लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान
किताब का नाम: शरहे दुआ ए कुमैल
हमने इस से पूर्व गुरुवार रात्रि 3 के लेख मे शिया समप्रदाय के इमाम ने गुरुवार रात्रि के महत्तव को बयान किया है।और इमाम सादिक ने महत्व का इस प्रकार उल्लेख किया है।
इमाम सादिक़ (अ.स.) ने कहाः
गुरूवार रात्रि मे पाप से बचो क्योकि इस रात्रि मे पाप की सज़ा दुगनी है, जिस प्रकार इस रात्रि मे अच्छे कर्मो का इनाम भी कईगुना है, यदि कोई व्यक्ति गुरूवार रात्रि को पाप नकरे तो ईश्वर उसके पिछले पापो को क्षमा कर देता है और उसे संबोधित करता हैः जो व्यक्ति गुरूवार रात्रि मे ईश्वर का मुक़ाबला करते हुए पाप करता है ईश्वर उसे जीवन भर सज़ा देता है परन्तु गुरूवार रात्रि मे पाप की सज़ा (गुरूवार रात्रि के अपमान के कारण) दोगुना कर देता है[1]।
गुरूवार रात्रि मे विभिन्न प्रकार की अत्यधिक नमाज़े, प्रार्थनाएँ (दुआएँ) तथा मंत्रो का आह्वान हुआ है कि उनमे से कुमैल की प्रार्थना उल्लेखनीय स्थान रखती है।
[1] إِجتَنِبُوا الّمَعَاصِیَ لَیلَۃَ الجُمُعَۃِ فَإِنَّ السَّیِّئَۃَ مُضَاعَفَۃ وَ الحَسَنُۃُ مُضَاعَفَۃ وَ مَن تَرَکَ مَعصِیَۃَ أللہِ لَیلَۃَ الجُمُعَۃِ غَفَرَ أللہَ لَہُ کُلَّ مَا سَلَفَ فِیہِ وِ قِیلَ لَہُ استَأنِفِ العَمَلَ وَ مَن بَارَازَ أللہَ لَیلَۃَ الجُمُعَۃِ بِمَعصِیَتِہِ أَخَذَہُ أللہُ عَزَّ وَ جَلَّ بِکُلِّ مَا عَمِلَ فِی عُمُرِہِ وَ ضَاعَفَ عَلَیہِ العَذَابَ بِھَذِہِ المَعصِیَتِہِ
इज्तनेबुल मआसिया लैलतल मआसियते फ़इन्नस्सय्येअता मुज़ाअफ़तुन वल हसानता मुज़ाअफ़तुन वमन तरका मआसियतल्लाहे लैलतल जुमुअते ग़फ़रल्लाहो लहु कुल्ला मा सलफ़ा फ़ीहे व क़ीला लहुसतानेफ़िल अमाला व मन बारज़ल्लाहा लैलतल जुमुअते बेमासियतेही अख़ाज़ाहुल्लाहो अज़्ज़ा वजल्ला बेकुल्ले मा अमेला फ़ी ओमोरेही वज़आफ़ा अलैहिलअज़ाबा बेहाज़ेहिल मआसियतेहि (बिहारुल अनवार, भाग 86, पेज 283, अध्याय 2, हदीस 28 के सम्बंध मे; मुसतदरकुल वसाइल, भाग 6, पेज 73, अध्याय 36, हदीस 6470)