधियां हैं जिनमें सबसे प्रसिद्ध रज़ा है जिसका अर्थ है राज़ी व प्रसन्न रहने वाला। इस उपाधि का बहुत बड़ा कारण यह है कि इमाम महान ईश्वर की ...
आले सऊद शासन के गृह मंत्रालय ने इस साल हज से पहले हज यात्रियों के लिए एक नई आचार संहिता जारी की है, जिसके अंतर्गत बिना अनुमति के हज की कोशिश करने वाले लोगों को कड़ी सज़ाएं दी ...
रसूले अकरम (स.) के देहांत के बाद जब आपकी ख़िलाफ़त और उत्तराधिकार का मुद्दा सामने आया तो जो महोदय रसूले इस्लाम (स.) के युग में आपके प्रति सबसे अधिक निष्ठावान थे और आपके शिया ...
वाज़ेह हो कि ज़िलहिज का महीना एक बाअज़मत महीना है, जब इस महीने का चांद नजर आता तो अक्सर सहाबा (रज़ी) व ताबेईन इबादात मे खास अहतेमाम करते थे क़ुराने करीम में इसके पहले दस दिनों ...
कर्बला में दस मुहर्रम को आशूरा की घटना के बाद सबसे पहले जब इंसान ने इमाम हुसैन (अ.) की क़ब्र की ज़ियारत की वह रसूले ख़ुदा के सहाबी (साथी) जाबिर इब्ने अब्दुल्लाह अन्सारी थे।
वह ...
ऐ गमो अन्दोह मे मेरी पनाहगाह या मफज़ई इन्दा कुरबती يَا مَفْزَعِي عِنْدَ كُرْبَتِيऐ मुश्किलो मे मेरी मदद करने वाले या ग़ौसी इन्दा शिद्दती وَ يَا غَوْثِي عِنْدَ ...
आज जबकि मानव समाज आध्यात्मिक पतन की ओर उनमुख है। तथा असदाचारिता, असत्यता ,छल, कपट, द्वेष, भोग विलासिता तथा अमानवियता चारों ओर व्याप्त है। इस पतन को रोकने के लिए अति आवश्यक है ...
क़ुरआने मजीद में जन्नत की जिस्मानी लज़्ज़तों की तरह बहुत सी रुहानी लज़्ज़तों का भी तज़किरा हुआ है जिन में से बाज़ यह है:1. मख़्सूस ऐहतेराम: जन्नत में दाख़िल होते ही फ़रिश्ते ...
रसूले खुदा (स) ने फरमायाः रोज़ा जहन्नम की आग के मुक़ाबले में ढाल की हैसियत रखता है।
यानि रोज़ा रखने से इंसान जहन्नम की आग से सुरक्षित हो जाता है।
रोज़ा बदन की ...