Hindi
Monday 8th of July 2024
0
نفر 0

कुमैल को अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) की वसीयत 3

कुमैल को अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) की वसीयत 3

लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान

किताब का नाम: शरहे दुआ ए कुमैल

हे कुमैल, भोजन करने मे किसी को अपना साथी बनाओ और लोभ नकरो, क्योकि तुम लोगो को रोज़ी नही देते, और तुम्हारे इस कार्य (अर्थात भोजन करने मे किसी दूसरे व्यक्ति को साथी बनाने) पर ईश्वर बड़ा पुरुस्कार प्रमाणित करता है। अपनी नैतिकता को उसके प्रति (जो तुम्हारे साथ भोजक कर रहा है) विनम्र करो, प्रसन्नता से उससे भेट करो तथा अपने सेवक पर कोई आरोप नलगओ और उसका अनादर नकरो।

हे कुमैल, भोजन करने मे अधिक समय व्यतीत करो ताकि जो लोग तुम्हारे साथ भोजन कर रहे है वह भी भली प्रकार भोजन कर सके। (तथा दूसरे भी अपनी रोज़ी एंव भोजन का उपयोग कर सके)।

हे कुमैल, जब भोजन कर चुको तो परमात्मा ने जो रोज़ी तुम्हे दी है उस पर ईश्वर का धन्यवाद करो, तथा उसका धन्यवाद तेज आवाज़ मे करो ताकि दूसरे भी उसका धन्यवाद करे इस प्रकार तुम्हारा इनाम अधिक होता चला जाएगा।

जारी

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

हज़रते क़ासिम बिन इमाम हसन अ स
जनाब अब्बास अलैहिस्सलाम का ...
इमाम जाफ़र सादिक़ अ. का जीवन परिचय
तक़वा
नमाज.की अज़मत
दुआ फरज
मानव जीवन के चरण 2
हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम का ...
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का ...
हज़रत मासूमा

 
user comment