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प्रस्तावना

  • प्रकाशन तिथि:   2012-11-24 16:47:09
  • दृश्यों की संख्या:   448

लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान

 

किताब का नाम: शरहे दुआए कुमैल

 

यह ग़रीब 11 वर्ष की आयु मे अपने पिता के साथ रमज़ान के पवित्र महीने की रात्रियो मे तेहरान की प्रसिध्द धार्मिक बैठको मे भाग लिया करता था, उस बैठक मे स्वर्गीय आयतुल्लाह हाज सैय्यद मुहम्मद मैहदी लालेज़ारी के ज़ो आलिमे बा अमल थे, जादुई शब्दो मे परमेश्वर की शिक्षाओं को लोगों की हिदायत के लिए बयान करते थे, शुक्रवार रात्रि (शबे जुमा) को मलाकूती स्वर, दिल नशीन आवाज़ और बहती आखोँ से रात के गुप अंधेरे मे दुआए कुमैल पढ़ा करते थे,अगर किसी व्यक्ति ने इस दुआ मे भाग नही लिया है परन्तु वह इस भावुक व्यक्ति के दुआ के आत्मिक स्वर से प्रभावित होता था।

मैं भी अन्य लोगों की तरह उनके दुआ को आशीक़ना माध्यम के पढने से इस प्रभावशाली दुआ - जो आरेफ़ान के मौला और आशीक़ाने इमाम के क़लबे उफ़ुक़ से अपराधियो की पश्चताप और लोगो की जान के निस्पंदन के लिए बयान हुई है - की ओर आकर्षित हुआ।

पहली बार जब इस दुआ को उस सभा में सुना तो परमेश्वर की तौफ़ीक़ से तीन दिन बाद दुआ को याद करके शुक्रवार रात्रि को परिवार के सदस्यो अथवा मित्रो के बीच पढ़ा करता था।

क़ुम विश्व विधालय (हौज़ाए इलमिया क़ुम) आने और शिक्षा के कुच्छ वर्षो बाद ख़ुदाए सुबहान की क्रपा से तबलीग़ के मैदान मे आने के बाद शुक्रवार रात्रि को इसका पढ़ना एवम स्थापित करने को अपने ऊपर अनिवार्य किया। थोड़ी मुद्दत गुज़रने के बाद ही मेरी दुआ की सभाओ मे देश व विदेश मे उम्मीद से ज़्यादा आदमी भाग लेते तथा उन सभाओ से उल्लेखनीय परिणाम हासिल करते थे, उन परिणामों को बताने के लिए अलग से एक पुस्तक की आवश्यकता है।

मौलाए मुत्तक़यान की शबे विलादत, जनाब हुज्जातुल इसलाम वल मुसलेमीन रहीमीयान ने बन्दे से इस दुआ का वर्णन करने की विंती की ताके लोग उसके अध्यन से अधिक ज्ञान के साथ दुआ की ओर मुतावज्जेह एवम प्रभेद के साथ दुआ की सभा मे भाग लै।

परवरदिगार के लुत्फ़ से अपनी बिज़अत भर इस दुआ का वर्णन करने मे कामयाब रहा, यह दुआए कुमैल का वर्णन अपने प्रयासों को उपयोग करने के लिए प्रतीक्षारत है।

अंत मे दारुल इरफ़ान संस्थान अनुसंधान इकाई, के सभी मित्रो का आभारी हूँ जिनके अनुसंधान और संपादन प्रयासो से यह दुआए कुमैल का वर्णन छपाई (मुद्रण) तक पहुचाँ।

 

                                                                              प्रार्थी: हुसैन अनसारियान

                                                                        25 शव्वाल, रोज़े शहादते इमामे बरहक़

                                                                       हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम

जारी

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