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Tuesday 26th of November 2024
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आदर्श जीवन शैली-३

 

समय के महत्व

उद्देश्य के निर्धारण और योजना के बाद, लक्ष्य तक पहुंचने के लिए योजना बनाना और गंभीरता के साथ प्रयास करते रहना भी अति आवश्यक है किंतु एक अन्य महत्वपूर्ण विषय, समय से सही लाभ उठाना भी है। यद्यपि लक्ष्यों के निर्धारण, उन्हें चरणबद्ध करना, मनुष्य को समय से सही रूप से लाभ उठाने का अवसर प्रदान करता है किंतु समय से सही रूप से लाभ उठाने की शैली के लिए विशेष प्रकार की दक्षता की आवश्यकता होती है। यदि हम अपने जीवन में समय का सही उपयोग करें तो धीरे धीरे यह हमारी जीवन शैली को स्पष्ट रूप से बदल देगा।  तो हमें सोचना चाहिए कि क्या हम समय को महत्व देते हैं? समय एक एसा उपहार है जो पूर्ण रूप से व्यक्तिगत होता है और उसका प्रयोग करने वाला एक ही व्यक्ति होता है। अर्थात कोई भी व्यक्ति किसी अन्य के स्थान पर उसका समय प्रयोग नहीं कर सकता।

 

दूसरी ओर यह भी एक वास्तिवकता है कि समय को न तो उधार लिया या दिया जा सकता है और न ही उसे सुरक्षित रखा जा सकता है और सारे लोग समान रूप से उससे लाभ उठाने का अवसर रखते हैं। इस लिए यदि समय का सदपयोग किया जाए तो उसके सम्पूर्ण लाभों से वंचित होने से बचा जा सकता है। समय न कभी वापस लौटता है और न ही उसे बदला जा सकता है। न बढ़ाया जा सकता है और न ही घटाया जा सकता है। इसी लिए हमें समय को बर्बाद करने से बचने के लिए अधिक ध्यान देना चाहिए। समय का सदपयोग वास्तव में ईश्वर की ओर से मनुष्य को मिलने वाला सब से बड़ा उपहार है और मनुष्य इस मूल्यवान उपहार से लाभ उठा कर अपने उच्च लक्ष्यों तक पहुंच  और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सफलता की भूमिका प्रशस्त कर सकता है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम इस संदर्भ में इस प्रकार चेतावनी देते हैंः अवसर बादलों की भांति गुज़र जाते हैं। इस लिए जब भी भलाई का अवसर मिले उसका सदपयोग करो।

 

समय एसा मूल्यवान रत्न है जिसका कोई मूल्य नहीं है और चूंकि आयु और उसमें मिले हुए समय के सदपयोग का अत्याधिक महत्व है इस लिए इस्लामी शिक्षाओं और महापुरुषों के कथनों में समय के मूल्य और उसके सदपयोग पर अत्याधिक बल दिया गया है। इस्लाम में मुसलमानों से सिफारिश की गयी है कि वे अनन्त कल्याण तक पहुंचने के लिए समय बर्बाद करने से बचें और आवश्यकताओं को पहचान कर, उन्हें सूचिबद्ध करें और सही योजना बना कर, हर काम में विलंब से बचें तथा इसी के साथ स्वंय अपना हिसाब करें और देखें कि उनकी आयु किस प्रकार और किस उद्देश्य के लिए व्यतीत हो रही है।

कुरआने मजीद में तो समय को इतना अधिक महत्व दिया गया है कि उसके सूरए अस्र के आरंभ में ईश्वर ने युग की सौगंध के साथ कहा है कि युग की सौगंध। कुरआने मजीद की अन्य विभिन्न आयतों में ईश्वर मनुष्यों को चेतावनी देता है कि इस अवसर से परलोक सुधारने के लिए लाभ उठाएं अन्यथा, पछतावे के अतिरिक्त उनके हाथ कुछ नहीं लगेगा। इसी लिए क़यामत को पछतावे का दिन भी कहा जाता है क्योंकि उस दिन मनुष्य अपने जीवन के बहुमूल्य क्षणों से सही रूप से लाभ न उठाने के लिए पछताएगा।

 

किसी भी व्यक्ति का व्यक्तिगत अथवा सामाजिक जीवन समय की पहचान, उसे महत्व दिये बिना और योजना बनाए बिना सही रूप से आगे नहीं बढ़ सकता। समय के विभिन्न कामों के लिए बांटना सफलता की कुंजी है।  यदि हम एक नज़र इस ब्रहमाण्ड पर डालें तो हमें हर वस्तु में एक सूक्ष्म व्यवस्था नज़र आएगी। इस लिए समय की बर्बादी और व्यवस्था से दूरी वास्तव में सृष्टि की व्यवस्था से दूरी के अर्थ में है जब कि हमें इस सृष्टि की व्यवस्था के साथ कदम मिला कर आगे बढ़ना चाहिए और अपने भौतिक और आध्यात्मिक जीवन को उसके अनुकूल बनाना चाहिए और इसे ही समय से सही रूप से लाभ उठाना कहते हैं। वास्तव में हर क्षण एक बर्तन की भांति होता है जिसे सही वस्तु से भरना आवश्यक है। इस प्रकार से यदि हम ध्यान दें तो खाली बैठे रहने की हमारे जीवन में कोई गुंजाइश नहीं है और जीवन के हर क्षण के लिए योजना बनायी जानी चाहिए।

 

यह काम इतना ही महत्वपूर्ण है कि महापुरुषों के कथनों में आया है कि क़यामत के दिन एक क़दम भी आगे नहीं बढ़ा पाएगा जब तक उससे कुछ प्रश्न न कर लिए जाएं और इन प्रश्नों में से एक यह भी है कि उसने अपनी आयु किस चीज़ में खर्च की। इस लिए यह कहना कि कल की कल देखेंगे, गलत है और इसका इस्लामी शिक्षाओं में कोई स्थान नहीं है। समय के सदपयोग से व्यक्ति की उपयोगिता बढ़ती है, उसमें आशा का संचार होता है और मानसिक तनाव कम होता है।

 

समय का सदुपयोग वास्तव में एक प्रकार का व्यापार है जिस में समय की पुंजी लगायी जाती है। यदि हम समय के महत्व की अनदेखी करेंगे तो उसका परिणाम, हानि के अलावा कुछ नहीं होगा। पैगम्बरे इस्लाम सदैव लोगों से सिफारिश करते थे कि समय का सदुपयोग किया किया जाए और स्वंय इस संदर्भ में आदर्श थे। एक दिन पैगम्बरे इस्लाम ने अपने एक अनुयाई हज़रत अबूज़र से कहाः पांच चीज़ों का, पांच चीज़े आने से पहले लाभ उठा लो, जीवन से मृत्यु आने से पूर्व, स्वास्थ्य से, रोग आने से पूर्व, अवसर को, व्यस्त होने से पूर्व, युवास्था को वृद्धावस्था से पूर्व, और समृद्धता से निर्धनता से पूर्व।

 

हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने भी कहा है कि तुम्हारे जीवन के क्षण तुम्हारी आयु के अशं हैं इस लिए इस बात का प्रयास करो कि कल्याणकारी काम के अतिरिक्त तुम्हारा समय अन्य विषयों में बर्बाद न हो। इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार मनुष्य की जीवन शैली एसी होनी चाहिए कि उसका हर दिन, पहले वाले दिन बल्कि हर क्षण पहले वाले क्षण से बेहतर हो अर्थात जीवन में वह सदैव ऊंचाई की ओर परिपूर्णता की ओर अग्रसर रहे। यही कारण है कि पैगम्बरे इस्लाम के परिजन, सदैव यह सिखाते थे कि हमें लंबी आयु के लिए दुआ करनी चाहिए ताकि हमें भलाईयों का अधिक अवसर मिले। इस प्रकार से इस्लाम में स्वंय लंबी आयु का महत्व नहीं है बल्कि यदि वह ईश्वर की उपासना के लिए हो तो उसका महत्व है। इस संदर्भ में पैगम्बरे इस्लाम का कथन है कि धिक्कार हो उस पर जिसकी आयु लंबी, कर्म बुरे और अंजाम ईश्वर का प्रकोप हो।

 

इसी लिए यदि आयु जैसे ईश्वरीय उपहार को ईश्वर के लिए ही खर्च करना चाहिए और पाप की राह में उसका प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इस दशा में लंबी आयु का न केवल यह कि कोई लाभ नहीं होगा बल्कि उसकी हानि भी होगी और इस प्रकार की लंबी आयु का न होना ही बेहतर है। समय की प्रतिबद्धता और उसके सदुपयोग के भी अपने सिद्धान्त हैं जिसके पालन से हमें अपने उद्देश्यों तक पहुंच सकते हैं। समय के सदुपयोग के लिए हमें योजना बनाने के अलावा, योजना पर सही रूप से काम करने की ही आवश्यकता है और इसी प्रकार प्रगति पर नज़र रखना भी ज़रूरी है ताकि इस प्रकार से समय बर्बाद न हो और मनुष्य हर उस काम से दूर रह सके जिसमें समय की बर्बादी हो। इस प्रकार से समय बर्बादी के कारकों के बारे में जानकारी भी महत्वपूर्ण है।

 

एक अन्य शैली, हर दिन कामों की सूचि बनाना है इस प्रकार से हमें अपने समय के  सदुपयोग में सहायता मिलेगी और हमें यह पता चलेगा कि हमारे कौन से कामों में समय बर्बाद होता है। इसके अलावा सूचि बनाने से यह लाभ भी होगा कि हमें यह ही पता चल जाएगा कि कौन से काम के लिए कितना समय लगेगा।

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