पुस्तक का नामः दुआए कुमैल का वर्णन
लेखकः आयतुल्लाह अनसारियान
अथवा ऐसा व्यक्ति मिला जो कि लालची तथा सरलता से शहवत का आज्ञाकारी हो गया, अथवा ऐसा व्यक्ति जो धन को एकत्रित तथा उसका भंडार करता है, यह दोनो व्यक्ति किसी भी प्रकार से धर्म का पालन करने वाले नही है, यह दोनो समूह चरागाह मे खुले जानवरो के समान है। ज्ञान विद्वान के संघ इस प्रकार समाप्त हो जाता है।
ईश्वर, अपनी हुज्जत - जो परमात्मा के हेतु उठ खड़ा होगा – से पृथ्वी को कभी भी रिक्त नही करेगा, ज़ाहिर तथा प्रसिद्ध क़याम अथवा भयभीत करने वाला तथा गुप्त, ताकि ईश्वर की दलीलो का विनाश न हो।
इस प्रकार के लोग अल्पसंख्यक है, खुदा की सौगंध यह कहाँ है इनकी संख्या बहुत कम तथा ईश्वर के समीप इनकी इज़्ज़त बहुत है। ईश्वर इन्ही के माध्यम से अपनी दलीलो की सुरक्षा करता है, ताकि यह लोग अपने समान दूसरे लोगो तक इस कर्तव्य का स्थानांतरण करे और उनके दिलो मे इन अल्पसंखक लोगो के वंश का रोपण करे।
वास्तव मे अर्तंदृष्टि से ज्ञान उनको दिया गया तथा उन्होने ईश्वर के कठिन नाज़ को सरलता से प्राप्त किया, तथा जिस वस्तु से अज्ञान व्यक्ति भयभीत होते थे उस से ये लोग परिचित हो गये।
ये लोग पृथ्वी पर वास्तव मे ईश्वर (हक़) के उतराधिकारी तथा ईश्वर के धर्म की ओर दावत करने वालो है। आह, आह उन्हे देखने के लिए कितना इच्छुक हूँ। हे कुमैल, यदि चाहते हो तो पलट जाओ।[1]
[1] وَ مِنْ كَلَامٍ لَهُ ( عليه السلام ) لِكُمَيْلِ بْنِ زِيَادٍ النَّخَعِيِّ قَالَ كُمَيْلُ بْنُ زِيَادٍ أَخَذَ بِيَدِي أَمِيرُ الْمُؤْمِنِينَ عَلِيُّ بْنُ أَبِي طَالِبٍ ( عليه السلام ) فَأَخْرَجَنِي إِلَى الْجَبَّانِ فَلَمَّا أَصْحَرَ تَنَفَّسَ الصُّعَدَاءَ ثُمَّ قَالَ :يَا كُمَيْلَ بْنَ زِيَادٍ : إِنَّ هَذِهِ الْقُلُوبَ أَوْعِيَةٌ فَخَيْرُهَا أَوْعَاهَا فَاحْفَظْ عَنِّي مَا أَقُولُ لَكَ النَّاسُ ثَلَاثَةٌ فَعَالِمٌ رَبَّانِيٌّ وَ مُتَعَلِّمٌ عَلَى سَبِيلِ نَجَاةٍ وَ هَمَجٌ رَعَاعٌ أَتْبَاعُ كُلِّ نَاعِقٍ يَمِيلُونَ مَعَ كُلِّ رِيحٍ لَمْ يَسْتَضِيئُوا بِنُورِ الْعِلْمِ وَ لَمْ يَلْجَئُوا إِلَى رُكْنٍ وَثِيقٍ يَا كُمَيْلُ الْعِلْمُ خَيْرٌ مِنَ الْمَالِ الْعِلْمُ يَحْرُسُكَ وَ أَنْتَ تَحْرُسُ الْمَالَ وَ الْمَالُ تَنْقُصُهُ النَّفَقَةُ وَ الْعِلْمُ يَزْكُوا عَلَى الْإِنْفَاقِ وَ صَنِيعُ الْمَالِ يَزُولُ بِزَوَالِهِ يَا كُمَيْلَ بْنَ زِيَادٍ مَعْرِفَةُ الْعِلْمِ دِينٌ يُدَانُ بِهِ ، بِهِ يَكْسِبُ الْإِنْسَانُ الطَّاعَةَ فِي حَيَاتِهِ وَ جَمِيلَ الْأُحْدُوثَةِ بَعْدَ وَفَاتِهِ وَ الْعِلْمُ حَاكِمٌ وَ الْمَالُ مَحْكُومٌ عَلَيْهِ يَا كُمَيْلُ هَلَكَ خُزَّانُ الْأَمْوَالِ وَ هُمْ أَحْيَاءٌ وَ الْعُلَمَاءُ بَاقُونَ مَا بَقِيَ الدَّهْرُ أَعْيَانُهُمْ مَفْقُودَةٌ وَ أَمْثَالُهُمْ فِي الْقُلُوبِ مَوْجُودَةٌ هَا إِنَّ هَاهُنَا لَعِلْماً جَمّاً وَ أَشَارَ بِيَدِهِ إِلَى صَدْرِهِ لَوْ أَصَبْتُ لَهُ حَمَلَةً بَلَى أَصَبْتُ لَقِناً غَيْرَ مَأْمُونٍ عَلَيْهِ مُسْتَعْمِلًا آلَةَ الدِّينِ لِلدُّنْيَا وَ مُسْتَظْهِراً بِنِعَمِ اللَّهِ عَلَى عِبَادِهِ وَ بِحُجَجِهِ عَلَى أَوْلِيَائِهِ أَوْ مُنْقَاداً لِحَمَلَةِ الْحَقِّ لَا بَصِيرَةَ لَهُ فِي أَحْنَائِهِ يَنْقَدِحُ الشَّكُّ فِي قَلْبِهِ لِأَوَّلِ عَارِضٍ مِنْ شُبْهَةٍ أَلَا لَا ذَا وَ لَا ذَاكَ أَوْ مَنْهُوماً بِاللَّذَّةِ سَلِسَ الْقِيَادِ لِلشَّهْوَةِ أَوْ مُغْرَماً بِالْجَمْعِ وَ الِادِّخَارِلَيْسَا مِنْ رُعَاةِ الدِّينِ فِي شَيْ ءٍ أَقْرَبُ شَيْ ءٍ شَبَهاً بِهِمَا الْأَنْعَامُ السَّائِمَةُ كَذَلِكَ يَمُوتُ الْعِلْمُ بِمَوْتِ حَامِلِيهِ اللَّهُمَّ بَلَى لَا تَخْلُو الْأَرْضُ مِنْ قَائِمٍ لِلَّهِ بِحُجَّةٍ إِمَّا ظَاهِراً مَشْهُوراً وَ إِمَّا خَائِفاً مَغْمُوراً لِئَلَّا تَبْطُلَ حُجَجُ اللَّهِ وَ بَيِّنَاتُهُ وَ كَمْ ذَا وَ أَيْنَ أُولَئِكَ ، أُولَئِكَ وَ اللَّهِ الْأَقَلُّونَ عَدَداً وَ الْأَعْظَمُونَ عِنْدَ اللَّهِ قَدْراً يَحْفَظُ اللَّهُ بِهِمْ حُجَجَهُ وَ بَيِّنَاتِهِ حَتَّى يُودِعُوهَا نُظَرَاءَهُمْ وَ يَزْرَعُوهَا فِي قُلُوبِ أَشْبَاهِهِمْ هَجَمَ بِهِمُ الْعِلْمُ عَلَى حَقِيقَةِ الْبَصِيرَةِ وَ بَاشَرُوا رُوحَ الْيَقِينِ وَ اسْتَلَانُوا مَا اسْتَوْعَرَهُ الْمُتْرَفُونَ وَ أَنِسُوا بِمَا اسْتَوْحَشَ مِنْهُ الْجَاهِلُونَ وَ صَحِبُوا الدُّنْيَا بِأَبْدَانٍ أَرْوَاحُهَا مُعَلَّقَةٌ بِالْمَحَلِّ الْأَعْلَى أُولَئِكَ خُلَفَاءُ اللَّهِ فِي أَرْضِهِ وَ الدُّعَاةُ إِلَى دِينِهِ آهِ آهِ شَوْقاً إِلَى رُؤْيَتِهِمْ انْصَرِفْ يَا كُمَيْلُ إِذَا شِئْتَ
व मिन कलामिन लहु (अलैहिस्सलाम) ले कुमैलिब्ने ज़ियादिन नख़ाइऐ क़ाला कुमैलुब्नो ज़ियादिन अख़ाज़ा बेयदि अमीरूल मोमेनीना अलि युबनो अबि तालेबिन (अलैहिस्सलाम) फ़अख़रजनि एलल जब्बाने फ़लम्मा असहरा तनफ़्फ़स्स सोआदाआ सुम्मा क़ालाः या कुमैलब्ना ज़ियादिनः इन्ना हाज़ेहिल क़ोलूबा औएयतुन फ़ख़ैरोहा ओआहा फ़हफ़ज़ अन्नि मा अक़ूलो लकन्नासो सलासतुन फ़आलेमुन रब्बानीयुन व मुताअल्लेमुन अला सबीले नजातिन व हमजुन रआउन अतबाओ कुल्ले नाएक़िन यमीलूना मआ कुल्ले रीहिन लमयसतज़ीऊ बेनूरिल इल्मे व लम यलजउ एला रुकनिन वसीक़िन या कुमैलुल इल्मो ख़ैरुन मिनल माले अलइल्मो यहरोसोका व अन्ता तहरोसुल माला वल मालो तनक़ोसुहून्नफ़क़तो वल इल्मो यज़कू अललइनफ़ाक़े व सनीऊल माले यज़ूलो बेज़वालेहि या कुमैलब्ना ज़ियादिन मअरेफ़तुल इल्मे दीनुन युदानो बेहि, बेहि यकसेबुल इन्सानुत्ताअता फ़ी हयातेहि व जमीलल ओहदूसते बादा वफ़ातेहि वल इल्मो हाकेमुन वल मालो महकूमुन अलैहे या कुमैलो हलाका ख़ज़्ज़ानुल अमवाले वहुम अहयाउन वल उलामाओ बाक़ूना मा बक़ेयद्दहरो आयानोहुम मफ़क़ूदतुन वल अमसालोहुम फ़िल क़ोलूबे मौजूदतुन हा इन्ना हाहोना ला इल्मन जम्मा वा अशारा बेयदेहि एला सदरेहि लौ असबतो लहू हमालतन बला असबतो लक़ीनन ग़ैयरा मामूनिन अलैय्हे मुसतामेलन आलत्तदीने लिद्दुनिया व मुस्तज़हेरन बेनेअमिल्लाहे अला ऐबादेही वा बेहोजाजेहि अला ओलेयाएही औमनक़ादन लेहमालतिल हक़्क़े ला बसीरता लहू फ़ी आहनाऐही यनक़देहुश्शक्को फ़ी क़ल्बेहि लेअव्वले आरेज़िन मिन शुबहतिन अला ला ज़ा वला ज़ाका औमनहूमन बिल्लज़्ज़ते सलेसलक़ेयादे लिश्शहवते औमुग़रमन बिलजमऐ वलइद्दख़ारे लैसा मिन रोआतिद्दीने फ़ी शैइन अक़रबो शैइन शबहन बेहेमल अनहामुस्साएमतो कज़ालेका यमूतुल इल्मो बेमौते हामेलीहिल्लाहुम्मा बला ला तख़लुलअर्ज़ो मिन क़ाएमिन लिल्लाहे बेहुज्जतिन इम्मा ज़ाहेरन मशहूरन वा इम्मा ख़ाएफ़न मग़मूरन लेअल्ला तबतोला होजाजुल्लाहे व बय्येनातोहू वा कम ज़ा वा ऐना ऊलाएका, ऊलाएका वल्लाहिल अक़ल्लूना अदादन वल आज़ामूना इनदल्लाहे क़दरन यहफ़ज़ुल्लाहो बेहिम होजाजहू वा बय्येनातेहि हत्ता यूदेऊहा नोज़ाराआहुम वा यज़राऊहा फ़ी क़ोलूबे अशबाहेहिम हजमा बेहेमुल इल्मो अला हक़ीक़तिल बसीरते वा बाशारू रूहल यक़ीने वसतलानू मसतौअराहुलमुतरफ़ूना वा आनेसु बेमसतौहशा मिनहुल जाहेलूना वा सहेबुद्दुनिया बेअबदानिन अरवाहोहा मोअल्लाक़तुन बिल महल्लिल आला ऊलाएका ख़ोलाफ़ाउल्लाहे फ़ी अर्ज़ेहि वद्दोआतो एला दीनेहि आहे आहे शौक़न एला रूयतेहिम इनसरिफ़ या कुमैलो एज़ा शेता। (नैहजुल बलाग़ा, खुत्बा 147)