लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान
किताब का नाम: शरहे दुआ ए कुमैल
इमाम सादिक (अलैहिस्सलाम) से रिवायत है:
( ۔۔۔ فَاِذَا نَزَلَ البَلَاءُ فَعَلَیکُم بِالدُّعَاءِ وَ التَّضَرُعِ اِلَی أللہِ )
... फ़एज़ा नज़लल बलाओ फ़अलैक़ुम बिद्दोआए वत्तज़ारोऐ एलल्लाहे[1]
जिस समय कोई आपत्ति आए, निश्चित रूप से परमेश्वर के सामने अनुनय के साथ प्रार्थना करो।
दूसरे स्थान पर उन्ही इमाम का कथन है:
عَلَیکَ بِالدُّعَاءَ؛ فَاِنَّ فِیہِ شِفَاءً مِن کُلِّ دَاء
अलैका बिद्दोआए फ़ा इन्ना फ़ीहे शिफ़ाअन मिन कुल्ले दाइन[2]
तुम्हारे ऊपर प्रार्थना अनिवार्य है क्योकि इसमे (प्रार्थना) हर दर्द की दवा है।